Tuesday, September 16, 2025

Class 12th History Chapter 7 imp QA

 





Class-12 History

Chapter- 7 (एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर)

 

 

 

सुमेलित प्रश्न

प्रश्न 1. खण्ड 'को खण्ड 'से सुमेलित कीजिए 

खण्ड ''

खण्ड ''

(शासक)

(वंशज)

(1) हरिहर

अराविदु वंश

(2) नरसिंह

संगम वंश

(3) वीर नरसिंह

तुलुव वंश

(4) तिरूमल

सालुव वंश

 

उत्तर:

खण्ड ''

खण्ड ''

(शासक)

(वंशज)

(1) हरिहर

संगम वंश

(2) नरसिंह

सालुव वंश

(3) वीर नरसिंह

तुलुव वंश

(4) तिरूमल

अराविदु वंश



प्रश्न 2. खण्ड 'को खण्ड 'से सुमेलित कीजिए

खण्ड ''

खण्ड ''

(शासक)

(राजवंश)

(1) बिन्दुसार

पुष्यभूति

(2) राजेन्द्र प्रथम

तुलुव

(3) कृष्णदेव राय

चोल

(4) हर्षवर्द्धन

मौर्य

 

 

उत्तर:

 

 

खण्ड ''

खण्ड ''

(शासक)

(राजवंश)

(1) बिन्दुसार

मौर्य

(2) राजेन्द्र प्रथम

चोल

(3) कृष्णदेव राय

तुलुव

(4) हर्षवर्द्धन

पुष्यभूति



अतिलघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 14वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य कौन-सा नगर दक्षिण भारत में एक साम्राज्य के रूप में विकसित हुआ.?

उत्तर:

विजयनगर।   

 

प्रश्न 2. हम्पी नाम का प्रादुर्भाव कैसे हुआ?

उत्तर-खण्डित विजयनगर शहर तथा कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के निवासियों की स्मृति में हम्पी नाम रखा गया जिसकी उत्पत्ति स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुई थी।

प्रश्न 3.  हम्पी के भग्नावशेषों की खोज कब व किसने की ? 

उत्तर:

हम्पी के भग्नावशेषों की खोज सन् 1800 ई. में कॉलिन मैकेन्जी ने की। 

प्रश्न 4. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब तथा किसने की ?

अथवा

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

परम्परा और अभिलेखीय साक्ष्यों के अनुसार विजयनगर साम्राज्य की स्थापना ............ और .......... ने 1336 में की थी। 

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसके द्वारा की गई?

उत्तर:

विजयनगर साम्राज्य की स्थापना में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई. की थी। 

प्रश्न 5. कर्नाटक साम्राज्य शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया? 

उत्तर:

विजयनगर साम्राज्य के लिए। 

प्रश्न 6. विजयनगर साम्राज्य में घोड़ों के व्यापारियों के स्थानीय समूह को क्या कहा जाता था?

उत्तर:

कुदिरई चेट्टी। 

प्रश्न 7. विजयनगर साम्राज्य पर कुल कितने वंशों ने शासन किया था? 

उत्तर:

विजयनगर साम्राज्य पर कुल चार वंशों ने शासन कियाजो निम्नांकित हैं

1.         संगम वंश

2.         सुलुव वंश

3.         तुलुव वंशतथा 

4.         अराविदु वंश। 

प्रश्न 8. विजयनगर के सबसे प्रतापी राजा तथा उसके कार्यकाल का विवरण प्रस्तुत कीजिए।

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?

उत्तर:

विजयनगर का सबसे प्रतापी राजा कृष्णदेव राय था जिसका शासनकाल 1509 ई. से 1529 ई. के मध्य रहा था। 

प्रश्न 9. दक्षिण भारत के मन्दिरों में भव्य गोपुरमों को जोड़ने का श्रेय किस शासक को दिया जाता है ? 

उत्तर:

कृष्णदेव राय को। 

प्रश्न 10.  तालीकोटा (राक्षसी-तांगड़ी) का युद्ध कब व किनके मध्य हुआ ?

अथवा

किस युद्ध में विजयनगर के शासक को बीजापुरअहमदनगर तथा गोलकुंडा की संयुक्त सेनाओं द्वारा शिकस्त मिली?

उत्तर:

तालीकोटा (राक्षसी-तांगड़ी) युद्ध 1565 ई. में बीजापुरगोलकुंडा व अहमदनगर की संयुक्त सेनाओं तथा विजयनगर की सेनाओं के मध्य हुआ जिसमें विजयनगर की हार हुई।

प्रश्न 11. नायक कौन थे ? 

उत्तर:

नायक सेना प्रमुख होते थे जो किलों पर नियंत्रण रखते थे एवं उनके पास सशस्त्र सैनिक होते थे । 

प्रश्न 12. अमर-नायक कौन थे ? 

उत्तर:

अमर-नायक सैनिक कमांडर होते थे जिन्हें राय द्वारा प्रशासन के लिए राज्य-क्षेत्र दिए जाते थे। 

प्रश्न 13. विजयनगर आने वाले किन्हीं तीन यात्रियों तथा उनके देशों के नाम लिखिए। 

उत्तर:

1.         अब्दुर रज्जाक (फारस)

2.         निकोलो कॉन्ती (इटली) तथा 

3.         डोमिन्गों पेस (इटली)। 

प्रश्न 14. विजयनगर का राजकीय केन्द्र कहाँ स्थित था?

उत्तर-

विजयनगर का राजकीय केन्द्र बस्ती के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित था। 

 

प्रश्न 15. विजयनगर के राजकीय केन्द्र में स्थित महल तथा मन्दिरों के बीच क्या अन्तर था?

उत्तर:

विजयनगर के राजकीय केन्द्र में स्थित मन्दिर पूर्णतः राजगिरी से निर्मित थेजबकि महलों की अधिरचना विकारी वस्तुओं से निर्मित थी।

प्रश्न 16. अमर नायकों के कोई दो कार्य लिखिए। 

उत्तर:

1.         भू-राजस्व व अन्य कर वसूल करना तथा 

2.         शासक को सैनिक सहायता प्रदान करना। 

प्रश्न 17. महानवमी डिब्बा से आप क्या समझते हैं? 

