Monday, September 15, 2025

Class 10th History Chapter 2 imp QA

 

 

Class-10  Social Science ( History )

Chapter 2  (भारत में राष्ट्रवाद )

 

 

 

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1. यह किसने कहा था कि "हम बम और पिस्तौल की उपासना नहीं करते बल्कि समाज में क्रांति चाहते हैं।" 
उत्तर:
यह अपने मुकदमे के दौरान भगतसिंह ने कहा था। 

 

 

प्रश्न 2. 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे
उत्तर:
1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू थे।

 

 

प्रश्न 3. 'स्वराज पार्टीके निर्माता कौन थे
उत्तर:
'स्वराज पार्टीके निर्माता सी.आर. दास तथा पं. मोतीलाल नेहरू थे। 

 

 

प्रश्न 4. गांधीजी के नेतृत्व में चलाए गए दो प्रारम्भिक सत्याग्रह आन्दोलनों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

·  खेड़ा आन्दोलन 

·  अहमदाबाद आन्दोलन।

 

 

प्रश्न 5. सन् 1916 और 1917 में महात्मा गाँधी द्वारा किसानों के पक्ष में आयोजित किए गए दो मुख्य सत्याग्रहों के नाम बताइए।
उत्तर:

·  चम्पारन सत्याग्रह, 1916 

·  खेड़ा सत्याग्रह, 1917

 

 

प्रश्न 6. गाँधीजी अपना राजनैतिक गुरु किसे मानते थे
उत्तर:
गोपालकृष्ण गोखले को। 

 

 

प्रश्न 7. 'वन्देमातरमगीत का लेखक कौन था
उत्तर:
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय। 

 

 

प्रश्न 8. 'हिन्द स्वराजनामक पुस्तक के लेखक कौन थे
उत्तर:
महात्मा गाँधी। 

 

 

प्रश्न 9. गांधीजी ने असहयोग-खिलाफत आन्दोलन कब शुरू किया
उत्तर:
जनवरी, 1921 में। 

 

 

प्रश्न 10. आन्ध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में किसके नेतृत्व में गुरिल्ला आन्दोलन संचालित किया गया
उत्तर:
अल्लूरी सीताराम राजू। 

 

 

प्रश्न 11. 'पूर्ण स्वराजकी माँग कांग्रेस के किस अधिवेशन में की गई थी
उत्तर:
'पूर्ण स्वराजकी माँग लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में की गई थी। 

 

 

प्रश्न 12. लाहौर में कांग्रेस अधिवेशन कब आयोजित किया गया और किसकी अध्यक्षता में किया गया? 
उत्तर:

·  दिसम्बर, 1929 में 

·  पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में। 

 

 

प्रश्न 13. गांधी-इरविन समझौता कब हुआ
उत्तर:
मार्च, 1931 को। 

 

प्रश्न 14. केन्द्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली में किन क्रान्तिकारियों ने बम फेंका और कब फेंका
उत्तर:
1929 में सरदार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने केन्द्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका।

 

 

प्रश्न 15. गांधीजी ने गुजरात के किसानों की सहायता के लिए किस स्थान पर सत्याग्रह-आन्दोलन चलाया और कब?
उत्तर:
1917 में गांधीजी ने गुजरात के खेड़ा नामक स्थान पर किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।

 

 

प्रश्न 16. रॉलेट एक्ट क्या था?
उत्तर:
1919 के रॉलेट एक्ट के अनुसार किसी व्यक्ति को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था।

 

 

प्रश्न 17. जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड कब हुआइसके लिए कौन उत्तरदायी था
उत्तर:
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रेल, 1919 को हुआ। इसके लिए जनरल डायर उत्तरदायी था। 

 

 

प्रश्न 18. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड कब और कहाँ हुआ? 
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड 13 अप्रेल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में हुआ। 

 

प्रश्न 19. खिलाफत आन्दोलन से आप क्या समझते हैं
उत्तर:
तुर्की के खलीफा की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापन करने के लिए भारत में खिलाफत आन्दोलन शुरू किया गया। 

 

 

प्रश्न 20. गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन पर बल क्यों दिया
उत्तर:
गाँधीजी का मानना था कि यदि ब्रिटिश शासन का असहयोग किया जायेगा तो यह शासन समाप्त हो जायेगा। 

 

 

प्रश्न 21. गाँधीजी ने किन कारणों से खिलाफत मुद्दे को असहयोग आंदोलन में सम्मिलित किया?
उत्तर:
गाँधीजी ने मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करने के लिए खिलाफत मुद्दे को असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित कर दिया।

 

 

प्रश्न 22. 'इनलैण्ड इमिग्रेशनएक्ट क्या था
उत्तर:
इस एक्ट के अन्तर्गत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बाहर जाने की छूट नहीं होती थी। 

 

 

प्रश्न 23. मुम्बई में खिलाफत समिति का गठन क्यों और कब किया गया?
उत्तर:
खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च, 1919 में मुम्बई में खिलाफत समिति का गठन किया गया।

 

 

प्रश्न 24. खिलाफत आन्दोलन के दो प्रसिद्ध नेताओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

·  मोहम्मद अली,

·  शौकत अली। 

 

 

प्रश्न 25. 'बहिष्कारका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी के साथ सम्पर्क रखनेगतिविधियों में हिस्सेदारीवस्तुओं की खरीद एवं उपयोग आदि से इन्कार करना 'बहिष्कारकहलाता है।

 

 

प्रश्न 26. असहयोग आन्दोलन कार्यक्रम की किन्हीं दो प्रमुख बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

