Class -
10 Social Science (History)
Chapter-3 (भूमंडलीकृत विश्व का बनना)
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध
कौनसे दो गुटों के बीच लड़ा गया था?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध मित्र राष्ट्रों और धुरी शक्तियों के बीच लड़ा
गया था।
प्रश्न 2. प्रथम विश्व युद्ध के
दोनों गुटों में कौन-कौन से देश शामिल थे?
उत्तर:
मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन, फ्रांस और
रूस थे तथा धुरी शक्तियों में जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी
और ऑटोमन तुर्क शामिल थे।
प्रश्न 3. 16वीं शताब्दी में
दुनिया सिकुड़ने लगी थी। इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ है कि संसार के देश एक-दूसरे के निकट आने लगे थे तथा वे
परस्पर निर्भर हो गये थे।
प्रश्न 4. पाँच सौ वर्ष पूर्व
हमारे पूर्वजों के पास कौन-कौन से पदार्थ नहीं थे?
उत्तर:
आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, मिर्च, शकरकंद
आदि।
प्रश्न 5. 19वीं शताब्दी में
यूरोप में लोग किन महाद्वीपों में जाकर बसे?
उत्तर:
अमेरिका एवं आस्ट्रेलिया महाद्वीप।
प्रश्न 6. प्रथम विश्व युद्ध के
बाद विश्व को किस संकट का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
आर्थिक महामंदी का।
प्रश्न 7. यूरोपीय देशों ने
अफ्रीका के बंटवारे के लिए कहाँ बैठक आयोजित की और कब की?
उत्तर:
· बर्लिन में
· 1885 में।
प्रश्न 8. इंग्लैण्ड ट्रांसवाल
पर क्यों आधिपत्य स्थापित करना चाहता था?
उत्तर:
क्योंकि ट्रांसवाल में सोना बहुत बड़ी मात्रा में पाया जाता था।
प्रश्न 9. भारत से विदेशों में
निर्यात की जाने वाली दो वस्तुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
· कपास
· नील।
प्रश्न 10. आर्थिक महामन्दी की
शुरुआत कब से हुई?
उत्तर:
1929 से।
प्रश्न 11. द्वितीय विश्वयुद्ध
में शामिल होने वाली धुरी शक्तियाँ कौनसी थीं?
उत्तर:
· जर्मनी
· जापान
· इटली।
प्रश्न 12. द्वितीय विश्वयुद्ध
के बाद किन दो महाशक्तियों का उदय हुआ?
उत्तर:
· संयुक्त राज्य अमेरिका
· सोवियत संघ।
प्रश्न 13. 'ब्रेटन वुड्स
संस्थान' किसे कहा जाता है?
उत्तर:
विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को 'ब्रेटन वुड्स संस्थान' कहा जाता है।
प्रश्न 14. भूमंडलीकृत विश्व के
बनने की प्रक्रिया में सहायक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
· (1) व्यापार,
· काम की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते लोग,
· पूँजी व
· अनेक वस्तुओं की वैश्विक आवाजाही।
प्रश्न 15. 'रेशम मार्ग' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आधुनिक काल से पहले जिन मार्गों से चीनी रेशम पश्चिम के देशों में
भेजा जाता था, वह रेशम मार्ग कहलाते हैं।
प्रश्न 16. रेशम मार्ग किन-किन
क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ते थे?
उत्तर:
· सिल्क मार्ग एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ते थे।
· ये एशिया को यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे।
प्रश्न 17. यूरोप के किस देश
में आलू का भीषण अकाल पड़ा और कब पड़ा?
उत्तर:
1845 से 1849 के बीच आयरलैण्ड
में आलू का भीषण अकाल पड़ा।
प्रश्न 18. किन कारणों से यूरोप
के देशों से बड़ी संख्या में लोग अमेरिका पहुँचे?
उत्तर:
· सोना, चांदी प्राप्त करने के लिए,
· धार्मिक अत्याचारों से बचने के लिए,
· कृषि-कार्य करने के लिए।
प्रश्न 19. अन्तर्राष्ट्रीय
आर्थिक विनिमय में मुख्यतः कितने प्रकार के प्रवाह हैं?
उत्तर:
तीन प्रकार के-
· व्यापार का प्रवाह,
· श्रम का प्रवाह,
· पूँजी का प्रवाह।
प्रश्न 20. कॉर्न लॉ क्या था?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने जिन कानूनों के सहारे मक्का के आयात पर पाबन्दी
लगा दी थी, उन्हें 'कॉर्न लॉ' कहते हैं।
प्रश्न 21. 'केनाल कॉलोनी' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ब्रिटिशकाल में नई नहरों की सिंचाई वाले क्षेत्रों में पंजाब में
अन्य स्थानों के लोगों की बस्तियों को 'केनाल कॉलोनी' कहा जाता था।
प्रश्न 22. रिंडरपेस्ट के बारे
में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अफ्रीका में 1890 के दशक में
रिंडरपेस्ट नामक बीमारी फैल गई। इससे अफ्रीका में लगभग 90 प्रतिशत पशु मौत के मुँह में चले गए।
प्रश्न 23. 'होसे' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
त्रिनिदाद में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को एक विशाल उत्सवी मेले का
रूप दिया गया। इस मेले को 'होसे' कहा जाता है।
प्रश्न 24. 'चटनी म्यूजिक' कहाँ प्रसिद्ध था?
उत्तर:
त्रिनिदाद और गुयाना में 'चटनी म्यूजिक' बड़ा लोकप्रिय था।
प्रश्न 25. शिकारीपुरी श्रॉफ
तथा नटूकोट्टई चेट्टियार कौन थे?
उत्तर:
शिकारीपुरी श्रॉफ तथा नटूकोट्टई चेट्टियार विदेशों में भारतीय उद्यमी
थे। ये मध्य एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में निर्यातोन्मुखी खेती के लिए ऋण देते थे।
प्रश्न 26. क्रिस्टोफर कोलम्बस
गलती से किस अज्ञात महाद्वीप में पहुँचा था?
उत्तर;
अमेरिका।
प्रश्न 27. हेनरी फोर्ड ने
कारों के उत्पादन के लिए कौनसी पद्धति अपनाई?
उत्तर:
हेनरी फोर्ड ने कारों के उत्पादन के लिए असेम्बली लाइन की पद्धति
अपनाई।
प्रश्न 28. 'हायर-परचेज' व्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
'हायर-परचेज' व्यवस्था में अमेरिकी लोग
कार आदि चीजें कर्जे पर खरीदते थे और उनका मूल्य किस्तों में चुकाते थे।
प्रश्न 29. विश्वव्यापी आर्थिक
महामन्दी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विश्वव्यापी आर्थिक महामन्दी की शुरूआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा।
प्रश्न 30. विश्वव्यापी आर्थिक
मन्दी का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी के फलस्वरूप 1928 से 1934 के बीच भारत के आयात-निर्यात घटकर
लगभग आधे रह गए थे।
प्रश्न 31. विश्व बैंक की
स्थापना कब और क्यों की गई?
उत्तर:
युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने हेतु 1947 में विश्व बैंक की स्थापना की गई।
प्रश्न 32. 'ब्रेटन वुड्स
व्यवस्था' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को 'ब्रेटन वुड्स व्यवस्था' भी कहा जाता है।
प्रश्न 33. 'ब्रेटन वुड्स की
जुड़वां सन्तान' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को 'ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान' कहा जाता है।
प्रश्न 34. उस तकनीक का नाम
बताइए जिससे शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं को भी लम्बी यात्राओं पर ले जाया जा
सकता है।
उत्तर:
जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक ।
प्रश्न 35. अधिकांश अफ्रीकी
देशों की सीमाएँ बिल्कुल सीधी लकीर जैसी क्यों हैं?