उत्तर:

विजयनगर राज्य का एक आनुष्ठानिक केन्द्र जो शहर के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक पर स्थित था। 

प्रश्न 18.  नीचे दी गई जानकारी को पढ़िए और विजयनगर साम्राज्य के भवन की पहचान कीजिए व उसका नाम लिखिएः

·            राजकीय केन्द्र का सबसे सुंदर भवन। 

·            अंग्रेज़ यात्रियों ने उन्नीसवीं सदी में उसका नामकरण किया था। 

·            इसका नाम रोमांचक हैलेकिन इतिहासकार इस बारे में निश्चित नहीं हैं कि यह भवन किस उपयोग के लिए था। 

उत्तर:

कमल (लोटस) मन्दिर   

प्रश्न 19. विजयनगर में स्थित कमल महल का प्रयोग किस कार्य के लिए होता होगासंक्षेप में लिखें। । 

उत्तर:

कमल महल की बनावट से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ पर शासक मन्त्रणा सम्बन्धी कार्य करते होंगे।  

प्रश्न 20.  हजार राम मन्दिर कहाँ स्थित था ? 

उत्तर:

'हजार राम मन्दिरविजयनगर के राजकीय केन्द्र में स्थित था। 

प्रश्न 21. विरुपाक्ष कौन थे ? 

उत्तर:

विरुपाक्ष विजयनगर राज्य के संरक्षक देवता तथा शिव का ही एक रूप माने जाते थे। 

प्रश्न 22. राजधानी के रूप में विजयनगर का चयन क्यों किया गया ?

उत्तर-

विरुपाक्ष एवं पम्पादेवी मन्दिरों के अस्तित्व के कारण। 

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प्रश्न 23. विजयनगर साम्राज्य के राजकीय आदेशों पर कन्नड़ लिपि में क्या अंकित होता था ? 

उत्तर:

श्री विरुपाक्ष। 

प्रश्न 24.  विजयनगर के शासक 'हिन्दू सूरतराणाका विरुद क्यों धारण करते थे? 

उत्तर:

विजयनगर के शासक देवताओं से अपने गहन सम्बन्धों के प्रतीक के रूप में हिन्दू सूरतराणा विरुद का प्रयोग करते थे। 

प्रश्न 25.  विजयनगर साम्राज्य में राजकीय सत्ता की प्रतीक कौन-सी संरचनाएँ थीं?

उत्तर:

राय गोपुरम अथवा राजकीय प्रवेश द्वार। 

प्रश्न 26. विजयनगर राज्य के किन्हीं दो प्रमुख मन्दिरों का नाम लिखिए। 

उत्तर:

1.         विरुपाक्ष मन्दिर तथा 

2.         विट्ठल मन्दिर। 

प्रश्न 27. विट्ठल मन्दिर की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर:

1.         कई सभागारों का होना तथा 

2.         रथ के आकार का एक अनूठा मन्दिर होना। . 

प्रश्न 28.  हम्पी को यूनेस्को द्वारा विश्व-विरासत स्थल कब घोषित किया गया?

उत्तर:

1986 ई. में। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1. कॉलिन मैकेन्जी कौन थेहम्पी के बारे में उनकी आरंभिक जानकारियाँ किस बात पर आधारित थीं?

उत्तर:

कॉलिन मैकेन्जी एक अभियंतासर्वेक्षक एवं मानचित्रकार थे जो ईस्ट इण्डिया कम्पनी में कार्यरत थे। इन्होंने हम्पी का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया था। इस नगर के बारे में उनकी आरंभिक जानकारियाँ विरुपाक्ष मंदिर एवं पम्पादेवी के पूजा स्थलों के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थीं।

प्रश्न 2. कृष्णदेव राय कौन थे ?

उत्तर:

कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के प्रसिद्ध शासकों में से एक थेजिनका सम्बन्ध तुलुव वंश से था। इन्होंने विजयनगर पर 1509 से 1529 ई तक शासन किया। इनके शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण था। 

प्रश्न 3. विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक विकास में कृष्णदेव राय के योगदान को बताइए।

उत्तर:

कृष्णदेव राय ने विजयनगर में अनेक उत्कृष्ट मंदिरों का निर्माण करवाया। उसने विरुपाक्ष मन्दिर के सामने मण्डप बनवाया तथा दक्षिण भारतीय मंदिरों में भव्य गोपुरमों का निर्माण करवाया। उसने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप ही नगलपुरम् नामक उपनगर की स्थापना की। इसने  अमुक्तमल्यदनामक पुस्तक का तेलुगु भाषा में लेखन किया।

प्रश्न 4. विजयनगर राज्य के पतन के कोई दो कारण बताइए। 

उतर:

1.         विजयनगर राज्य में सिंहासन प्राप्ति के लिए गृहयुद्ध चलते रहने के कारण राज्य की शक्ति कमजोर पड़ गयी। 

2.         565 ई. में राक्षसी-तांगडी (तालीकोटा) के युद्ध में विजयनगर की सेनाएँ बुरी तरह पराजित हुईं। 

प्रश्न 5. विजयनगर के शासक अमर-नायकों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए क्या नीति अपनाते थे ?

उत्तर:

अमर-नायकों को राजा को वर्ष में एक बार भेंट भेजनी पड़ती थी। उन्हें अपनी स्वामिभक्ति प्रकट करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों सहित स्वयं उपस्थित होना पड़ता था। राजा समय-समय पर उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित करते रहते थेपरन्तु उनकी यह नीति पूरी तरह से सफल नहीं रही। 17वीं शताब्दी में कई अमर-नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।

प्रश्न 6. विजयनगर के कमलपुरम् जलाशय के बारे में बताइए।

उत्तर:

कमलपुरम् हौज विजयनगर के सबसे महत्वपूर्ण हौज़ों में से एक था। जिसके पानी से न केवल आस-पास के खेतों को सींचा जाता था बल्कि एक नहर के माध्यम से राजकीय केन्द्र तक भी ले जाया जाता था।

प्रश्न 7. विजयनगर के लोग अपनी आवश्यकताओं के लिए जल कैसे प्राप्त करते थे? 

उत्तर:

1.         विजयनगर में तुंगभद्रा नदी द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक कुण्ड से जल प्राप्त होता था। 

2.         कमलपुरम् जलाशय से जल प्राप्त करते थे। 

3.         हिरिया नहर से भी जल प्राप्त होता था। इस नहर में तुंगभद्रा नदी पर बने बाँध से पानी लाया जाता था। 

प्रश्न 8. आपके विचार में कृषि क्षेत्रों को किलेबंद भू-भाग में क्यों रखा जाता था ?