·  सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटाना। 

·  सरकारी नौकरियोंसेनापुलिसअदालतोंविधायी परिषदों का बहिष्कार।

 

 

प्रश्न 27. आन्ध्र प्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में आदिवासी किसानों द्वारा गुरिल्ला आन्दोलन शुरू करने के क्या कारण थे?
उत्तर:

·  आदिवासियों को जंगलों में मवेशी चराने और लकड़ी तथा फल बीनने की अनुमति नहीं देना। 

·  उन्हें सड़कें बनाने के लिए बेगार करने पर बाध्य करना।

 

 

प्रश्न 28. गांधीजी ने किस घटना के कारण असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया और कब
उत्तर:
चौरी-चौरा की हिंसात्मक घटना के कारण फरवरी, 1922 में असहयोग आन्दोलन स्थगित कर दिया। 

 

 

प्रश्न 29. द्वैध शासन व्यवस्था का क्या अर्थ है
उत्तर:
जब देश का शासन दो शक्तियों द्वारा चलाया जाता हैउसे द्वैध शासन व्यवस्था कहा जाता है। 

 

 

प्रश्न 30. गाँधीजी ने प्रस्तावित रॉलेट एक्ट के विरुद्ध एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन क्यों आरम्भ किया? 
उत्तर:
क्योंकि रॉलेट एक्ट के तहत किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाये 2 वर्ष के लिए नजरबंद किया जा सकता था।

 

 

प्रश्न 31. स्वराज पार्टी की स्थापना किसने की और कब की?
उत्तर:
1923 में सी.आर. दास और पं. मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी की स्थापना की। 

 

 

प्रश्न 32. साइमन कमीशन का गठन कब और क्यों किया गया था?
उत्तर:
1927 में भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया था।

 

 

प्रश्न 33. कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने साइमन कमीशन का बहिष्कार करने का निर्णय क्यों लिया?
उत्तर:
साइमन कमीशन के सात सदस्यों में से एक भी भारतीय नहीं था। इसलिए कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार करने का निर्णय लिया।

 

 

प्रश्न 34. गांधीजी की नमक यात्रा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
गांधीजी द्वारा नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए 1930 में साबरमती से दांडी तक की गई पैदल यात्रा को नमक यात्रा कहा जाता है।

 

 

प्रश्न 35. सविनय अवज्ञा आन्दोलन असहयोग आन्दोलन से किस प्रकार अलग था?
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन में लोगों को सरकार से सहयोग न करने के लिए कहा गया था और सविनय अवज्ञा आन्दोलन में कानूनों को तोड़ने के लिए कहा गया।

 

 

प्रश्न 36. गाँधी-इरविन समझौता किस वर्ष हुआ और किनके मध्य हुआ
उत्तर:
गाँधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी और इरविन के मध्य हुआ था। 

 

 

प्रश्न 37. गांधी-इरविन समझौते की दो शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

·  गांधीजी ने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में शामिल होना स्वीकार कर लिया। 

·  सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करना स्वीकार कर लिया।

 

 

प्रश्न 38. दलितों की 'दमित वर्ग एसोसिएशनकी स्थापना किसने की और कब की
उत्तर:
1930 में डॉ. अम्बेडकर ने दलितों की 'दमित वर्ग एसोसिएशनकी स्थापना की। 

 

 

प्रश्न 39. भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण के विरोध का नेतृत्व किन उद्योगपतियों ने किया
उत्तर:

·  पुरुषोत्तमदास ठाकुरदास

·  जी.डी. बिड़ला। 

 

 

प्रश्न 40. सीमान्त गाँधी किसे कहा जाता था
उत्तर:
अब्दुल गफ्फार खान को। 

 

 

प्रश्न 41. पूना पैक्ट की दो मुख्य बातों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

·  दलित वर्गों के लिए प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें दी जायेंगी तथा 

·  मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होगा।

 

 

प्रश्न 42. दलित वर्गों ने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग क्यों की?
उत्तर:
दलित वर्गों की मान्यता थी कि उनकी सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तीकरण से ही दूर हो सकती है। इसलिए उन्होंने अलग निर्वाचन क्षेत्रों की माँग की।

 

 

प्रश्न 43. 'पिकेटिंगसे क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पिकेटिंग प्रदर्शन के विरोध का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें लोग किसी दुकानकार्यालय या कारखाने के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं।

 

 

प्रश्न 44. असहयोग आन्दोलन में भाग लेने वाले किसानों की किन्हीं दो प्रमुख माँगों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

·  लगान में कमी 

·  बेगार की समाप्ति। 

 

 

प्रश्न 45. दांडी किस राज्य में स्थित है
उत्तर:
गुजरात राज्य में। 

 

 

प्रश्न 46. महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा कहाँ से प्रारम्भ हुई थी
उत्तर:
साबरमती में स्थित गाँधी आश्रम से।

 

 

प्रश्न 47. 'दमित वर्ग एसोसिएशनका गठन कब हुआ
उत्तर:
दमित वर्ग एसोसिएशनका गठन 1930 ई. में हुआ। 

 

 

प्रश्न 48. गाँधीजी ने सर्वप्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था और क्यों किया था?
उत्तर:
गाँधीजी ने सर्वप्रथम सत्याग्रह का प्रयोग दक्षिणी अफ्रीका में किया था क्योंकि वहाँ की सरकार रंगभेद की नीति का अनुकरण कर रही थी।

 

 

प्रश्न 49. कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम को किस अधिवेशन में स्वीकृति प्रदान की गई और कब?
उत्तर:
कांग्रेस के असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम को दिसम्बर, 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में स्वीकृति प्रदान की गई।

 

 