उत्तर:
क्योंकि यूरोप के ताकतवर देशों ने 1885 में बर्लिन में एक बैठक में अफ्रीका के नक्शे पर लकीरें खींचकर उसे आपस
में बाँट लिया था।
प्रश्न 36. स्पेनियों द्वारा
अमेरिका की विजय में कौनसा तत्व सबसे अधिक सहायक सिद्ध हुआ?
उत्तर:
स्पेनिश सैनिकों के साथ चेचक के कीटाणु अमेरिका जा पहुँचे जिसके
परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर अमेरिकी लोग मारे गए। इससे स्पेन का अमेरिका पर
अधिकार हो गया।
प्रश्न 37. अफ्रीका में अपने
उपनिवेश स्थापित करने वाले चार प्रमुख देशों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
· ब्रिटेन
· फ्रांस
· बेल्जियम
· जर्मनी।
प्रश्न 38. भारतीय अनुबन्धित
श्रमिकों को मुख्य रूप से किन देशों में ले जाया जाता था?
उत्तर:
भारतीय अनुबन्धित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरीबियन द्वीप समूह
(मुख्यतः त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम), मारिशस तथा फिजी ले जाया जाता था।
प्रश्न 39. 1920 के दशक की
अमेरिकी अर्थव्यवस्था की क्या बड़ी विशेषता थी?
उत्तर:
1920 के दशक की अमेरिकी अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता
वृहत उत्पादन के चयन की थी।
प्रश्न 40. हेनरी फोर्ड कौन थे?
उत्तर:
हेनरी फोर्ड अमेरिका के एक प्रसिद्ध उद्योगपति तथा कार निर्माता थे।
वह अमेरिका के वृहत उत्पादन के विख्यात प्रणेता थे।
प्रश्न 41. विश्वव्यापी आर्थिक
मन्दी का सबसे बुरा प्रभाव किस देश पर पड़ा?
उत्तर:
विश्वव्यापी आर्थिक मन्दी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका पर पड़ा।
प्रश्न 42. विश्वव्यापी आर्थिक
मन्दी के अमेरिका पर पड़े दो प्रभाव बताइए।
उत्तर:
· अमेरिका के हजारों बैंक दिवालिया हो गए और बन्द कर दिये गये।
· व्यापार चौपट हो गया और बेरोजगारी फैल गई।
प्रश्न 43. 'जी-77' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विकासशील देशों ने एक नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली स्थापित
करने के लिए एक समूह का गठन किया, जिसे 'जी-77' कहते हैं।
प्रश्न 44. संयुक्त राष्ट्र
मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन कहाँ आयोजित किया गया और कब किया गया?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन अमेरिका में स्थित
न्यू हैम्पशायर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर जुलाई, 1944 में आयोजित किया गया।
प्रश्न 45. वीटो (निषेधाधिकार)
क्या है?
उत्तर:
वीटो (निषेधाधिकार) वह अधिभार है जिसके सहारे एक सदस्य की भी असहमति
किसी भी प्रस्ताव को खारिज करने का आधार बन जाती है।
प्रश्न 46. आयात शुल्क किसे
कहते हैं?
उत्तर:
किसी दूसरे देश में आने वाली वस्तु पर वसूल किया जाने वाले शुल्क
आयात शुल्क कहलाता है।
प्रश्न 47. युद्धोत्तर
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह
था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)
प्रश्न 1. भूमंडलीकृत विश्व के
बनने की प्रक्रिया में कौन-से तत्वों का एक लम्बा इतिहास रहा है?
उत्तर:
भूमंडलीकृत विश्व के बनने की प्रक्रिया में निम्न तत्वों का एक
लम्बा इतिहास रहा है-
· व्यापार
· काम की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते लोग
· पूँजी व बहुत सारी चीजों की वैश्विक आवाजाही।
प्रश्न 2. "हमारे खाद्य
पदार्थ दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई उदाहरण पेश करते हैं?" व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यापारी और यात्री किसी नये देश में पहुँचने पर जाने-अनजाने वहाँ
नई फसलों के बीज बो देते थे। उदाहणार्थ, नूडल्स चीन से
पश्चिमी देशों में पहुँचे और पास्ता अरब यात्रियों के साथ पाँचवीं सदी में सिसली
पहँचा। आलू, सोया, मूंगफली, मक्का आदि अमेरिका से यूरोप एवं एशिया के देशों में पहुँचे।
प्रश्न 3. 1840 के दशक में
आयरलैण्ड में पड़े आलू के अकाल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1845 से 1849 के बीच आयरलैण्ड
में आलू की फसल खराब होने से वहाँ आलू का अकाल पड़ गया जिसके कारण आयरलैण्ड के
लगभग 10,00,000 लोग भुखमरी के कारण मौत के मुँह
में चले गए। इससे दो गुने लोग रोजगार की तलाश में घर-बार छोड़कर दूसरे क्षेत्रों
में चले गए।
प्रश्न 4. अमेरिका में विश्व के
विभिन्न देशों से लोगों के आने के क्या कारण थे?
उत्तर:
· उन्नीसवीं सदी तक यूरोप में गरीबी और भुखमरी फैली हुई थी।
· यूरोपीय देशों के शहरों में अत्यधिक भीड़ थी और वहाँ अनेक बीमारियाँ फैली
हुई थीं।
· धार्मिक अत्याचारों से बचने के लिए हजारों लोग यूरोप से भागकर अमेरिका गए।
· कृषि-कार्य के लिए अफ्रीका से गुलामों को पकड़कर अमेरिका लाया गया।
प्रश्न 5. “भारत के साथ ब्रिटेन
सदैव 'व्यापार अधिशेष' की
अवस्था में रहता था।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के साथ ब्रिटेन सदैव 'व्यापार
अधिशेष' की अवस्था में रहता था, क्योंकि ब्रिटेन से भारत भेजे जाने वाले माल की कीमत भारत से ब्रिटेन भेजे
जाने वाले माल की कीमत से बहुत अधिक होती थी। इसका यह अभिप्राय है कि परस्पर
व्यापार में सदैव ब्रिटेन को ही लाभ रहता था।
प्रश्न 6. "1920 के दशक
में अमेरिकी सम्पन्नता का आधार पैदा हो चुका था।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1920 के दशक में आवास एवं निर्माण क्षेत्र में आए उछाल से
अमेरिकी सम्पन्नता का आधार पैदा हो चुका था। मकानों के निर्माण तथा घरेलू आवश्यकता
की वस्तुओं में निवेश से रोजगार और माँग में वृद्धि होती थी तथा उपभोग भी बढ़ता था
और बढ़ते हुए उपभोग के लिए और अधिक निवेश की आवश्यकता थी।
प्रश्न 7. 'नई अन्तर्राष्ट्रीय
आर्थिक प्रणाली' से क्या आशय था?
उत्तर:
नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से उनका अभिप्राय ऐसी व्यवस्था
से था जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर वास्तविक अर्थों में नियन्त्रण मिल सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिल सके। कच्चे माल के सही दाम
मिलें और अपने तैयार सामानों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए उचित
पहुँच मिले।
प्रश्न 8. स्पेनिश सैनिकों ने
किस साधन के बल पर अमेरिका पर विजय प्राप्त की?