उत्तर:

1.         मध्यकाल में कृषि क्षेत्रों को किलेबंद भू-भाग में रखे जाने का मुख्य उद्देश्य शत्रु सेना को खाद्य-सामग्री से वंचित कर समर्पण के लिए बाध्य करना होता था।

2.         ये किलेबंदियाँ कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक चल सकती थीं। अतः ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए शासक प्रायः किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नागारों का निर्माण कर लेते थे।  

प्रश्न 9. सभा मंडप क्या था ?

उत्तर:

सभा मंडप एक ऊँचा मंच है जिसमें पास-पास तथा निश्चित दूरी पर लकड़ी के स्तम्भों के लिए छेद बने हुए हैं। इन स्तम्भों पर टिकी दूसरी मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। स्तम्भों के एक-दूसरे से बहुत पास-पास होने से बहुत कम खुला स्थान शेष रहता होगा। इस कारण यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंडप किस प्रयोजन के लिए बनवाया गया था।

प्रश्न 10. लोटस महल के बारे में आप क्या जानते हैं?

उत्तर:

लोटस (कमल) महल विजयनगर के राजकीय केन्द्र के सबसे सुन्दर भवनों में से एक था जिसे यह नाम उन्नीसवीं सदी के अंग्रेज यात्रियों ने दिया था। इतिहासकार इस सम्बन्ध में निश्चित नहीं हैं कि इस भवन का निर्माण किस कार्य के लिए किया गया था। इतिहासकार मैकेंजी द्वारा बनाए गए मानचित्र से यह संकेत मिलता है कि लोटस महल एक परिषदीय सदन थाजहाँ शासक अपने परामर्शदाताओं से भेंट करता था।

प्रश्न 11. 

हजार राम मंदिर कहाँ स्थित थाइसकी कोई दो विशेषताएँ लिखिए। 

उत्तर:

हजार राम मंदिर विजयनगर के राजकीय केन्द्र में स्थित था। विशेषताएँ-

1.         यह एक अत्यन्त दर्शनीय मंदिर है जिसकी आन्तरिक दीवारों पर रामायण से लिए गए कुछ दृश्य उकेरे गए।

2.         सम्भवतः इसका प्रयोग केवल राजा एवं उसके परिवार द्वारा ही किया जाता था। 

3.         इसकी दीवारों पर पटल मूर्तियों का निर्माण किया गया था जिनमें रामायण से लिए गए कुछ दृश्यांश भी सम्मिलित हैं। 

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प्रश्न 12. विजयनगर शासकों के लिए मंदिरों और सम्प्रदायों को प्रश्रय देना क्यों महत्वपूर्ण था?

उत्तर:

विजयनगर शासकों के लिए मंदिर और सम्प्रदाय अपनी सत्तासम्पत्ति और निष्ठा के लिए समर्थन एवं मान्यता के महत्वपूर्ण माध्यम थे। अतः उन्हें प्रश्रय देना उनके लिए महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 13. विजयनगर के शासक स्वयं को देवता या भगवान का प्रतिनिधि होने का दावा कैसे करते थे?

उत्तर:

विजयनगर के शासक भगवान विरुपाक्ष की ओर से शासन करने का दावा करते थे। सभी राजकीय आदेशों पर प्रायः कन्नड़ लिपि में श्री विरुपाक्ष शब्द अंकित होता था। शासक देवताओं में अपने गहन सम्बन्धों के संकेतक के रूप में विरुद 'हिन्दू सूरतराणाका भी प्रयोग करते थे जिसका शाब्दिक अर्थथा- हिन्दू सुलतान।

प्रश्न 14. विरुपाक्ष मंदिर के सभागारों का प्रयोग किस रूप में होता था?

उत्तर:

विरुपाक्ष मंदिर के सभागारों का प्रयोग विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए होता था। इनमें से कुछ ऐसे थे जिनमें . देवालयों की मूर्तियाँ संगीतनृत्य एवं नाटकों के विशेष कार्यक्रमों में देखने के लिए रखी जाती थीं। अन्य सभागारों का प्रयोग देवी-देवताओं के विवाह के उत्सव पर आनंद मनाने एवं कुछ अन्य का प्रयोग देवी-देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था। इन अवसरों पर विशिष्ट मूर्तियों का प्रयोग होता था जो छोटे केन्द्रीय देवालयों में स्थापित मूर्तियों से भिन्न होती थीं। 

प्रश्न 15. विजय नगर राज्य के किन्हीं चार ऐतिहासिक स्मारकों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर:

विजय नगर राज्य के चार ऐतिहासिक स्मारक हैं

1.         विरुपाक्ष मंदिर

2.         हजार राम मन्दिर

3.         कमल महल तथा 

4.         हम्पी। 

प्रश्न 16. डोमिंगो पेस ने कृष्णदेव राय का किस प्रकार वर्णन किया है?

उत्तर:

डोमिंगो पेस एक विदेशी यात्री था जिसने सोलहवीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थीपेस ने विजयनगर की भी यात्रा की थी। पेस ने विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय का वर्णन करते हुए लिखा है कि "मझला कदगोरा रंगअच्छी काठीकुछ मोटाराजा के चेहरे पर चेचक के दाग हैं।" 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1. विजयनगर साम्राज्य ने किस प्रकार अपना उत्थान-पतन देखाइसे किस प्रकार पुनर्जीवित किया गया?