प्रश्न 50. अवध में आन्दोलन करने वाले किसानों का नेतृत्व किसने किया
उत्तर:
अवध में संन्यासी बाबा रामचन्द्र ने आन्दोलन करने वाले किसानों का नेतृत्व किया। 

 

 

प्रश्न 51. कांग्रेस ने किस तारीख को स्वतंत्रता दिवस मनाने का निश्चय किया? 
उत्तर:
कांग्रेस ने 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निश्चय किया। 

 

 

प्रश्न 52. गाँधीजी ने वायसराय लार्ड इरविन को लिखे पत्र में कितनी माँगें प्रस्तुत की थीं
उत्तर:
गाँधीजी ने वायसराय लार्ड इरविन को लिखे पत्र में 11 माँगें प्रस्तुत की थीं।

 

 

प्रश्न 53. गाँधीजी ने अपने पत्र में वायसराय को क्या अल्टीमेटम (चेतावनी) दिया था?
उत्तर:
गाँधीजी ने अपने पत्र में वायसराय को यह अल्टीमेटम दिया था कि 11 मार्च तक उनकी माँगें स्वीकार न करने पर कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी।

 

 

प्रश्न 54. गाँधीजी किस गोलमेज सम्मेलन में सम्मिलित हुए और कब
उत्तर:

·  द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में 

·  1931 में। 

 

 

प्रश्न 55. पूना पैक्ट कब हुआ
उत्तर:
पूना पैक्ट सितम्बर, 1932 में हुआ। 

 

 

प्रश्न 56. पूना पैक्ट किस-किसके बीच हुआ
उत्तर:
पूना पैक्ट महात्मा गाँधी और डॉ. अम्बेडकर के बीच हुआ। 

 

 

प्रश्न 57. पूना पैक्ट क्या था?
उत्तर:
पूना पैक्ट के अनुसार दलित वर्ग के लोगों को प्रान्तीय तथा केन्द्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें प्रदान की गईं।

 

 

प्रश्न 58. 'आनन्द मठनामक उपन्यास किसने लिखा
उत्तर:
आनन्द मठनामक उपन्यास बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने लिखा। 

 

 

प्रश्न 59. लाला लाजपतराय की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर:
साइमन कमीशन के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने लाला लाजपत राय पर हमला किया। प्रदर्शन के दौरान मिले गहरे जख्मों के कारण उनकी मृत्यु हुई।

 

 

प्रश्न 60. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच.एस.आर.ए.) के तीन प्रमुख नेताओं के नाम बताइये।
उत्तर:
(1) भगत सिंह (2) जतिन दास (3) अजॉय घोष। 

 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)

 

प्रश्न 1. पूना पैक्ट कब और किन-किन के मध्य हुआ
उत्तर:

·  कब-पूना पैक्ट सितम्बर, 1932 में हुआ। 

·  किन-किन के मध्य-पूना पैक्ट महात्मा गाँधी और डॉ. अम्बेडकर के बीच हुआ।

 

 

 

प्रश्न 2. इतिहास की पुनर्व्याख्या किस प्रकार भारत में राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने में महत्त्वपूर्ण साधन सिद्ध हुईस्पष्ट करें।
उत्तर:
19वीं शताब्दी तक सारे भारतीय यह महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए संजीव पास बुक्स भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। फलतः भारतीयों ने अपने गौरवपूर्ण अतीत के बारे में लिखना शुरू किया। गौरवपूर्ण अतीत की जानकारी से राष्ट्रवाद की भावना को बल मिला। 

 

 

प्रश्न 3. सम्पन्न किसान समुदाय के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लेने के दो कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

·  सम्पन्न किसान लगान माफ करवाने की माँग को लेकर सविनय अवज्ञा आन्दोलन में शामिल हुए। 

·  व्यापारिक फसलों में गिरती कीमतों से परेशान सम्पन्न किसान सविनय अवज्ञा आन्दोलन में शामिल हुए। 

 

 

प्रश्न 4. गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर:
गाँधीजी का विचार था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग के कारण चल पा रहा है। यदि भारतवासी अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के अन्दर ब्रिटिश शासन समाप्त हो जायेगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी। इसी कारण गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग की नीति अपनाई।

 

 

प्रश्न 5. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जलियाँवाला बाग की दुर्घटना अमृतसर में 1919 ई. में बैशाखी वाले दिन हुई। इस दिन अमृतसर की जनता जलियाँवाला बाग में एक सभा कर रही थी। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के इस शान्तिपूर्ण सभा पर गोली चलाने का आदेश दे दिया। इससे सैकड़ों निर्दोष व्यक्तियों की जानें गईं तथा सैकड़ों घायल हुए।

 

 

प्रश्न 6. जलियाँवाला हत्याकाण्ड के प्रभाव का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:

·  जलियाँवाला हत्याकाण्ड के प्रभावस्वरूप सारे देश में रोष की लहर फैल गई। 

·  अब भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन जनता का संग्राम बन गया। 

·  इसमें श्रमिककिसानविद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे। 

·  अब स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई। 

 

 

प्रश्न 7. गिरमिटिया मजदूर कौन थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक शासन के दौरान अनेक लोगों को काम करने के लिए फिजीगयानावेस्टइंडीज आदि देशों में एक अनुबन्ध के तहत ले जाया गया था जिसे बाद में ये मजदूर 'गिरमिटकहते थे। इसी आधार पर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।

 

 