उत्तर:
स्पेन के सैनिकों के साथ अमेरिका में चेचक के कीटाणु भी पहुंच गए।
अमरीकी लोगों में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता
नहीं थी। परिणामस्वरूप चेचक की महामारी फैलने से बहुत बड़ी संख्या में अमेरिकी लोग
मारे गए और अमेरिका पर स्पेन का अधिकार हो गया।
प्रश्न 9. 'केनाल कॉलोनी' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पंजाब में ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों
को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूँ और कपास
की खेती की जा सके। नई नहरों की सिंचाई वाले क्षेत्रों में पंजाब के अन्य स्थानों
से लोगों को लाकर बसाया गया। उनकी बस्तियों को 'केनाल
कॉलोनी' कहा जाता था।
प्रश्न 10. रिंडरपेस्ट बीमारी
के अफ्रीका पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
· 1890 के दशक में अफ्रीका में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी फैल गई। मवेशियों में
प्लेग की भाँति फैलने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीविका और अर्थव्यवस्था पर घातक
प्रभाव पड़ा।
· इस बीमारी से अफ्रीका के 90 प्रतिशत पशु
मर गए।
· पशुओं के मर जाने से अफ्रीकी लोगों के रोजी-रोटी के साधन समाप्त हो गए।
प्रश्न 11. ब्रिटेन के व्यापार
से प्राप्त होने वाले अधिशेष से किन होम चार्जेज का निबटारा होता था?
उत्तर:
ब्रिटेन के व्यापार से प्राप्त होने वाले अधिशेष से होम चार्जेज का
निपटारा होता था। इनके अन्तर्गत ब्रिटिश अधिकारियों और व्यापारियों द्वारा अपने घर
में भेजी गई राशि, भारतीय बाहरी कर्जे पर ब्याज और भारत
में काम कर चुके ब्रिटिश अधिकारियों की पेंशन शामिल थी।
प्रश्न 12. प्रथम विश्व युद्ध
किन दो खेमों के बीच लड़ा गया था? इन खेमों में
कौन-कौनसे देश शामिल थे? यह युद्ध कितने वर्षों तक चला?
उत्तर:
· प्रथम विश्व युद्ध दो खेमों- (i) मित्र राष्ट्र
एवं (ii) केन्द्रीय शक्तियों के बीच लड़ा गया था।
· मित्र राष्ट्र में- बिट्रेन, फ्रांस और रूस तथा
केन्द्रीय शक्तियों में- जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी तथा
ऑटोमन तुर्की शामिल थे।
· यह युद्ध चार साल से भी ज्यादा समय तक चला।
प्रश्न 13. असेम्बली लाइन क्या
थी?
उत्तर:
अमेरिका के प्रसिद्ध उद्योगपति और कार-निर्माता हेनरी फोर्ड ने
कारों के उत्पादन के लिए जिस पद्धति को अपनाया, उसे 'असेम्बली लाइन' कहते हैं। असेम्बली लाइन पर
मजदूरों को एक ही काम जैसे कार के किसी विशेष पुर्जे को ही लगाते रहना, मशीनी ढंग से बार-बार करते रहना होता था। इस पद्धति में हर तीन मिनट में
एक कार तैयार हो जाती थी।
प्रश्न 14. विश्वव्यापी आर्थिक
महामंदी के भारत पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
· 1928 से 1934 के बीच भारत के आयात-निर्यात घट
कर लगभग आधे रह गए।
· भारत में गेहूँ की कीमत 50 प्रतिशत गिर
गई।
· कच्चे पटसन की कीमतों में भारी गिरावट से किसानों की दशा दयनीय हो गई। वे
कर्ज में इब गए और उनके लिए जीवन-निर्वाह करना भी कठिन हो गया।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)
प्रश्न 1. "ब्रिटेन में
खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आने से पूँजी और श्रम के प्रवाह में वृद्धि
हुई।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
ब्रिटेन में खाद्य पदार्थों के मूल्य में गिरावट आने से ब्रिटेन में
उपभोग का स्तर बढ़ गया। औद्योगिक प्रगति काफी तेज होने के कारण लोगों की आय बढ़
गई। इस पर ब्रिटिश सरकार ने खाद्य पदार्थों का और भी अधिक मात्रा में आयात किया।
इंग्लैण्ड के लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पूर्वी यूरोप, रूस, अमेरिका, आस्ट्रेलिया
आदि देशों में ब्रिटेन की भोजन सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति के लिए जमीनों को साफ
करके खेती की जाने लगी।
नई जमीनों पर खेती करने
के लिए यह आवश्यक था कि दूसरे क्षेत्रों के लोग वहाँ आकर बसें । इन समस्त कार्यों
के लिए पूँजी और श्रम की आवश्यकता थी। इसके लिए अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया में पलायन
करने वाले मजदूरों की संख्या बढ़ने लगी क्योंकि इन देशों में मजदूरों की कमी थी। 19वीं सदी में यूरोप के लगभग 5 करोड़ लोग अमेरिका और आस्ट्रेलिया में जाकर बस गए।
प्रश्न 2. इतिहास के हर दौर में
मानव समाज एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इतिहास के हर दौर में मानव-समाज एक-दूसरे के ज्यादा नजदीक आते गए
हैं। यह निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है-
· प्राचीन काल से ही यात्री, व्यापारी, पुजारी और तीर्थयात्री ज्ञान, अवसरों और
आध्यात्मिक शांति के लिए या उत्पीड़न/यातनापूर्ण जीवन से बचने के लिए दूर-दूर की
यात्राओं पर जाते रहे हैं।
· अपनी यात्राओं में ये लोग तरह-तरह की चीजें, पैसा, मूल्य-मान्यताएँ, हुनर, विचार, आविष्कार और यहाँ तक कि कीटाणु और
बीमारियाँ भी साथ लेकर चलते रहे हैं।
· 3,000 ईसा पूर्व में समुद्री तटों पर होने वाले व्यापार के माध्यम से सिंधु घाटी
की सभ्यता उस इलाके से भी जुड़ी हुई थी जिसे आज हम पश्चिमी एशिया के नाम से जानते
हैं।
· हजार साल से भी ज्यादा समय से मालदीव के समुद्र में पाई जाने वाली
कौड़ियाँ (जिन्हें पैसे या मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था) चीन और
पूर्वी अफ्रीका तक पहुँचती रही हैं।
· बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर तक पहुँचने का इतिहास भी सातवीं
सदी तक ढूँढ़ा जा सकता है।
· तेरहवीं सदी के बाद तो इनके प्रसार को निश्चय ही साफ देखा जा सकता है.।
प्रश्न 3. प्रथम विश्व युद्ध
किन दो यूरोपीय ताकतवर खेमों के बीच लड़ा गया? 'यह पहला
आधुनिक औद्योगिक युद्ध था।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत
हैं?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध मित्र राष्ट्रों एवं केन्द्रीय शक्तियों के बीच
लड़ा गया था। मित्र राष्ट्रों में ब्रिटेन, फ्रांस और
रूस थे तथा केन्द्रीय शक्तियों में-जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी
तथा ऑटोमन तुर्की शामिल थे।
प्रथम विश्व युद्ध पहला
आधुनिक औद्योगिक युद्ध था क्योंकि-
· इस युद्ध में विश्व के सबसे अग्रणी औद्योगिक राष्ट्र एक-दूसरे के विरुद्ध
संघर्ष कर रहे थे।
· इस युद्ध में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों और रसायनिक हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया। ये
सभी हथियार आधुनिक विशाल उद्योगों की देन थी।
· युद्ध के लिए सम्पूर्ण विश्व से असंख्य सैनिकों की भर्ती की गई। उन्हें
विशाल जलपोतों एवं रेलगाड़ियों में भरकर युद्ध के मोर्चों पर ले जाया गया।
· इस युद्ध में हुई भीषण जन-हानि और विनाशलीला की औद्योगिक युग से पहले और
औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा सकती थी।
प्रश्न 4. प्रथम विश्व युद्ध के
परिणामों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के परिणाम-
· प्रथम विश्व युद्ध में धन-जन की भीषण हानि हुई। इस युद्ध में 90 लाख से अधिक लोग मार गए तथा ? करोड़ घायल
हुए।
· यूरोप में कामकाजी आयु के योग्य लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के
सदस्यों की संख्या कम हो जाने के बाद परिवारों की आय भी कम हो गई।
· पुरुषों के युद्ध के मोर्चों पर जाने के कारण, उनके
कार्यों को सम्भालने के लिए महिलाओं को घर छोड़कर वाहर आना पड़ा।
· प्रथम विश्वयुद्ध के कारण विश्व की कुछ आर्थिक शक्तियों के बीच आर्थिक
सम्बन्ध टूट गए।
· प्रथम विश्व युद्ध के लिए ब्रिटेन आदि अनेक देशों को अमेरिकी बैंकों और
अमेरिकी जनता से भारी ऋण लेना पड़ा। परिणामस्वरूप इस युद्ध ने अमेरिका को ऋणी के
बजाय ऋणदाता बना दिया।
प्रश्न 5. सिल्क रूट क्या है? इसका महत्त्व बताइए।
अथवा
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) सिल्क रूट क्या है?