उत्तर:

विजयनगर अथवा विजय का शहर एक शहर एवं एक साम्राज्य दोनों के लिए प्रयोग किया जाने वाला नाम था जिसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी। अपने चरमोत्कर्ष में विजयनगर साम्राज्य उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप में सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। 1565 में बीजापुरअहमदनगर एवं गोलकुण्डा की संयुक्त सेनाओं ने इस साम्राज्य पर हमला कर इसे लूटा तथा कुछ ही वर्षों के भीतर विजयनगर पूरी तरह से उजड़ गया।

17वीं-18वीं शताब्दियों तक यह पूरी तरह से नष्ट हो गया फिर भी कृष्णा-तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र के लोगों की स्मृतियों में यह जीवित रहा। उन्होंने इसे हम्पी नाम से याद रखा जिसका आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पंपादेवी के नाम से हुआ था। इन मौखिक परम्पराओं के साथ-साथ पुरातात्त्विक खोजोंस्थापत्य के नमूनोंअभिलेखों एवं अन्य दस्तावेजों ने विजयनगर के साम्राज्य को पुनः खोजने में विद्वानों की सहायता की।

प्रश्न 2.  विजयनगर साम्राज्य की व्यापारिक स्थिति का वर्णन कीजिए। 

अथवा

विजयनगर साम्राज्य के व्यापार के विकास को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

14वीं से 16वीं सदी के इस काल में सामरिक दृष्टिकोण से घोड़ों का महत्व बहुत अधिक था। अश्वसेना की युद्ध में निर्णायक भूमिका होती थी। प्रारंभिक चरणों में अरब व्यापारियों द्वारा अरब तथा मध्य एशिया से घोड़ों के व्यापार को नियन्त्रित किया जाता था। कुदिरई चेट्टीनामक स्थानीय व्यापारी भी इस कार्य को करते थे। पुर्तगालियों ने 1498 ई. में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर व्यापारिक और सामरिक केन्द्र स्थापित करने के प्रयास आरम्भ कर दिए।

पुर्तगाली बन्दूक के प्रयोग में कुशल थेइसलिए वे समकालीन राजनीति में शक्ति का एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन गए। विजयनगर की समृद्धि इसकी व्यापारिक प्रतिष्ठा की सूचक थी। मसालोंरत्नाभूषणों एवं उत्कृष्ट वस्त्रों के लिए विजयनगर के बाजार दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। व्यापार यहाँ की प्रतिष्ठा का मानक था। यहाँ की समृद्ध और सम्पन्न प्रजा के कारण बहुमूल्य विदेशी वस्तुओं की मांग भी अत्यधिक थी। इस प्रकार आयात तथा निर्यात द्वारा राज्य को उच्च राजस्व की प्राप्ति होती थी।

प्रश्न 3. विजयनगर अथवा विजय का शहर के चरमोत्कर्ष में राजा कृष्णदेव राय की क्या भूमिका थी?

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य के विस्तार में कृष्णदेव राय के योगदान पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:

राजा कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली राजा थे जिनका सम्बन्ध तुलुव वंश से था। उनके शासन की विशेषताएँ राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण थीं। उन्होंने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच स्थित उपजाऊ भू-क्षेत्र रायचूर दोआब पर अधिकार कर अपने राज्य का विस्तार और आर्थिक सुदृढ़ीकरण किया। साथ हीउड़ीसा के शासकों और बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया।

उनकी नीति.सामरिक रूप से युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने की थीपरन्तु राज्य में आन्तरिक शान्ति और समृद्धि की परिस्थितियों में कोई व्यवधान नहीं था। कृष्णदेव राय ने अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया तथा भव्य गोपुरमों के निर्माण का श्रेय भी उनको ही जाता है। उन्होंने कृषि के विस्तार तथा जलापूर्ति के लिए विशाल हौजोंजलाशयों तथा नहरों का भी निर्माण करवाया। इस प्रकार राजा कृष्णदेव राय ने विजयनगर राज्य की धार्मिकआर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि के योगदान में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया।  

प्रश्न 4. राक्षसी-तांगड़ी (तालीकोटा) युद्ध का क्या कारण था ? इसका क्या परिणाम हुआ ?

उत्तर:

1529 ई. में कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात् विजयनगर के चरमोत्कर्ष के पतन की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो गयीं। अराविद वंश ने राजकीय ढाँचे के तनाव का लाभ उठाकर 1542 ई. में विजयनगर की सत्ता पर कब्जा कर लिया। 1565 ई. में विजयनगर की सेना प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में राक्षसी-तांगड़ी (तालीकोटा) के युद्ध में बीजापुरगोलकुंडा और अहमदनगर की सेनाओं द्वारा बुरी तरह पराजित हुई।

इस युद्ध के लिए प्रधानमंत्री रामराय की एक सुल्तान के विरुद्ध दूसरे सुल्तान को युद्ध में खड़ा करने की विफल नीति उत्तरदायी थी। ये सुल्तान एक हो गए और रामराय को करारी हार का सामना करना पड़ा। यह युद्ध एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ। विजयी सेनाओं ने विजयनगर की समृद्धि और वैभव को बुरी तरह लूटकर उसे पूरी तरह विनष्ट कर दिया और यह शानदार गौरवशाली शहर एक उजाड़ के रूप में बदल गया। अराविदु राजवंश ने अपनी सत्ता का केन्द्र यहाँ से हटाकर पेनुकोण्डा और चन्द्रगिरी (तिरुपति) में स्थापित किया।

प्रश्न 5. क्या आप मानते हैं कि तालीकोटा का युद्ध मुस्लिम शासकों के लिए जेहाद था ?

उत्तर:

नहींहम इस बात को नहीं मानते कि तालीकोटा का युद्ध मुस्लिम शसकों के लिए जेहाद था। कुछ विद्वान यह अवश्य मानते हैं कि तालीकोटा के युद्ध का कारण धार्मिक थापरन्तु यह पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। इस युद्ध का कारण राजनीतिक अधिक प्रतीत होता है क्योंकि पूरे दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य को चुनौती देने वाला कोई भी नहीं था। मुस्लिम शासक विजयनगर की सैनिक शक्ति से आतंकित थेइसलिए उन्होंने एक संघ बनाकर विजयनगर साम्राज्य पर आक्रमण किया। 



प्रश्न 6.  नायक किसे कहते थे ? अमर-नायक प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?