प्रश्न 8. अल्लूरी सीताराम राजू पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अल्लूरी सीताराम राजू आन्ध्रप्रदेश के गूडेम पहाड़ियों में रहने वाले आदिवासी किसानों के नेता थे। उन्होंने लोगों को खादी पहनने तथा शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी मान्यता थी कि भारत अहिंसा के बल पर नहींबल्कि बल प्रयोग के द्वारा ही स्वतन्त्र हो सकता है। 1924 में राजू को फांसी दे दी गई।

 

 

प्रश्न 9. दिसम्बर, 1929 के कांग्रेस के 'लाहौर अधिवेशनपर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 में लाहौर में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआजिसमें 'पूर्ण स्वराजका प्रस्ताव पास किया गया तथा कांग्रेस को उचित अवसर पर सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार दे दिया। 26 जनवरी, 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का भी निश्चय किया गया।

 

 

प्रश्न 10. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ किसी संयुक्त संघर्ष के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उन्हें भय था कि यदि भारत में बहुसंख्यक हिन्दुओं का प्रभुत्व स्थापित हो गयातो अल्पसंख्यकों की संस्कृति और पहचान नष्ट हो जाएगी। अतः इस आन्दोलन में मुसलमानों के एक बड़े वर्ग ने भाग नहीं लिया।

 

 

प्रश्न 11. अंग्रेज सरकार ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में क्या-क्या कदम उठाए
उत्तर:
अंग्रेज सरकार ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध सत्याग्रह के विरोध में निम्न कदम उठाए-

·  रैलियों एवं जुलूसों पर रोक लगाई गई। 

·  अमृतसर के स्थानीय नेताओं का विरोध किया गया। 

·  दिल्ली में महात्मा गाँधी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई।

 

 

प्रश्न 12. गाँधी-इरविन समझौते पर कब हस्ताक्षर हुएइस समझौते की प्रमुख बातें क्या थी
उत्तर:
मार्च, 1931 को गाँधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसकी मुख्य बातें थीं-

·  गाँधीजी लंदन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने को सहमत हो गये। 

·  ब्रिटिश सरकार राजनैतिक कैदियों को रिहा करने पर सहमत हो गई। 

 

 

प्रश्न 13. गाँधीजी के द्वारा दलितोद्धार के लिए किए गए कार्यों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

·  गाँधीजी ने स्वराज की स्थापना के लिए अस्पृश्यता को समाप्त करने पर बल दिया। 

·  अछूतों को हरिजन (ईश्वर की सन्तान) बताया। 

·  मन्दिरोंसार्वजनिक तालाबोंकुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया। 

·  ऊँची जातियों से अपना हृदय परिवर्तन करने की अपील की। 

 

 

प्रश्न 14. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में औद्योगिक श्रमिक वर्ग की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
मजदूरों ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का समर्थन किया। 1930 में रेलवे कामगारों की तथा 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई। 1930 में छोटा नागपुर की टिन खानों के हजारों मजदूरों ने गाँधी टोपी पहनकर रैलियों और बहिष्कार अभियानों में भाग लिया। शोलापुर के मजदूरों ने पुलिस चौकियों पर हमले किए।

 

 

प्रश्न 15. ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन को क्यों नियुक्त किया?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने 1927 में सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया। ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय आन्दोलन को शिथिल करनेभारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करने तथा उसके बारे में सुझाव प्राप्त करने के लिए साइमन कमीशन को नियुक्त किया।

 

 

प्रश्न 16. शहरी क्षेत्रों में असहयोग आन्दोलन के शिथिल पड़ने के मुख्य दो क्या कारण थे?
उत्तर:

·  खादी का कपड़ा मिलों में बनने वाले कपड़ों से काफी महंगा होता था अतः गरीब मिलों के कपड़ों का लम्बे समय तक बहिष्कार नहीं कर सकते थे।

·  ब्रिटिश संस्थानों के वैकल्पिक संस्थानों की कमी के कारण विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे थे। 

 

 

प्रश्न 17. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड की भारत में क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर:
जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड से भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ। विभिन्न स्थानों पर हड़तालें हुईंलोग पुलिस से मोर्चा लेने लगे और सरकारी भवनों पर हमले करने लगे। परन्तु सरकार ने दमनात्मक नीति अपनाते हुए लोगों पर भीषण अत्याचार किएउन पर कौड़े बरसाए गए और गाँवों पर बम गिराये गए।

 

 

प्रश्न 18. असहयोग आन्दोलन कार्यक्रम की चार प्रमुख बातों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

·  सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटाना। 

·  सरकारी नौकरियोंसेनापुलिसअदालतोंविधायी परिषदों का बहिष्कार। 

·  विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार। 

·  सरकारी स्कूलों तथा कॉलेजों का बहिष्कार। 

 

 

प्रश्न 19. बारदोली सत्याग्रह के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बारदोली सत्याग्रह-1928 में वल्लभ भाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान आन्दोलन का नेतृत्व कियाजो कि भू-राजस्व को बढ़ाने के खिलाफ था। यह बारदोली सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है और यह आंदोलन वल्लभ भाई पटेल के सक्षम नेतृत्व के तहत सफल रहा। इस संघर्ष का प्रचार व्यापक रूप से हुआ और इसे भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक सहानुभूति प्राप्त हुई। 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)

 

प्रश्न 1. 1909 में गाँधीजी द्वारा रचित पुस्तक का नाम बताइए। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति क्यों अपनाई?
उत्तर:
1909 में गाँधीजी द्वारा रचित पुस्तक का नाम है- 'हिन्द स्वराज' 
गाँधीजी ने स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग की नीति अग्र कारणों से अपनाई-
(1) महात्मा गाँधी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ था और उन्हीं के सहयोग से यह चल पा रहा था। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।