(ii) 'ब्रेटन वुड्स' समझौते से विश्व में
किस प्रकार की अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ?
उत्तर:
(i) सिल्क रूट-सिल्क रूट एशिया के
विशाल क्षेत्रों (चीन, भारत) तथा एशिया को यूरोप और
उत्तरी अफ्रीका से जोड़ने वाला व्यापारिक और सांस्कृतिक सम्पर्क मार्ग था। इसके
माध्यम से चीनी रेशम का व्यापार किया जाता था।
सिल्क रूट का महत्त्व- इसके लिए
आगामी प्रश्न का उत्तर देखें।
(ii) ब्रेटन
वुड्स समझौते से विश्व में नई अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ। इसके तहत
अन्तर्राष्ट्रीय मद्रा कोष और विश्व बैंक की स्थापना हुई और एक निश्चित दरों पर
आधारित राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्थाओं को परस्पर जोड़ने वाली व्यवस्था हुई।
प्रश्न 6. रेशम मार्ग के द्वारा
होने वाले आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का वर्णन कीजिए।
अथवा
रेशम मार्ग का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
रेशम मार्ग का महत्त्व आर्थिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान– रेशम मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम का बड़ा महत्व था। रेशम
मार्ग भूमि या समुद्र से होकर गुजरने वाले मार्ग थे जो एशिया के विशाल क्षेत्रों
एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जोड़ते थे। रेशम मार्ग से चीनी रेशम तथा
पोटरी तथा भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले विश्व के दूसरे भागों में
पहुँचते थे। वापसी में सोना-चाँदी जैसी बहुमूल्य धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती
थीं। व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, दोनों
प्रक्रियाएँ साथ-साथ चलती थीं। इस्लाम धर्म के प्रचारक भी रेशम मार्ग से विश्व के
अन्य देशों में गए। इससे पहले बौद्ध धर्म का रेशम मार्ग के द्वारा ही अनेक स्थानों
पर प्रसार हुआ था।
प्रश्न 7. उन्नीसवीं शताब्दी की
विश्व अर्थव्यवस्था को समझने के लिए किन गतियों अथवा प्रवाहों का अध्ययन करना
आवश्यक है?
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी की विश्व अर्थव्यवस्था को समझने के लिए
निम्नलिखित गतियों अथवा प्रवाहों का अध्ययन करना आवश्यक है-
· व्यापार का प्रवाह-उन्नीसवीं शताब्दी में व्यापार मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूँ आदि वस्तुओं तक ही सीमित था।
· श्रम का प्रवाह-इसके अन्तर्गत लोग काम अथवा रोजगार की तलाश में एक स्थान
से दूसरे स्थान जाते हैं।
· पूँजी का प्रवाह-इसमें पूँजी का अल्प अवधि अथवा दीर्घ अवधि के लिए दूर-दूर
के प्रदेशों में निवेश किया जाता है।
ये तीनों प्रकार के
प्रवाह एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और लोगों के जीवन को प्रभावित करते थे।
प्रश्न 8. 'कॉर्न लॉ' के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अठारहवीं सदी के अन्तिम दशकों में ब्रिटेन की जनसंख्या तीव्र गति से
बढ़ने लगी थी। फलस्वरूप, देश में भोजन की माँग बढ़ गई।
शहरों और उद्योगों के विस्तार के साथ, कृषि-उत्पादों की
मांग भी बढ़ गई। परिणामस्वरूप कृषि उत्पाद महँगे होने लगे। दूसरी ओर बड़े
भू-स्वामियों के दबाव के कारण ब्रिटिश सरकार ने मक्का के आयात पर प्रतिबन्ध लगा
दिया। जिस कानून के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने यह प्रतिबन्ध लगाया था, उसे 'कॉर्न लॉ' कहा
जाता था। परन्तु खाद्य पदार्थों के ऊँचे मूल्यों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी
नागरिकों ने ब्रिटिश सरकार को कॉर्न लॉ को समाप्त करने पर बाध्य कर दिया।
प्रश्न 9. वैश्विक
कृषि-व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
1890 तक एक वैश्विक कृषि-व्यवस्था स्थापित हो चुकी थी। इसकी
प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
· श्रम विस्थापन रुझानों, पूँजी प्रवाह, पारिस्थितिकी और तकनीक में गहरे परिवर्तन आए।
· अब भोजन हजारों मील दूर से भी आने लगा था।
· अब बाहर से आए ऐसे औद्योगिक मजदूर खेतों में काम कर रहे थे जो एक पीढ़ी
पूर्व सम्भवतः जंगल रहे होंगे।
· खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए रेलवे का
प्रयोग किया जाता था।
· पानी के जहाजों से खाद्य पदार्थों को दूसरे देशों में पहुंचाया जाता था।
प्रश्न 10. यूरोप के लोग
उन्नीसवीं शताब्दी में अफ्रीका महाद्वीप की तरफ क्यों आकर्षित हुए?