अथवा 

विजयनगर के प्रशासन में अमर नायक प्रणाली की भूमिका का उल्लेख कीजिए।

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य में प्रारम्भ की गई अमस्-नायक प्रणाली की मुख्य विशेषताओं का विश्लेषण कीजिए।

उत्तर:

सेना-प्रमुख जिनके पास सशस्त्र सैनिक होते थे और जो किलों पर नियंत्रण रखते थे 'नायककहलाते थे। नायकों की प्रवृत्ति अधिकतर अवसरवादी होती थी तथा समय के अनुसार ये शासकों का प्रभुत्व स्वीकार कर लेते थे और अवसर पाकर विद्रोह भी कर देते थे। ये तेलुगु या कन्नड़ भाषा बोलते थे। इनके विद्रोह को शासकों द्वारा सैनिक कार्यवाही से दबाया जाता था।

विजयनगर साम्राज्य ने दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली के आधार पर 'अमर-नायकनामक राजनीतिक प्रणाली की खोज की। अमर शब्द का उद्भव संस्कृत के शब्द 'समरसे हुआ है जिसका अर्थ है-लड़ाई या युद्ध। इसका अर्थ फारसी के शब्द अमीर से भी मिलता है और अमीर यानी ऊँचे पद का कुलीन व्यक्ति। अमर-नायकों को सैनिक कमांडरों की पदवी दी जाती थी।

राय शासकों द्वारा उन्हें प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। अमर-नायकों का कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में किसानोंशिल्पकारोंव्यापारियों से राजस्व संग्रह कर राजकीय कोष में जमा करना थाराजस्व का कुछ निर्धारित प्रतिशत इन्हें अपने खर्चे हेतु दिया जाता था। ये राज्य की सैनिक सहायता भी करते थे और वर्ष में एक बार भेंट या उपहार राजा को प्रदान कर अपनी स्वामिभक्ति का प्रदर्शन करते थे। 

प्रश्न 7. विजयनगर को राजधानी के रूप में चयनित करने का आधार क्या था? .

उत्तर:

सम्भवतः विजयनगर को राजधानी के रूप में चयनित करने का आधार विजयनगर में भगवान विरुपाक्ष और पम्पादेवी (मातृदेवी) के मन्दिरों का स्थित होना रहा हो। विजयनगर के शासक अपने-आपको भगवान श्री विरुपाक्ष का प्रतिनिधि मानकर शासन करने का दावा करते थे। राज्य के सभी राजकीय आदेशों पर 'श्री विरुपाक्षशब्द कन्नड़ भाषा में सबसे शीर्ष पर अंकित किया जाता था। 'हिन्दू सूरतराणाशब्द का प्रयोग शासकों के द्वारा देवताओं से गहन सम्बन्ध दर्शाने हेतु श्री विरुपाक्ष के बाद किया जाता था। इसके अतिरिक्त यह क्षेत्र कई धार्मिक मान्यताओं के साथ सम्बद्ध होने के साथ-साथ राजधानी हेतु उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों से भी युक्त था। 

प्रश्न 8. 'गोपुरम्पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अथवा , 

मन्दिरों के निर्माण में विजयनगर के शासकों द्वारा प्रारम्भ किए गए किन्हीं तीन नवाचारों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:

विजयनगर के शासकों द्वारा मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला में कई नए तत्वों का समावेश किया गया है। राय गोपुरम् इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है। गोपुरम् की मीनारों की विशालता इस बात को प्रमाणित करती है कि तत्कालीन विजयनगर के शासक इतने ऊँचे गोपुरम् के निर्माण हेतु आवश्यक सामग्रीतकनीक व साधन जुटाने में सक्षम थे। गोपुरम् एक प्रकार से राजकीय प्रवेश द्वार थे जो दूर से ही मन्दिर होने का संकेत देते थे। गोपुरम् के अन्य विशिष्ट अभिलक्षणों में मंडप तथा लम्बे स्तम्भों वाले गलियारे देवस्थलों को चारों ओर से घेरे हुए थे। 

प्रश्न 9.  विरुपाक्ष मन्दिर का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य के विरूपाक्ष मन्दिर की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर:

विरुपाक्ष मन्दिरं के निर्माण में कई शताब्दियों का लम्बा समय लगा। सबसे प्राचीन मन्दिरजो नवीं-दसवीं शताब्दी के कालखण्ड में निर्मित थाका विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद व्यापक विस्तार किया गया। राजा कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में मुख्य मन्दिर के सामने मंडप का निर्माण कराया। इस मन्दिर के स्तम्भों पर अत्यन्त सुन्दर उत्कीर्णन किया गया है। पूर्वी गोपुरम् भी राजा कृष्णदेव राय के शासनकाल में ही निर्मित हुआ।

मन्दिर में निर्मित सभागारों को विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों हेतु प्रयोग में लाया जाता था। देवी-देवताओं को झूला झुलाने हेतु तथा देवी-देवताओं के वैवाहिक उत्सवों का आनन्द मनाने हेतु अन्य सभागारों का प्रयोग किया जाता था। यह मन्दिर तत्कालीन समय की स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है। 

प्रश्न 10. विट्ठल मन्दिर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य के विट्ठल मन्दिर की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

अथवा 

विजयनगर के विट्ठल मन्दिर को अनूठा और रोचक क्यों समझा जाता थाउदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

विट्ठल मन्दिर विजयनगर का दूसरा महत्वपूर्ण मन्दिर है। भगवान विट्ठल को विष्णु का स्वरूप माना जाता है तथा ये महाराष्ट्र में प्रमुख देव के रूप में पूजे जाते हैं। कर्नाटक में भगवान विट्ठलं के मन्दिर की स्थापना तथा पूजा-आराधना विजयनगर के शासकों द्वारा अलग-अलग प्रदेशों की परम्पराओं को आत्मसात करने का उदाहरण है। इस मन्दिर की विशेषता रथ के आकार का एक अनूठा मन्दिर है। कहा जाता है कि रथ के आकार के मन्दिर सूर्य देवता हेतु निर्मित किए गए थे।

मन्दिर के परिसरों में पत्थर के टुकड़ों के फर्श से निर्मित गलियाँ हैं जिनके दोनों ओर बने मंडपों में व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे। विट्ठल मन्दिर के पत्थरों पर सुन्दर फूलोंभयानक जानवरों और नृत्य करती हुई सुन्दर स्त्रियों का उत्कीर्णन हैजिन्हें देखकर दर्शक स्तब्ध रह जाता है। विट्ठल मन्दिर की मूर्ति कलाकोमलता और भयानकता का सन्तुलित रूप है।

प्रश्न 11. "विजयनगर संसार का सबसे सम्पन्न नगर है" डोमिंगो पेस ने ऐसा क्यों कहा था ?