(2) गाँधीजी पूरे भारत में एक अधिकाधिक जनाधार वाला आन्दोलन खड़ा करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन के समर्थन तथा स्वराज के लिए असहयोग आन्दोलन का रास्ता चुना।

 

 

प्रश्न 2. 'खिलाफत आन्दोलनका अर्थ स्पष्ट कीजिए। इसमें गाँधीजी की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन का अर्थ-
 तुर्की का सुल्तान इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता अर्थात् खलीफा माना जाता था। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने तुर्की के सुल्तान पर एक कठोर और अपमानजनक सन्धि थोप दी। इससे भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। अतः उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खिलाफत आन्दोलन शुरू कर दिया।

खिलाफत आन्दोलन में गाँधीजी की भूमिका- गाँधीजी ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। सितम्बर, 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाँधीजी ने दूसरे कांग्रेसी नेताओं को इस बात पर राजी कर लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए।

 

प्रश्न 3. गिरमिटिया श्रमिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गिरमिटिया श्रमिक-औपनिवेशिक शासन के दौरान अनेक भारतीयों को काम करने के लिए फिजीगुयानावेस्टइण्डीज आदि देशों में एक अनुबन्ध के तहत ले जाया जाता थाजिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। उन्हें एक अनुबन्ध के तहत ले जाया जाता थाजिसे बाद में ये मजदूर 'गिरमिटकहने लगे। इसी आधार पर इन श्रमिकों को 'गिरमिटियामजदूर कहा जाने लगा। भारत के अधिकतर अनुबन्धित मजदूर वर्तमान पूर्वी उत्तर प्रदेशबिहारमध्य भारत और तमिलनाडु के सूखे क्षेत्रों से जाते थे। इन मजदूरों को बागानोंखानोंसड़क व रेलवे निर्माण योजनाओं में काम करने के लिए ले जाया जाता था। वहाँ इनका शोषण किया जाता था। उन्हें अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता था। फिर भी उन्होंने नया जीवन व्यतीत करने के लिए अपने तरीके ढूंढ निकाले।

 

प्रश्न 4. दक्षिणी अफ्रीका से भारत आने के बाद महात्मा गांधी द्वारा किये गये सत्याग्रह आन्दोलनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

·  1917 में गांधीजी ने बिहार के चम्पारन में सत्याग्रह आन्दोलन किया। उन्होंने चम्पारन क्षेत्र का दौरा किया तथा दमनकारी बागान व्यवस्था के विरुद्ध किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

·  1917 में गांधीजी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की सहायता के लिए सत्याग्रह किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग की महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने में असमर्थ थे। वे लगान वसूली में कुछ रियायत चाहते थे।

·  1918 में गांधीजी ने अहमदाबाद में सत्याग्रह आन्दोलन चलाया। उन्होंने सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों को संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

 

प्रश्न 5. असहयोग आंदोलन के आर्थिक प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
असहयोग आंदोलन के आर्थिक प्रभाव=

·  असहयोग आंदोलन में विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया। इससे विदेशी कपड़ों के आयात में कमी आई। 

·  विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। 1921 से 1922 के बीच विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया।

·  इस आंदोलन के दौरान लोग केवल भारतीय कपड़े पहनने लगे। इससे भारतीय मिलों और हथकरघों का उत्पादन बढ़ने लगा।

·  कई व्यापारियों और उद्योगपतियों ने विदेशी चीजों का व्यापार करने तथा विदेशी व्यापार में पैसा लगाना बन्द कर दिया।

 

प्रश्न 6. खिलाफत आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैंराष्ट्रीय आन्दोलन में इसका क्या महत्त्व था?
उत्तर:
तुर्की के सुल्तान को इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता अर्थात् खलीफा माना जाता था। मुसलमानों को आशंका थी कि ब्रिटिश सरकार तुर्की के सुल्तान पर एक कठोर शान्ति सन्धि थोपना चाहती है। ब्रिटिश सरकार द्वारा उसे अपमानित किये जाने से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त था। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ खिलाफत नामक आंदोलन शुरू कर दिया। 1919 में मुम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया। गांधीजी ने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न करने के लिए खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया।

महत्त्व खिलाफत आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशीलता प्रदान की। इसने हिन्दुओं और मुसलमानों में एकता उत्पन्न की। अतः असहयोग आन्दोलन में मुसलमानों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। 

 

प्रश्न 7. असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम का वर्णन कीजिए।
अथवा 
असहयोग आन्दोलन के सन्दर्भ में गांधीजी के प्रमुख सुझावों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

·  सरकार द्वारा दी गई पदवियाँ लौटा दी जाएँ। 

·  सरकारी नौकरियों का बहिष्कार किया जाए। 

·  सेना तथा पुलिस का बहिष्कार किया जाए। 

·  सरकारी अदालतों का बहिष्कार किया जाए। 

·  विधायी परिषदों का बहिष्कार किया जाए। 

·  सरकारी स्कूलों का बहिष्कार किया जाए। 

·  विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाए तथा स्वदेशी माल का प्रयोग किया जाए। 

·  यदि सरकार दमनकारी नीति अपनायेतो व्यापक सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया जाए। 

 

 

प्रश्न 8. स्वराज पार्टी की स्थापना और उसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
1923 में चितरंजन दास देशबन्धु तथा पं. मोतीलाल नेहरू ने स्वराज दल की स्थापना की। स्वराज पार्टी के निम्नलिखित उद्देश्य थे-

·  प्रान्तीय परिषदों में रहते हुए ब्रिटिश नीतियों का विरोध करना। 

·  सुधारों की वकालत करना। 

·  यह दिखलाना कि ये परिषदें लोकतांत्रिक संस्थाएँ नहीं हैं तथा स्वराज प्राप्त करना।