उत्तर:
यूरोप के लोग उन्नीसवीं शताब्दी में अफ्रीका महाद्वीप की तरफ निम्न
कारणों से आकर्षित हुए-
· अफ्रीका में जमीन की कोई कमी नहीं थी और वहां की आबादी कम थी। वहां खनिज
भण्डार भी खूब थे। यूरोप के लोग इनका उपयोग करना चाहते थे।
· यूरोपीय लोग अफ्रीका में बागानी खेती करने और खनिजों का दोहन करना चाहते
थे ताकि उन्हें पुनः यूरोप भेजा जा सके।
· ट्रांसवाल की सोने की खदानें भी अफ्रीका की तरफ आकर्षण का बहुत बड़ा कारण
थीं। बीमारियों और मौत की आशंका एवं रास्ते की कठिनाइयों के बावजूद यूरोप के लोग
उस इलाके की ओर भागने लगे।
प्रश्न 11. अफ्रीका में वेतन पर
मजदूरों की भर्ती करके और उन्हें अपने पास रोके रखने के लिए यूरोपीय लोगों द्वारा
अपनाये गए हथकंडों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अफ्रीकी लोग वेतन पर काम करने के लिए तैयार नहीं थे। अत: वहाँ
मजदूरों की भर्ती करने तथा उन्हें अपने पास रोके रखने के लिए यूरोपीय लोगों ने
निम्नलिखित हथकंडे अपनाये-
· उन पर भारी-भरकम कर लाद दिए गए। इन करों का भुगतान केवल तभी किया जा सकता
था जब करदाता बागानों या खदानों में काम करता हो।
· नए उत्तराधिकार कानून में यह व्यवस्था की गई कि अब परिवार के केवल एक ही
सदस्य को पैतृक सम्पत्ति प्राप्त होगी। इस कानून के द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों
को श्रम बाजार में ढकेलने का प्रयास किया जाने लगा।
· खानकर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया। उनके खुले आम घूमने-फिरने पर
प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
प्रश्न 12. विदेशों में भारतीय
उद्यमियों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(1) शिकारीपूरी श्रॉफ तथा नटूकोट्टई चेट्टियार भारत के
प्रसिद्ध बैंकर और व्यापारी थे जो मध्य एवं दक्षिण-पूर्व एशिया में निर्यातोन्मुखी
खेती के लिए ऋण देते थे। इसके लिए या तो वे अपनी जेब से पैसा लगाते थे अथवा
यूरोपीय बैंकों से ऋण लेते थे। उनके पास दूर-दूर तक धनराशि पहुँचाने की एक संगठित पद्धति
होती थी।
(2) हैदराबादी
सिन्धी व्यापारी तो यूरोपीय उपनिवेशों से भी आगे तक जा पहुँचे। 1860 के दशक से उन्होंने संसार भर के बन्दरगाहों पर अपने बड़े-बड़े एम्पोरियम
खोल दिए। इन दुकानों में पर्यटकों को आकर्षक स्थानीय और विदेशी वस्तुएँ मिलती थीं।
प्रश्न 13. 'कॉर्न लॉ' के निरस्त होने के बाद ब्रिट्रेन की खाद्य समस्या का हल किस प्रकार हुआ? वहां इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
कॉर्न ला के निरस्त होने का ब्रिटेन की खाद्य समस्या पर प्रभाव-
· कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात
किया जाने लगा।
· आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों
से भी कम थी। फलस्वरूप, ब्रिटिश किसानों की हालत
बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल
भूभागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गाँवों से उजड़ कर वे या
तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।
· जब खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई तो ब्रिटेन में उपभोग का स्तर
बढ़ गया।
· उन्नीसवीं सदी के मध्य से ब्रिटेन की औद्योगिक प्रगति काफी तेज रही जिससे
लोगों की आय में वृद्धि हुई। इससे खाद्य पदार्थों का और भी ज्यादा मात्रा में आयात
होने लगा।
प्रश्न 14. "ब्रिटिश सरकार
की आर्थिक नीति के कारण भारत का वस्त्र उद्योग चौपट हो गया।" व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में उत्पादित होने वाली बारीक कपास का यूरोपीय देशों को
निर्यात किया जाता था। दूसरी ओर औद्योगीकरण के बाद ब्रिटेन में कपास का उत्पादन
बढ़ने लगा था। अतः ब्रिटेन के उद्योगपतियों के दबाव में ब्रिटिश सरकार ने आयातित
कपड़ों पर सीमाशुल्क लगा दिए। परिणामस्वरूप ब्रिटेन में बारीक भारतीय कपास का आयात
कम होने लगा।
इसी प्रकार भारतीय कपड़ों
को अन्य अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा।
फलस्वरूप भारतीय कपड़े के निर्यात में निरन्तर गिरावट आती गई, सन् 1800 के आसपास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 था जो 1870 में घटकर केवल 3 प्रतिशत रह गया।
प्रश्न 15. प्रथम विश्व युद्ध
के पश्चात् ब्रिटेन को आर्थिक संकट का सामना क्यों करना पड़ा?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन को आर्थिक संकट झेलना पड़ा। इस
आर्थिक संकट के निम्नलिखित कारण थे-
· जिस समय ब्रिटेन युद्ध में व्यस्त था, उसी समय
भारत और जापान में उद्योग विकसित होने लगे थे। अतः युद्ध के पश्चात् ब्रिटेन के
लिए भारतीय बाजार में पहले वाली स्थिति प्राप्त करना बहुत कठिन हो गया था।
· अब जापान भी इंग्लैण्ड का प्रतिद्वन्द्वी हो गया था।
· युद्ध समाप्त होने तक ब्रिटेन भारी विदेशी ऋणों से दब चुका था।
· युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने युद्ध-सम्बन्धी खर्चे में भी कटौती शुरू कर
दी थी, इससे रोजगार के अवसरों में भारी कमी हो गई।
प्रश्न 16. विश्वव्यापी
महामन्दी के विश्व पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
· यूरोप में कई बड़े बैंक बन्द हो गए।
· अनेक देशों की मुद्रा की कीमत गिर गई। ब्रिटिश पाउंड की भी कीमत गिर गई।
· लैटिन अमेरिका और अन्य स्थानों पर कृषि एवं कच्चे मालों की कीमतें बहुत कम
हो गईं।
· अमेरिका ने आयातित पदार्थों पर दुगुना सीमा शुल्क वसूल करना शुरू किया
जिसका विश्व-व्यापार पर घातक प्रभाव पड़ा।
· अमेरिका पर महामन्दी का सर्वाधिक विनाशकारी प्रभाव पड़ा। अमेरिका के
हजारों बैंक दिवालिया हो गए और बन्द कर दिए गए। व्यापार-व्यवसाय चौपट हो गए और देश
में बेरोजगारी फैल गई। अनेक परिवार तबाह हो गए। कर्ज न चुकाने के कारण अनेक
अमेरिकी लोगों के मकान, कार आदि कुर्क कर लिए गए।
प्रश्न 17. अफ्रीका में
रिंडरपेस्ट का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अफ्रीका में 1890 के दशक में आखिरी
सालों में मवेशियों में रिंडरपेस्ट नाम की बीमारी फैली, इससे अफ्रीका में निम्न प्रभाव पड़े-
(i) रिंडरपेस्ट मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली बीमारी
से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने अपने
मार्ग से आने-जाने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को
मौत की नींद सुला दिया।
(ii) पशुओं के खत्म हो जाने के बाद अफ्रीकियों को श्रम बाजार
की ओर ले जाने वाले बागान व खान मालिकों तथा औपनिवेशिक सरकारों ने बचे हुए जानवरों
को अपने कब्जे में ले लिया। इससे यूरोपीय उपनिवेशकारों को पूरे अफ्रीका को जीतने
और गुलाम बनाने का अवसर मिल गया।
(iii) बड़ी संख्या में पशुओं के मारे जाने से अफ्रीकी लोगों के
जीवन निर्वाह के साधन खत्म हो गये।
प्रश्न 18. "औद्योगिक
देशों में महामन्दी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका को ही झेलना पड़ा।" व्याख्या
कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक देशों में महामन्दी का सबसे बुरा प्रभाव अमेरिका को ही
झेलना पड़ा। यह निम्न बिंदुओं से स्पष्ट है-
· कीमतों में कमी और मन्दी के कारण अमेरिकी बैंकों ने घरेलू कर्जे देना बन्द
कर दिया। पहले के कर्जे की वसूली तेज कर दी गई।
· किसानों के अनेक परिवार नष्ट हो गए तथा व्यवसाय चौपट हो गए।
· बहुत से अमेरिकी परिवार ऋण चुकाने में असमर्थ हो गए। परिणामस्वरूप उनके
मकान, कार और समस्त आवश्यक वस्तुएँ कुर्क कर ली गईं।
· अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ गई तथा लोगों को रोजगार की तलाश में दूर-दूर के
स्थानों पर जाना पड़ा।