उत्तर:

डोमिंगो पेस पुर्तगाल का यात्री था जो विजयनगर साम्राज्य में आया था जिसने विजयनगर को संसार का सबसे सम्पन्न नगर कहा है। उसने ऐसा इसलिए कहाक्योंकि यहाँ के राजा के पास बहुत भारी खजाना हैजिसमें सोने और चाँदी की बहुलता है। राजा के पास असंख्य सैनिक तथा हाथी हैं। इस नगर में बहुमूल्य हीरे पाये जाते हैं। साधारण व्यक्ति भी हाथों में सोने-चांदी के आभूषण तथा गले में हार पहनता है। यह संसार में सबसे सम्पन्न नगर है। विजयनगर की सम्पन्नता एवं समृद्धि के कारण ही पेस ने ऐसा कहा था।  

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. विजयनगर साम्राज्य के उत्कर्ष एवं पतन की विस्तृत व्याख्या करें।

उत्तर:

चौदहवीं शताब्दी में स्थापित विजयनगर अथवा 'विजय का शहरका विस्तार उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर प्रायद्वीप के । सुदूर दक्षिण तक फैला हुआ था। 14वीं शताब्दी का समय विजयनगर साम्राज्य के चरमोत्कर्ष का समय कहा जाता है। अति समृद्ध और सुन्दर विजयनगर 1565 ई. में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा बुरी तरह विनष्ट कर दिया गया। 17वीं और 18वीं शताब्दी आते-आते यह एक उजाड़ के रूप में शेष रह गया। विजयनगर के उत्कर्ष और अपकर्ष का क्रमिक वर्णन इस प्रकार है विजयनगर के शासकों का क्रम प्रायः शासकीय वंश के सदस्य एवं सैनिक कमाण्डर सत्ता के प्रमुख दावेदार हआ करते थे।

संगम वंश विजयनगर का पहला राजवंश था जिसने 1485 ई. तक राज्य किया। 1485 ई. में सुलवों द्वारा संगम वंश को . सत्ताच्युत किया गया और सुलुवों ने 1503  बाद तुलुवों ने सुलुवों को पराजित कर विजयनगर पर अपना अधिकार कर लिया। तुलुव वंश के सबसे प्रभावशाली शासक कृष्णदेव राय थे। 

कृष्णदेव राय : विजयनगर के चरमोत्कर्ष का समय कृष्णदेव राय की राजनीतिक विशेषताएँ राज्य का विरतार और सुदृढ़ीकरण की नीतियाँ थीं। कृष्णदेव राय ने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के उपजाऊ भू-क्षेत्र पर 1512 ई. में अधिकार करके अपने राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया। राजा कृष्णदेव राय ने उड़ीसा के शासकों और बीजापुर के सुल्तान को क्रमशः 1514 एवं 1520 ई. में पराजित कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। 

कृष्णदेव राय की नीति सामरिक रूप से युद्ध के लिए सदैव तैयार रहने की थीपरन्तु राज्य की आन्तरिक शान्ति और  समृद्धि की परिस्थितियों में कोई व्यवधान नहीं था। अनेक मन्दिरों और भव्य गोपुरमों के निर्माण का श्रेय भी कृष्णदेव राय को  ही जाता है। कृष्णदेव राय ने अपनी माँ के नाम पर विजयनगर के समीप ही 'नगलपुरम्नामक उपनगर भी बसाया। कृषि के विकास एवं जलापूर्ति हेतु विशाल हौजों और जलाशयों एवं नहरों का निर्माण भी राजा कृष्णदेव राय के शासनकाल में हुआ। इस प्रकार कृष्णदेव राय ने विजयनगर राज्य की धार्मिकआर्थिकसामाजिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि के व्यापक विस्तार में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया। विजयनगर साम्राज्य के चरमोत्कर्ष का पतन 1529 ई. में कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात् विजयनगर के पतन की परिस्थितियाँ उत्पन्न होने लगी।

राजकीय ढाँचे के तनाव का लाभ उठाकर अराविदु वंश ने 1542 ई. में विजयनगर की सत्ता पर अपना अधिकार कर लिया। 17वीं शताब्दी तक सत्ता अराविदु वंश के अधीन रही। अराविद् शासकों के शासनकाल में भी पूर्व की भाँति दक्कन की सल्तनतों के शासकों एवं विजयनगर के शासकों के बीच महत्वाकांक्षाओं के कारण समीकरण परिवर्तित होते रहे और 1565 ई. में इन महत्वाकांक्षाओं की परिणति एक भयंकर युद्ध जिसे राक्षसी-तांगड़ी या तालीकोटा का युद्ध कहा जाता हैके रूप में हुई। प्रधानमंत्री रामराय के नेतृत्व में लड़े गए इस युद्ध में विजयनगर की सेनाबीजापुरगोलकुंडा और अहमदनगर की सेनाओं द्वारा संयुक्त रूप से बुरी तरह पराजित हुई। यह युद्ध विजयनगर के भाग्य के लिए एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुआ। विजयी सेनाओं ने विजयनगर की समृद्धि और शहर को उजाड़ दिया। अराविद् राजवंश ने अपनी सत्ता का केन्द्र यहाँ से हटाकर पेनुकोण्डा और चन्द्रगिरी (तिरुपति के समीप) में स्थापित किया।

प्रश्न 2. विजयनगर साम्राज्य की प्रमुख राजनीतिक खोज 'अमर-नायक प्रणालीका वर्णन कीजिए। 

उत्तर:

विजयनगर साम्राज्य में सेना प्रमुखों का एक ऐसा वर्ग थाजिनके पास अपने सशस्त्र सैनिक होते थेये किलों पर नियन्त्रण रखते थे एवं एक स्थान से दूसरे स्थान पर अच्छे अवसरों की खोज में घूमते रहते थे। अच्छी उपजाऊ भूमि की खोज में इनका साथ देते थे। इस वर्ग के लोगों को 'नायककहा जाता था। यह तेलुगु या कन्नड़ भाषा बोलते थे। नायकों की प्रवृत्ति प्रायः अवसरवादी होती थी। समय के अनुसार ये शासकों का प्रभुत्व स्वीकार कर लेते थे और अवसर पाकर विद्रोह भी कर देते थे। शासक इनके विद्रोह को सेना के द्वारा सैनिक कार्यवाही से दबाते थे।