·  स्वराज दल ने परिषदों में शोषणकारीअन्यायपूर्ण तथा दमनकारी कानूनों का विरोध किया और स्वराज के लिए प्रबल माँगें उठाईं।

इस प्रकार स्वराज दल ने एक स्वस्थ विरोधी दल के रूप में सराहनीय भूमिका निभाई। इसने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशील बनाया।

 

 

प्रश्न 9. गाँधीजी की नमक यात्रा को स्पष्ट कीजिए और सविनय अवज्ञा आंदोलन की कार्ययोजना बताइए।
उत्तर:
गाँधीजी की नमक यात्रा मार्च, 1930 में गाँधीजी ने अपने 78 विश्वस्त कार्यकर्ताओं को लेकर साबरमती आश्रम से नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी नामक कस्बे की ओर प्रस्थान किया। गाँधीजी ने 240 किलोमीटर की यह यात्रा पैदल चलकर 24 दिन में पूरी की। 6 अप्रेल को वे दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। इस प्रकार उन्होंने नमक कानून भंग किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन की कार्ययोजना निम्न प्रकार थी-

·  अंग्रेजों को सहयोग न करना। 

·  औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करना। 

·  सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन करना। 

·  विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करना। 

·  शराब की दुकानों की पिकेटिंग करना। 

 

प्रश्न 10. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में दलित वर्ग की भूमिका का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
कांग्रेस ने दीर्घकाल तक दलितों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वह रूढ़िवादी सवर्ण हिन्दू सनातनपंथियों से भयभीत थी। दलित नेता पिछड़े वर्गों की समस्याओं का अलग राजनीतिक समाधान ढूँढ़ना चाहते थे। उन्होंने दलितों के लिए विधानसभाओं में पृथक् निर्वाचिका की व्यवस्था किए जाने पर बल दिया। उनका कहना था कि उनका सामाजिक पिछड़ापन केवल राजनीतिक सशक्तीकरण से ही दूर हो सकता है। इसलिए सविनय अवज्ञा आन्दोलन में दलितों की हिस्सेदारी काफी सीमित थी। महाराष्ट्र तथा नागपुर में दलितों के संगठन काफी शक्तिशाली थे। इसलिए इन प्रदेशों में बहुत कम दलितों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भाग लिया।

 

 

प्रश्न 11. अल्लूरी सीताराम राजू के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
अल्लूरी सीताराम राजू ने आंधप्रदेश के गूडेम विद्रोहियों का नेतृत्व किया था। उनके व्यक्तित्व का वर्णन निम्न प्रकार है-

·  अल्लूरी सीताराम राजू एक दिलचस्प व्यक्ति थे। उनका दावा था कि उनके पास बहुत सारी विशेष शक्तियाँ हैं-वह सटीक खगोलीय अनुमान लगा सकते हैंलोगों को स्वस्थ कर सकते हैं तथा गोलियाँ भी उन्हें नहीं मार सकतीं।

·  राजू के व्यक्तित्व से चमत्कृत विद्रोहियों को विश्वास था कि वह ईश्वर का अवतार हैं। 

·  राजू महात्मा गांधी की महानता के गुण गाते थे।

·  उनका कहना था कि वह असहयोग आंदोलन से प्रेरित हैं। उन्होंने लोगों को खादी पहनने तथा शराब छोडने के लिए प्रेरित किया।

·  उनका दावा था कि भारत अहिंसा के बल पर नहीं बल्कि केवल बल प्रयोग के जरिए ही आजाद हो सकता है। 

·  1924 में उन्हें फांसी दे दी गई। 

 

प्रश्न 12. दलितों को उनके अधिकार दिलाने हेतु गाँधीजी ने क्या प्रयास किये?
उत्तर:
महात्मा गांधी का मानना था कि अस्पृश्यता (छुआछूत) को खत्म किये बिना सौ साल तक भी स्वराज की स्थापना नहीं की जा सकती। अतः दलितों को उनके अधिकार दिलाने हेतु उन्होंने निम्न कार्य किये-

·  महात्मा गांधी ने 'दलितोंको ईश्वर की संतान बताया। 

·  उन्हें मंदिरोंसार्वजनिक तालाबोंसड़कों और कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया। 

·  मैला ढोने वालों के काम को प्रतिष्ठा दिलाने के लिए वे खुद शौचालय साफ करने लगे।

·  महात्मा गांधी ने ऊँची जातियों का आह्वान किया कि वे अपना हृदय परिवर्तन करें और 'अस्पृश्यता के पापको छोड़ें।

 

प्रश्न 13. 'पूना पैक्टपर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
दलितों के प्रसिद्ध नेता डॉ. अम्बेडकर ने दलितों के लिए विधानसभाओं में पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था करने की माँग की थी। 1932 में ब्रिटिश प्रधानमन्त्री मैक्डानल्ड ने अपना प्रसिद्ध साम्प्रदायिक पंचाट घोषित कियाजिसके अनुसार दलितों के लिए भी पृथक् निर्वाचिका की व्यवस्था की गई। गांधीजी ने इसका विरोध किया और आमरण अनशन पर बैठ गए। अन्त में डॉ. अम्बेडकर तथा गांधीजी के बीच एक समझौता हो गया जिसे 'पूना पैक्टकहते हैं। इसके अनुसार दलित वर्गों को प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधान परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गईं परन्तु उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होना था। 

 