· अन्ततः अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था भी चरमरा गई। अनेक बैंक दिवालिया हो गए
और बन्द कर दिए गए।
प्रश्न 19. द्वितीय विश्वयुद्ध
के परिणामों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम-
· द्वितीय विश्वयुद्ध में मानव जाति को भीषण विनाश लीला का सामना करना पड़ा।
इस युद्ध में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 6 करोड़ लोग मारे गए। इसके अतिरिक्त करोड़ों लोग घायल हो गए।
· यूरोप और एशिया के विशाल भू-भाग नष्ट हुए। हवाई बमबारी अथवा निरन्तर
गोलाबारी के कारण कई शहर ध्वस्त हो गए।
· इस युद्ध के कारण आर्थिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अत्यधिक विनाश हुआ। ऐसी
अवस्था में पुनर्निर्माण का काम कठिन और लम्बा सिद्ध हुआ।
· इस महायुद्ध में ऐसे लोग ज्यादा मरे, जो किसी
मोर्चे पर नहीं लड़ रहे थे।
· इस युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।
प्रश्न 20. बहुराष्ट्रीय कम्पनी
किसे कहते हैं? इनके विकास की संक्षिप्त विवेचना चाहिए।
उत्तर:
बहुराष्ट्रीय कम्पनी एक साथ बहुत सारे देशों में व्यवसाय करने वाली
कंपनियों को बहुराष्ट्रीय निगम (मल्टीनेशनल कॉर्पोरेशन-एमएनसी) या बहुराष्ट्रीय
कंपनी कहा जाता है।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियों
का विकास-शुरुआती बहुराष्ट्रीय
कंपनियों की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी। पचास व साठ के दशक में जब अमेरिकी व्यवसाय दुनिया भर
में फैलते जा रहे थे और पश्चिमी यूरोप एवं जापान भी विश्वयुद्ध के प्रभाव से बाहर
निकलते हुए शक्तिशाली औद्योगिक राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर थे उस समय ऐसी बहुत सारी
नयी कंपनियाँ सामने आई। बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विश्वव्यापी प्रसार पचास और साठ
के दशक की एक विशेषता था। उस समय ज्यादातर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर भारी
आयात शुल्क वसूल करती थीं जिसके कारण बड़ी कंपनियों को अपने संयंत्र उन्हीं देशों
में लगाने पड़ते थे जहाँ वे अपने उत्पाद बेचना चाहती थीं। उन्हें 'घरेलू उत्पादकों' के रूप में काम करना पड़ता
था। इस प्रकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विकास हुआ।
प्रश्न 21. 'ब्रेटन वुड्स
व्यवस्था का विश्व अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रेटन वुड्स व्यवस्था के विश्व अर्थव्यवस्था पर निम्न प्रभाव पड़े-
· इसने पश्चिमी औद्योगिक राष्ट्रों और जापान के लिए व्यापार तथा आय में
वृद्धि का मार्ग खोल दिया।
· इसके प्रभावस्वरूप विश्व व्यापार की विकास दर वार्षिक 8 प्रतिशत से भी अधिक रही।
· इस अवधि में वैश्विक आय में लगभग 5 प्रतिशत
की दर से वृद्धि हो रही थी।
· इस दौरान अधिकांश औद्योगिक देशों में बेरोजगारी औसतन 5 प्रतिशत से भी कम ही रही।
· इस अवधि में तकनीक और उद्यम का विश्वव्यापी प्रसार हुआ।
· विकासशील देश आधुनिक तकनीक वाले संयंत्रों व उपकरणों में विपुल पूँजी
निवेश कर विकसित और औद्योगिक देशों के बराबरी करने के लिए भरसक प्रयास करने लगे।
प्रश्न 22. द्वितीय विश्व युद्ध
की समाप्ति के बाद औपनिवेशिक शासन से स्वतन्त्र होने वाले देशों को किन आर्थिक
समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
इन देशों को निम्नलिखित आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा-
· सभी नवोदित राष्ट्र गरीबी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे।
· इन देशों की अर्थव्यवस्थाएँ और समाज अस्त-व्यस्त हो चुके थे।
· इन नवोदित राष्ट्रों को अपनी जनता की निर्धनता तथा पिछड़ेपन को दूर करने
के लिए ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहायता लेनी पड़ी जिन पर भूतपूर्व
औपनिवेशिक शक्तियों का ही प्रभुत्व था।
· जो देश ब्रिटेन अथवा फ्रांस के उपनिवेश रह चुके थे, वहाँ की खनिज सम्पदा, जमीन आदि महत्वपूर्ण
संसाधनों पर अभी भी ब्रिटिश तथा फ्रांसीसी कम्पनियों का ही नियन्त्रण था और वे
वहाँ अपना प्रभुत्व बनाये रखने के लिए कटिबद्ध थीं।
प्रश्न 23. 'विनिमय दर' से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बतलाइये।
उत्तर:
विनिमय दर-विनिमय दर की व्यवस्था के द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
की सुविधा के लिए विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं को एक-दूसरे से जोड़ा जाता
है।
प्रकार-विनिमय दर दो
प्रकार की होती हैं-
1. स्थिर विनिमय दर तथा
2. लचीली या परिवर्तनशील विनिमय दर।
(1) स्थिर
विनिमय दर- जब
विनिमय दरें स्थिर होती हैं और उनमें आने वाले उतार-चढाव को नियन्त्रित करने हेतु
सरकारें हस्तक्षेप करती हैं।
(2) लचीली
या परिवर्तनशील विनिमय दर- परिवर्तनशील विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में
विभिन्न मुद्राओं की माँग या आपूर्ति के आधार पर और सिद्धान्ततः सरकारों के
हस्तक्षेप के बिना घटती-बढ़ती रहती हैं।
प्रश्न 24. भारत के साथ ब्रिटेन
सदैव 'व्यापार अधिशेष' की
अवस्था में कैसे रहता था? इस व्यापार अधिशेष से होम
चार्जेज का निपटारा कैसे होता था?
उत्तर:
भारत के साथ ब्रिटेन सदैव 'व्यापार
अधिशेष' की अवस्था में रहता था। इससे तात्पर्य है कि
आपसी व्यापार में सदैव ब्रिटेन को ही लाभ मिलता था। ब्रिटेन इस लाभ के सहारे दूसरे
देशों के साथ होने वाले व्यापारिक घाटे की पूर्ति कर लेता था। ब्रिटेन के व्यापार
से जो अधिशेष प्राप्त होता था उससे 'होम चार्जेज'
(देसी खर्च) का निबटारा होता था। इसके अन्तर्गत ब्रिटिश अधिकारियों
तथा व्यापारियों द्वारा अपने घर भेजी गई निजी रकम, भारतीय
बाह्य कर्ज पर ब्याज तथा भारत में काम कर चुके ब्रिटिश अधिकारियों की पेंशन शामिल
थी।
प्रश्न 25. विश्वव्यापी आर्थिक
महामंदी के प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) कृषि क्षेत्र में अतिउत्पादन की समस्या बनी हुई थी। कृषि
उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण किसानों की आय घटने लगी। उन्होंने आय बढ़ाने के
लिए उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया। इससे कृषि उत्पादों की आमद और भी बढ़ गई, इससे कीमतें गिर गईं। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज पड़ी-पड़ी सड़ने
लगी।
(2) 1920 के दशक के मध्य में अनेक देशों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश सम्बन्धी
आवश्यकताएँ पूरी की थीं। परन्तु संकटपूर्ण स्थिति में अमेरिका से कर्ज मिलना बन्द
हो गया। जो देश अमेरिकी कर्जे पर निर्भर थे, उनके सामने
गहरा आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया।
प्रश्न 26. 'जी-77 के समूह' से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अधिकतर विकासशील देशों को पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं की तीव्र
प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। अतः उन्होंने एक नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली
की स्थापना के लिए आवाज उठाई और वे समूह 77 (जी77) के रूप में संगठित हो गए। वे एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे
जिसमें उन्हें अपने संसाधनों पर सही अर्थों में नियंत्रण मिल सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे
माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने
के लिए उचित पहुँच मिले।
प्रश्न 27. कैरीबियाई द्वीप
समूह में जीवन एवं कार्य स्थितियों के कठोर होने के बावजूद अनुबन्धित मजदूरों ने
जीवन व्यतीत करने के लिए कौनसे अपने तरीके ढूँढ़ निकाले थे?