अमरनायक प्रणाली 'अमर-नायक प्रणालीविजयनगर साम्राज्य की प्रमुख राजनीतिक खोज थी। विजयनगर के शासकों ने दिल्ली सल्तनत की 'इक्ता प्रणालीके आधार पर अमर-नायक प्रणाली की खोज की थी। विजयनगर के शासकों द्वारा अमर नायकों को सैनिक कमांडरों की पदवी दी जाती थी और उन्हें प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी। अमर-नायकों का कार्य अपने-अपने क्षेत्रों से किसानोंशिल्पकर्मियोंव्यापारियों आदि से भू-राजस्व व अन्य करों को वसूल कर प्राप्त राशि को राज्य के. राजकीय कोष में जमा करना था। 

राजस्व का कुछ निर्धारित भाग वह अपने व्यक्तिगत व प्रशासनिक कार्यों हेतु अपने पास रख सकते थे। इसके अतिरिक्त अमर-नायकों के दल विजयनगर के शासकों के लिए प्रभावी सैनिक शक्ति का स्रोत थे। विजयनगर के शासकों ने अमर-नायकों के सहयोग से पूरे दक्षिणी प्रायद्वीप पर अपना निर्बाध नियंत्रण कर रखा था। अमर-नायकों को इसके अतिरिक्त कुछ सामाजिक अधिकार भी दिए गए थे जिनके अन्तर्गत वे राजस्व का कुछ भाग मन्दिरों तथा सिंचाई के साधनों के रख-रखाव तथा ! अन्य व्यवस्थाओं पर भी खर्च कर सकते थे।

राजकीय दरबार में अमर-नायकों की उपस्थिति अमर-नायक वर्ष में एक बार राजा के प्रति अपनी स्वामिभक्ति प्रदर्शित करने के लिए भेंट व उपहार सामग्री लेकर दरबार में उपस्थित होते थे। इस प्रकार वे राजा के प्रति अपनी अधीनता व स्वामिभक्ति प्रकट करते थे। राजा भी अमर-नायकों को कभी-कभी उनके क्षेत्रों को बदलने के लिए उनका स्थाना- ण कर राजा अमर-नायकों पर अपना नियन्त्रण दर्शाते थे। कई अमर-नायकों ने अवसर का लाभ उठाकर सत्रहवीं शताब्दी में अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित कर ली थी जिसके फलस्वरूप काय ढाँचे का विघटन श दाता से होने लगा था।

प्रश्न 3. विजयनगर की अभूतपूर्व सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में विजयनगर की किलेबन्दी और सड़कों का विस्तृत वर्णन कीजिए।

अथवा 

"किलेबन्दी की दीवारों ने न केवल विजयनगर के शहर को अपितु कृषि में प्रयुक्त आस-पास के क्षेत्रों तथा जंगलों  को भी घेरा था।" इस कथन के प्रकाश में किलेबन्दी के महत्व की व्याख्या कीजिए।

अथवा 

विजयनगर के शहरी किलेबंदित क्षेत्र के मध्य कृषि में प्रयुक्त भूमि को घेरने के महत्व को स्पष्ट कीजिए। 

अथवा

विजयनगर साम्राज्य की किलेबन्दी पर अब्दुर रज्जाक द्वारा व्यक्त किए गए किन्हीं चार पहलुओं पर प्रकाश डालिए।

उत्तर:

विजयनगर के शासकों द्वारा विजयनगर की सुरक्षा हेतु अभूतपूर्व किलेबन्दी की व्यवस्था की गयी थी। तात्कालिक समय में किले तथा किलेबन्दियाँ सत्ता के लिये संघर्ष के प्रतीक थे। बाह्य आक्रमणों से बचने के लिये किलेबन्दी अनिवार्य थी। नगरों को इस प्रकार बनाया जाता था कि प्रत्येक नगर स्वयं में एक किला था। किसी भी व्यक्ति को विजयनगर में प्रवेश के लिए विजयनगर के केन्द्र तक पहुँचने हेतु किलेबन्दियों तथा सुरक्षित क्षेत्रों से गुजरना पड़ता था। फारस के शासक का दूत अब्दुर रज्जाकजो पन्द्रहवीं शताब्दी में कोजीकोड (कालीकट) आया थायहाँ की किलेबन्दी को देखकर बहुत ही प्रभावित हुआ। अब्दुर रज्जाक ने अपने वर्णन में किलों की सात पंक्तियों का उल्लेख किया है। किलेबन्दी में केवल शहरी आवासीय क्षेत्र ही नहींबल्कि कृषि क्षेत्र और जंगलों को भी घेरा गया था।



बाह्य पंक्तिसबसे बाहरी पंक्ति की दीवार शहर के चारों ओर की पहाड़ियों को आपस में जोड़ती थी। दीवार की संरचना शुण्डाकार थीदीवार का निर्माण पत्थर के टुकड़ों जो कि घनाकार थेको आपस में फंसाकर किया गया था। दीवार के निर्माण में गारे या मसाले का प्रयोग नहीं किया गया था। सुरक्षा हेतु प्रहरियों के लिए वर्गाकार एवं आयताकार बुों का भी दीवार के साथ निर्माण किया गया था जो कि बाहर की ओर निकले हुए थे। 

कृषि भूमि की किलेबन्दी:

कृषि-भू-भाग की किलेबन्दी विजयनगर के शासकों की दूरदर्शिता का परिचायक है। अब्दुर रज्जाक ने अपने वर्णन में लिखा है कि "पहलीदूसरी और तीसरी दीवारों के बीच जुते हुए खेतबगीचे और आवास हैं।" डोमिंगो पेस नामक यात्रीजो कि सोलहवीं शताब्दी में इस क्षेत्र में आया थाने इस किलेबन्दी का वर्णन इस प्रकार किया है, "इस पहली परिधि से शहर में प्रवेश करने तक की दूरी बहुत हैजिसमें खेत हैंजहाँ वे धान उगाते हैं और कई उद्यान हैं और बहुत-सा जल दो झीलों से लाया जाता है।" अब्दुर रज्जाक तथा डोमिंगो पेस के वर्णन की पुष्टि पुरातत्वविदों द्वारा भी की गई है जिन्होंने धार्मिक केन्द्र तथा नगरीय केन्द्र के मध्य कृषि क्षेत्र होने के प्रमाण खोज निकाले हैं। तुंगभद्रा नदी से व्यापक नहर प्रणाली द्वारा इस कृषि भू-भाग की सिंचाई की व्यवस्था की गई थी।

दूसरी और तीसरी किलेबन्दी:

नगरीय केन्द्र के आन्तरिक भाग को दूसरी किलेबन्दी के द्वारा तथा शासकीय केन्द्र को तीसरी किलेबन्दी के द्वारा घेरा गया था। शासकीय केन्द्र में प्रमुख इमारतों की ऊँची दीवारों द्वारा अलग से घेराबन्दी की गई थी। सुरक्षित प्रवेश द्वार तथा सड़कें विजयनगर के दुर्ग में प्रवेश के लिये आवश्यकता के अनुसार अति सुरक्षित प्रवेश द्वारों का निर्माण किया गया था। शहर की मुख्य सड़कें इन सुरक्षित द्वारों से सम्बन्धित होती थीं। प्रवेश द्वारों की स्थापत्य कला भव्य थी। प्रवेश द्वार की मेहराबों तथा गुम्बदों के निर्माण में इण्डो-इस्लामिक (हिन्द-इस्लामी) शैली का प्रयोग किया गया था। इतिहासकारों ने सड़कों की खोज प्रवेश द्वार से होकर जाने वाले रास्तों के अनुरेखण से की थी। सड़कें प्रायः घाटियों से ही होकर बनी हुई थीं। महत्वपूर्ण सड़कों के दोनों ओर बाजार थे और सड़कें मन्दिर के प्रवेश द्वारों तक जाती थीं।   

प्रश्न 4. विजयनगर शहर के धार्मिक केन्द्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।

अथवा 

विजयनगर साम्राज्य के राजकीय केन्द्र विरुपाक्ष मन्दिर तथा विट्ठल मन्दिर की विशिष्ट विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

विजयनगर शहरजो कि तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा हुआ थाका उत्तरी क्षेत्र पहाड़ियों से घिरा हुआ है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार ये पहाड़ियाँ रामायण में वर्णित बाली और सुग्रीव के राज्य की रक्षा करती थीं। ऐसी भी मान्यताएँ हैं कि विरुपाक्ष भगवानजो शिव का रूप थे और विजयनगर राज्य के संरक्षक थेसे विवाह हेतु स्थानीय मातृदेवी ‘पम्पा देवीने पहाड़ियों में तपस्या की थी। आज भी प्रतीकात्मक रूप से प्रतिवर्ष यह विवाह विरुपाक्ष मन्दिर में धूमधाम से आयोजित किया जाता है। धार्मिक क्षेत्र में मन्दिर निर्माण की एक प्राचीन परिपाटी रही हैपल्लवचालुक्यहोयसल तथा चोलवंशों के राजाओं द्वारा भी इस क्षेत्र में मन्दिरों का निर्माण कराया गया है।

मन्दिर केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि शैक्षिकसामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों के भी केन्द्र थे।

धार्मिक आस्था : राजधानी के रूप में विजयनगर का चयनसम्भवतः विजयनगर को राजधानी के रूप में चयनित करने का कारण यहाँ 'भगवान विरुपाक्षऔर पम्पा देवी के मन्दिरों का स्थित होना रहा हो। विजयनगर के शासक अपने-आपको भगवान विरुपाक्ष का प्रतिनिधि मानकर शासन करने का दावा करते थे। राज्य के सभी राजकीय आदेशों पर 'श्री विरुपाक्षशब्द कन्नड़ लिपि में सबसे ऊपर अंकित किया जाता था। शासकों द्वारा 'हिन्दू सूरतराणाशब्द का प्रयोग देवताओं से अपने गहन सम्बन्धों को दर्शाने हेतु 'श्री विरुपाक्षके बाद किया जाता था।

'गोपुरम् और मण्डप'- इस समय तक मन्दिर निर्माण की स्थापत्य कला में कई नए तत्वों का समावेश हुआ। राय गोपुरम् अथवा राजकीय प्रवेश द्वार इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है। राय शब्द का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि इसका निर्माण विजयनगर के राय शासकों द्वारा किया गया। राय गोपुरम् की विशालता इस बात को प्रमाणित करती है कि तत्कालीन विजयनगर के शासक इतने ऊँचे गोपुरम के निर्माण हेतु आवश्यक सामग्रीसाधन व तकनीक का प्रबन्ध करने में सक्षम थे। इनके सामने केन्द्रीय देवालयों की मीनारें बहुत छोटी प्रतीत होती थीं। मन्दिर के परिसर में मंडप तथा लम्बे स्तम्भों वाले गलियारे देवस्थलों के चारों ओर बने हुए थे।

विरुपाक्ष मन्दिर विरुपाक्ष मन्दिर के निर्माण में कई शताब्दियों का लम्बा समय लगा। सबसे प्राचीन मन्दिरजो कि नवीं-दसवीं शताब्दी के कालखण्ड में निर्मित थाका विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के बाद व्यापक विस्तार किया गया। राजा कृष्णदेव राय ने अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में मुख्य मन्दिर के सामने मंडप का निर्माण करवाया जिसके स्तम्भों पर अत्यन्त सुन्दर उत्कीर्णन किया गया है। पूर्वी गोपुरम् भी कृष्णदेव राय के शासनकाल में ही निर्मित हुआ। मन्दिर में निर्मित विभिन्न सभागारों को धार्मिक अनुष्ठान के कार्यों में प्रयोग में लाया जाता था।

देवी-देवताओं को झूला झुलाने तथा उनके वैवाहिक उत्सवों का आनन्द मनाने हेतु अन्य सभागारों का प्रयोग किया जाता था। विट्ठल मन्दिरविट्ठल मन्दिर भी विजयनगर के धार्मिक केन्द्र का दूसरा महत्वपूर्ण मन्दिर है। भगवान विट्ठल को विष्णु का स्वरूप माना जाता है। महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल प्रमुख आराध्य देव के रूप में पूजे जाते हैं। कर्नाटक में विट्ठल की पूजा विजयनगर के शासकों द्वारा अलग-अलग प्रदेशों की परम्पराओं को आत्मसात् करने का उदाहरण है। इस मन्दिर के परिसरों की विशेषता रथ की प्रतिकृति के बने मन्दिर हैं। मन्दिर के परिसरों में पत्थर के टुकड़ों से निर्मित गलियाँ हैंजिनके दोनों ओर बने मंडपों में व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे। कुछ नायकों के द्वारा भी गोपुरमों के निर्माण के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।


 


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