प्रश्न 14. अवध में किसानों को आन्दोलन क्यों करना पड़ा?
अथवा 
अवध में हुए किसान आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अवध में किसान आन्दोलन-अवध में किसानों की दशा दयनीय थीअवध के तालुकदार तथा जमींदार किसानों पर अत्याचार करते थे। वे किसानों से भारी-भरकम लगान और अनेक प्रकार के कर वसूल करते थे। किसानों को बेगार करनी पड़ती थी। किसानों की माँग थी कि लगान कम किया जाएबेगार समाप्त की जाए तथा दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए। अवध में संन्यासी बाबा रामचन्द्र ने किसानों के आन्दोलन का नेतृत्व किया। पं. जवाहर लाल नेहरू तथा बाबा रामचन्द्र के नेतृत्व में 'अवध किसान सभाका गठन किया गया। जब 1921 में असहयोग आन्दोलन शुरू हुआ तो कांग्रेस ने अवध के किसान-संघर्ष को इस आन्दोलन में सम्मिलित करने का प्रयास किया। 1921 में तालुकदारों और व्यापारियों के मकानों पर हमले किए गए और अनाज के गोदामों पर अधिकार कर लिया गया।

 

प्रश्न 15. आंध्र प्रदेश में अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में हुए आदिवासी किसान आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1920 के दशक में आन्ध्र प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों में एक उग्र गुरिल्ला आन्दोलन फैल गया। ब्रिटिश सरकार ने बड़े-बड़े जंगलों में आदिवासियों के प्रवेश होने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। वे इन जंगलों में न तो अपने पशु चरा सकते थेन ही जलाने के लिए लकड़ी और फल बीन सकते थे। इससे आदिवासियों में तीव्र आक्रोश व्याप्त था। जब सरकार ने उन्हें सड़कों के निर्माण के लिए बेगार करने पर विवश कियातो उन्होंने विद्रोह कर दिया। आदिवासी किसानों का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया। राजू गाँधीजी की महानता के गुण गाता था। लेकिन उसका कहना था कि भारत अहिंसा के बल पर नहींबल्कि केवल बल प्रयोग के द्वारा ही स्वतन्त्र हो सकता है। अतः आदिवासियों ने पुलिस थानों पर आक्रमण किया। 1924 में राजू को फाँसी दे दी गई। 

 

प्रश्न 16. गाँधीजी ने नमक यात्रा क्यों शुरू की?
अथवा 
गाँधीजी की नमक यात्रा का क्या उददेश्य था?
उत्तर:
देश को एकजुट करने के लिए गाँधीजी ने नमक को एक प्रभावशाली प्रतीक माना। 31 जनवरी, 1930 को उन्होंने वायसराय लार्ड इरविन को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया। गाँधीजी इन मांगों के द्वारा समाज के सभी वर्गों को अपने साथ जोड़ना चाहते थे ताकि सभी उनके आन्दोलन में शामिल हो सकें । इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण माँग नमक कर को समाप्त करने के बारे में थी। नमक का अमीर-गरीब सभी प्रयोग करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसलिए गाँधीजी नमक कर को ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू मानते थे। अतः जब ब्रिटिश सरकार ने उनकी माँगें नहीं मानींतो मार्च, 1930 में गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से नमक कानून तोड़ने के लिए दांडी नामक स्थान की ओर प्रस्थान किया। 6 अप्रेल को दांडी पहुँचकर उन्होंने नमक बनाकर नमक कानून भंग किया।

 

प्रश्न 17. हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच.एस.आर.ए.) की स्थापना कब हुईइसके नेताओं ने अंग्रेजी सरकार के प्रति किस प्रकार विरोध प्रदर्शन किया।
उत्तर:
बहुत सारे राष्ट्रवादियों को लगता था कि अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष अहिंसा के जरिए पूरा नहीं हो सकता। 1928 में दिल्ली स्थित फिरोजशाह कोटला मैदान में हुई बैठक में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (एच.एस.आर.ए.) की स्थापना की गई। इसके नेताओं में भगत सिंहजतिन दास और अजॉय घोष शामिल थे।

देश के विभिन्न भागों में कार्रवाइयाँ करते हुए इसके नेताओं ने ब्रिटिश सत्ता के कई प्रतीकों को निशाना बनाया। 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका। उसी साल उस ट्रेन को उड़ाने का प्रयास किया गया जिसमें लॉर्ड इरविन यात्रा कर रहे थे। इस प्रकार विभिन्न क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से इन्होंने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अनेक नेताओं पर मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी दे दी गई।

प्रश्न 18. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में किसानों की भूमिका का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में किसानों की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।,धनी किसान व्यावसायिक फसलों की खेती करने के कारण व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों से परेशान थे। जब उनकी नकद आय कम होने लगीतो उनके लिए सरकारी लगान चुकाना असम्भव हो गया। अतः लगान में कमी कराने हेतु उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। परन्तु जब 1931 में लगानों में कमी किए बिना आन्दोलन वापस ले लिया गयातो धनी किसानों में बड़ी निराशा हुई। फलतः जब 1932 में आन्दोलन पुनः शुरू हुआतो उनमें से बहुतों ने उसमें भाग नहीं लिया। गरीब किसान चाहते थे कि उन्हें जमींदारों को जो भाग चुकाना पड़ रहा थाउसे माफ कर दिया जाए। इसके लिए उन्होंने कई रेडिकल आन्दोलनों में भाग लिया। परन्तु उन्हें कांग्रेस की ओर से समर्थन नहीं मिला।