उत्तर:
अनुबन्धित मजदूरों ने जीवन व्यतीत करने के लिए निम्न तरीके ढूँढ़
निकाले थे-
(1) होस का मेला- त्रिनिदाद
में मुहर्रम के वार्षिक जुलूस को एक विशाल मेले का रूप दे दिया गया। इस मेले को
होस (इमाम हुसैन के नाम पर) नाम दिया गया। इस मेले में सभी धर्मों एवं नस्लों के
मजदूर भाग लेते थे।
(2) रास्ताफारियानवाद- इसी प्रकार 'रास्ताफारियानवाद' एक विद्रोही धर्म था। इसे
जमैका के रैगे गायक बॉब मार्ले ने प्रसिद्धि की चरम सीमा पर पहुँचा दिया था। इसमें
भी भारतीय आप्रवासियों तथा कैरीबियाई द्वीप-समूह के बीच इन सम्बन्धों की झलक मिलती
थी।
(3)'चटनी
म्यूजिक' त्रिनिदाद और गुयाना में प्रसिद्ध 'चटनी म्यूजिक' भी भारतीय आप्रवासियों के वहाँ
पहुँचने के बाद प्रकट हुई रचनात्मक अभिव्यक्ति थी।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1. "व्यापार की
वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया।"
विवेचना कीजिए।
उत्तर:
उपनिवेशवाद को बढ़ावा-व्यापार की वृद्धि तथा विश्व अर्थव्यवस्था के
साथ निकटता ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा दिया। व्यापार की वृद्धि और विश्व
अर्थव्यवस्था के साथ निकटता के परिणामस्वरूप अनेक देशों में स्वतन्त्रता तथा
आजीविका के साधन छिनने लगे।
1. साम्राज्यवादी
देशों द्वारा अफ्रीका में अपने उपनिवेश स्थापित करना- यूरोप के शक्तिशाली देशों ने
अफ्रीकी देशों की दुर्बलता तथा पिछड़ेपन का लाभ उठाया और वहाँ अपने-अपने उपनिवेश
स्थापित करने शुरू कर दिए। 1885 में यूरोप के
शक्तिशाली देशों की बर्लिन में एक सभा हुई जिसमें उन्होंने अफ्रीका को आपस में
बाँट लिया।
2. औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा औपनिवेशिक साम्राज्य का विस्तार करना- उन्नीसवीं सदी के अन्त में ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने शासन वाले विदेशी
क्षेत्रफल में भारी वृद्धि कर ली थी। बेल्जियम तथा जर्मनी नवीन औपनिवेशिक शक्तियों
के रूप में प्रकट हुए। 1890 के दशक के अन्तिम
वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी स्पेन के आधिपत्य में रह चुके कुछ
उपनिवेशों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार संयुक्त राज्य अमेरिका भी एक औपनिवेशिक
शक्ति बन गया।
प्रश्न 2. खाद्य पदार्थों ने
दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया। इस कथन को तीन उदाहरण
देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
आधुनिक युग से पहले खाद्य पदार्थ दूर देशों के बीच सांस्कृतिक
आदान-प्रदान का माध्यम बन गये थे-
(i) जब भी व्यापारी और मुसाफिर किसी नये देश में जाते थे, तब वहाँ नई फसलों के बीज बोते थे।
(ii) दुनिया के विभिन्न भागों में मिलने वाले झटपट तैयार होने
वाले खाद्य पदार्थों के भी साझा स्रोत रहे हैं।
उदाहरण के लिए-
· चीन से नूडल्स पश्चिम में पहुंचा और वहाँ स्पैघेती को जन्म दिया।
· पास्ता अरबों के साथ पाँचवीं सदी में सिसली (इटली) पहुँचा।
· आलू, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद जैसे खाद्य पदार्थ कोलम्बस के अमेरिका पहुँचने के बाद अमेरिका से
हमारे पास आए।
प्रश्न 3. भारत से अनुबन्धित
श्रमिकों को विदेशों में क्यों ले जाया गया? अनुबन्धित
श्रमिक विदेशों में जाने के लिए क्यों बाध्य हुए?
उत्तर:
भारत से अनबन्धित श्रमिकों का विदेशों में ले जाया जाना- उन्नीसवीं शताब्दी में भारत के लाखों मजदूरों को बागानों, खदानों और सड़क तथा रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए विदेशों
विशेषकर कैरीबियाई द्वीप समूह, मॉरिशस तथा फिजी में ले
जाया जाता था। भारतीय अनुबन्धित श्रमिकों को विशेष प्रकार के अनुबन्ध या एग्रीमेंट
के अन्तर्गत ले जाया जाता था। इन अनुबन्धों में यह शर्त होती थी कि यदि मजदूर अपने
मालिक के बागानों में पांच वर्ष तक काम कर लेगा, तो वे
स्वदेश लौट सकते हैं।
अनुबन्धित श्रमिकों के
दूसरे देशों में जाने के कारण- भारत के अधिकतर अनुबन्धित मजदूर वर्तमान पूर्वी
उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य
भारत तथा तमिलनाडु के सूखे क्षेत्रों से जाते थे। उनके विदेशों में जाने के
निम्नलिखित कारण थे-
· इन प्रदेशों में कुटीर उद्योग समाप्त हो रहे थे।
· जमीनों का भाड़ा बहुत बढ़ गया था।
· खानों और बागानों के लिए जमीनों को साफ किया जा रहा था।
· लोग बटाई पर जमीन तो ले लेते थे, परन्तु उसका
भाड़ा चुकाने में असमर्थ थे।
· उन पर कर्जा बढ़ने लगा। अतः काम की तलाश में उन्हें अपना घर-बार छोड़ कर
दूसरे देशों में जाना पड़ा।
प्रश्न 4. आर्थिक महामंदी की
शुरुआत कब हुई और यह कब तक चली? महामंदी की दो
विशेषताएँ और दो कारण बताइए।
अथवा
आर्थिक महामंदी से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
आर्थिक महामंदी- आर्थिक महामंदी की शुरुआत 1929 से हुई और यह संकट 1930 के दशक के मध्य तक
बना रहा।
महामंदी की विशेषताएँ-
· कीमतों में कमी और मंदी की आशंका को देखते हुए अमेरिकी बैंकों ने घरेल
कर्ज देना बन्द कर दिया और जो कर्ज दिये जा चुके थे, उनकी
वसूली तेज कर दी गई तथा अनेक लोगों की सम्पत्ति कुर्क कर ली गई।
· कई देशों की मुद्रा की कीमतें गिर गईं, बेरोजगारी
बढ़ी, अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था धराशायी हो गई थी तथा
विश्व व्यापार की कमर टूट गई थी।
महामंदी के कारण-
(i) कृषि उत्पादों का अतिउत्पादन- कृषि उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण किसानों की आय में कमी हुई जिसे
पूरा करने के लिए उन्होंने उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया। परिणामस्वरूप बाजार में
कृषि उत्पादों की वृद्धि हो गई और उनकी कीमतें और नीचे चली गईं। खरीददारों के अभाव
में कृषि उत्पादन सड़ने लगा था।
(ii) अमेरिका
से कर्जा न मिलना- 1920 के दशक के मध्य में अनेक देशों ने अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी निवेश
सम्बन्धी आवश्यकताएँ पूरी की थीं। परन्तु संकट का संकेत मिलते ही अमरीकी
उद्योगपतियों में घबराहट उत्पन्न हुई। 1928 के
पहले 6 माह तक विदेशों में अमेरिका का कर्जा एक
अरब डालर था। सालभर के भीतर यह कर्जा घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी
कर्जे पर सबसे अधिक निर्भर थे, उनके सामने गहरा संकट
उत्पन्न हो गया।
प्रश्न 5. "प्रथम विश्व
युद्ध पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध था।" विवेचना कीजिए। आर्थिक क्षेत्र में
विश्व पर इसके क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
पहला आधुनिक औद्योगिक युद्ध-प्रथम विश्व युद्ध पहला औद्योगिक युद्ध
था क्योंकि
· इस युद्ध में विश्व के सबसे अग्रणी औद्योगिक राष्ट्र एक-दूसरे के विरुद्ध
संघर्ष कर रहे थे।
· इस युद्ध में मशीनगनों, टैंकों, हवाई जहाजों और रसायनिक हथियारों का बड़े पैमाने पर प्रयोग किया गया। ये
सभी हथियार आधुनिक विशाल उद्योगों की देन थी।
· युद्ध के लिए सम्पूर्ण विश्व से असंख्य सैनिकों की भर्ती की गई। उन्हें
विशाल जलपोतों एवं रेलगाड़ियों में भर कर युद्ध के मोर्चों पर ले जाया गया।
· इस युद्ध में जो भीषण जन-हानि और विनाशलीला देखने को मिली, उसकी औद्योगिक युग से पहले और औद्योगिक शक्ति के बिना कल्पना नहीं की जा
सकती थी।
आर्थिक क्षेत्र में
प्रभाव- प्रथम
विश्व युद्ध के आर्थिक क्षेत्र में अग्रलिखित प्रभाव हुए-
· कामकाजी आयु के लोगों की संख्या का कम होना- इस युद्ध से यूरोप में कामकाजी आयु के लोगों की संख्या बहुत कम रह गई।
परिवार के सदस्यों में कमी हो जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी बहुत कम हो
गई।
· उद्योगों का पुनर्गठन युद्ध सम्बन्धी
सामग्री का उत्पादन करने के लिए उद्योगों का पुनर्गठन किया गया।
· आर्थिक कार्यों में महिलाओं की भागीदारी- युद्ध
की आवश्यकताओं को देखते हुए सम्पूर्ण समाजों को बदल दिया गया। पुरुष युद्ध के
मोर्चों पर जाने लगे, तो उन कार्यों को सम्भालने के लिए
महिलाओं को घर छोड़कर बाहर आना पड़ा।
· आर्थिक शक्तियों के बीच आर्थिक सम्बन्ध टूटना- प्रथम विश्व युद्ध के कारण विश्व की कुछ आर्थिक शक्तियों के बीच आर्थिक
सम्बन्ध टूट गए।
· अमेरिका का ऋणदाता बनना- प्रथम विश्व युद्ध
के लिए ब्रिटेन को अमेरिकी बैंकों और अमेरिकी जनता से भारी ऋण लेना पड़ा।
परिणामस्वरूप इस युद्ध ने अमेरिका को ऋणी की बजाय ऋणदाता बना दिया।
प्रश्न 6. अमेरिका के कार
निर्माता हेनरी फोर्ड द्वारा अपने कारखाने में स्थापित असेम्बली लाइन की विवेचना
कीजिए।
उत्तर:
हेनरी फोर्ड ने विचार किया कि गाड़ियों के उत्पादन के लिए भी
असेम्बली लाइन के प्रयोग से समय और पैसा दोनों की बचत की जा सकती है, अतः फोर्ड ने असेम्बली लाइन की स्थापना करने का निश्चय किया।
हेनरी फोर्ड द्वारा
असेम्बली लाइन की स्थापना- असेम्बली लाइन पर मजदूरों को एक ही काम-जैसे कार के किसी विशेष पुर्जे को
ही लगाते रहना-मशीनी ढंग से बार-बार करते रहना होता था। काम की गति इस बात से
निर्धारित होती थी कि कन्वेयर बेल्ट किस गति से चलती है। यह काम की गति बढ़ाकर
प्रत्येक मजदूर की उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती थी। कन्वेयर बेल्ट के साथ खड़े
होने के पश्चात् कोई मजदूर अपने काम में ढिलाई नहीं कर सकता था और न ही थोड़ी देर
के लिए भी आराम कर सकता था। इस प्रक्रिया में मजदूर अपने साथियों के साथ बातचीत भी
नहीं कर सकते थे। इसके परिणामस्वरूप हेनरी फोर्ड के कारखाने की असेम्बली लाइन से
हर तीन मिनट में एक कार तैयार होकर निकलने लगी। टी-मॉडल नामक कार वृहत् उत्पादन
पद्धति से बनी पहली कार थी।
प्रश्न 7. हेनरी फोर्ड द्वारा
अपनाई गई पद्धतियों के अमेरिका पर पड़े प्रभावों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
हेनरी फोर्ड द्वारा अपनाई गई वृहत् उत्पादन पद्धति के अमेरिका पर
प्रभाव हेनरी फोर्ड द्वारा अपनाई गई पद्धतियों के अमेरिका पर निम्नलिखित प्रभाव
पड़े-
· इन्जीनियरिंग आधारित वस्तुओं की लागत तथा मूल्यों में कमी- वृहत् उत्पादन पद्धति ने इन्जीनियरिंग वस्तुओं की लागत तथा कीमतों में कमी
ला दी। अच्छे वेतनों के कारण अब अनेक मजदूर कार आदि वस्तुएँ खरीद सकते थे।
· कारों के उत्पादन में वृद्धि– वृहत्
उत्पादन पद्धति के कारण कारों के उत्पादन में वृद्धि हुई। जहाँ 1919 में अमेरिका में 20 लाख कारों का उत्पादन
होता था, जो 1929 में
बढ़कर 50 लाख कार प्रतिवर्ष से भी ऊपर जा पहुँचा।
· अन्य घरेलू सामान की बिक्री में वृद्धि- अब
बहुत सारे अमेरिकी लोग फ्रिज, वाशिंग मशीन, रेडियो, ग्रामोफोन प्लेयर्स आदि वस्तुएँ भी
खरीदने लगे। ये सब वस्तुएँ 'हायर-परचेज' व्यवस्था के अन्तर्गत खरीदी जाती थीं। दूसरे शब्दों में ये लोग समस्त
वस्तुएँ कर्जे पर खरीदते थे और उनका मूल्य साप्ताहिक अथवा मासिक किस्तों में
चुकाया जाता था।
प्रश्न 8. विकासशील देशों
द्वारा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के लिए कौनसी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
विकासशील देशों द्वारा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के लिए उत्तरदायी
परिस्थितियाँ विकासशील देशों द्वारा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के लिए निम्नलिखित
परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं-
(1) अन्तर्राष्ट्रीय
वित्तीय संस्थानों में परिवर्तन- बीसवीं शताब्दी के सातवें दशक के मध्य
अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में भारी परिवर्तन आ चुके थे। अब तक विकासशील
देश ऋण और विकास सम्बन्धी सहायता के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों की सहायता ले
सकते थे परन्तु अब उन्हें पश्चिम के व्यावसायिक बैंकों और निजी ऋणदाता संस्थानों
से ऋण न लेने के लिए विवश किया जाने लगा। परिणामस्वरूप विकासशील देशों में विभिन्न
अवसरों पर ऋण संकट उत्पन्न होने लगा जिसके कारण आय में गिरावट आती थी और निर्धनता
में वृद्धि होने लगी थी। अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों में इस प्रकार की समस्या
बड़ी विकट थी।
(2) विकसित
देशों में बेरोजगारी- विकसित देश भी बेरोजगारी की समस्या से परेशान थे। नब्बे के दशक के
प्रारम्भिक वर्षों तक वहाँ पर्याप्त बेरोजगारी रही। सत्तर के दशक के अन्तिम वर्षों
से बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ भी एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केन्द्रित करने लगीं
जहाँ वेतन कम थे। परिणामस्वरूप विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने इन देशों में
निवेश करना शुरू कर दिया। यहाँ टेलीविजन, मोबाइल फोन, खिलौने बड़े पैमाने पर बनाये जाने लगे।
वैश्वीकरण का प्रभाव- उद्योगों को कम वेतन वाले
देशों में ले जाने से. वैश्विक व्यापार और पूंजी प्रवाहों पर भी प्रभाव पड़ा।
पिछले दो दशक में भारत, चीन और ब्राजील आदि देशों की
अर्थव्यवस्था में आए परिवर्तनों के कारण विश्व का आर्थिक भूगोल पूर्णरूप से बदल चुका
है।

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