प्रश्न 19. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं के योगदान का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भारतीय महिलाओं ने बड़े पैमाने पर भाग लिया। महिलाएँ गाँधीजी के विचार सुनने के लिए अपने घरों से बाहर आ जाती थीं। उन्होंने जुलूसों में भाग लियानमक बनाकर नमक-कानून तोड़ा। उन्होंने विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों पर धरना दिया। उन्होंने सरकार की दमनात्मक नीति का साहसपूर्वक मुकाबला किया और अनेक महिलाओं को जेलों में बन्द कर दिया गया। शहरी क्षेत्रों में अधिकतर ऊँची जातियों की महिलाएँ सक्रिय थीं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पन्न किसान परिवारों की महिलाएँ आन्दोलन में भाग ले रही थीं। गाँधीजी के आह्वान के बाद महिलाओं ने राष्ट्र की सेवा करना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझा।

 

प्रश्न 20. भारत के प्रमुख मुस्लिम राजनीतिक संगठनों की सविनय अवज्ञा आन्दोलन में भूमिका का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारत के कुछ प्रमुख मुस्लिम राजनीतिक संगठनों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में कोई विशेष उत्साह नहीं दिखाया। असहयोग आन्दोलन के शान्त पड़ जाने के बाद मुसलमानों का एक बड़ा भाग कांग्रेस से कटा हुआ महसूस करने लगा। हिन्दू-मुसलमानों के बीच सम्बन्ध खराब होने से दोनों समुदाय उग्र धार्मिक जुलूस निकालने लगे।

इससे कई नगरों में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगे हुए। यद्यपि मुस्लिम लीग ने पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की व्यवस्था का समर्थन किया था परन्तु मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता जिन्ना ने घोषित किया कि केन्द्रीय सभा में मुसलमानों को आरक्षित सीटें देने तथा मुस्लिम बहुल प्रान्तों में मुसलमानों को आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने पर वह पृथक निर्वाचिका की माँग छोड़ देंगे। परन्तु कुछ समय बाद ही जिन्ना ने इस पर जोर नहीं दिया। 

 

 

निबन्धात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1. रॉलेट एक्ट क्या थागांधीजी द्वारा रॉलेट एक्ट का विरोधं किये जाने का विवरण दीजिए।
उत्तर:
रॉलेट एक्ट- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार बड़ी चिन्तित थी। अतः उसने राष्ट्रवादियों के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च, 1919 में इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल ने रॉलेट एक्ट पारित किया। इस कानून के द्वारा ब्रिटिश सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने तथा राजनीतिक बन्दियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बन्द रखने का अधिकार मिल गया था। इससे भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।

गांधीजी द्वारा रॉलट एक्ट का विरोध- गांधीजी ने रॉलेट एक्ट का घोर विरोध किया और इसके विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने सम्पूर्ण देश में 6 अप्रेल, 1919 को हड़ताल करने का आह्वान किया। गांधीजी के आह्वान पर विभिन्न स्थानों पर हड़ताल की गई और रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया। रेलवे वर्कशॉप्स में श्रमिक हड़ताल पर चले गए।

ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति- ब्रिटिश सरकार ने इस जन-आन्दोलन को कुचलने के लिए दमनकारी नीति अपनाई । सरकार ने अमृतसर में अनेक राष्ट्रवादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। गांधीजी के दिल्ली में प्रवेश करने पर पाबन्दी लगा दी गई। जनरल डायर द्वारा जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड को अंजाम दिया गया।

 

प्रश्न 2. शहरों में असहयोग आन्दोलन की प्रगति की विवेचना कीजिए। शहरों में आन्दोलन के धीमे पड़ने के क्या कारण थे?
अथवा 
असहयोग आन्दोलन में शहरी मध्य वर्ग की भूमिका का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
शहरों में असहयोग आन्दोलन की प्रगति
अथवा
असहयोग आन्दोलन में शहरी मध्य वर्ग की भूमिका 
शहरों में असहयोग आन्दोलन की प्रगति का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(1) विद्यार्थियोंशिक्षकों एवं वकीलों की भूमिका- असहयोग आन्दोलन के दौरान शहरों में हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कालेज छोड़ दिए। मुख्याध्यापकों एवं शिक्षकों ने त्याग-पत्र सौंप दिए। वकीलों ने मुकदमे लड़ना बन्द कर दिया और बड़ी संख्या में आन्दोलन में भाग लिया।

(2) परिषद् चुनावों का बहिष्कार- मद्रास के अतिरिक्त अधिकतर प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया गया। लेकिन मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा गठित जस्टिस पार्टी ने परिषद् चुनावों का बहिष्कार नहीं किया।

(3) आर्थिक मोर्चे पर असहयोग आन्दोलन का प्रभाव- आन्दोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गयाशराब की दुकानों पर पिकेटिंग (धरना) की गई और विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई। अनेक स्थानों पर व्यापारियों ने विदेशी वस्तुओं का व्यापार करने से इनकार कर दिया। फलतः विदेशी कपड़ों का आयात आधा रह गया और भारतीय कपड़ा मिलों तथा हथकरघों का उत्पादन बढ़ गया।

शहरों में असहयोग आन्दोलन के धीमे पड़ने के कारण- कालान्तर में शहरों में असहयोग आन्दोलन धीमा पड़ने लगा। इसके निम्नलिखित कारण थे-
(1) महंगा कपड़ा-
 खादी का कपड़ा मिलों में बड़े पैमाने पर बनने वाले कपड़ों के मुकाबले प्रायः महंगा होता था और निर्धन लोग उसे नहीं खरीद सकते थे।

(2) वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना की धीमी प्रक्रिया- असहयोग आन्दोलन के दौरान ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार तो किया गयापरन्तु वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना नहीं की गई। फलतः विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे तथा वकील पुनः सरकारी न्यायालयों में वकालत करने लगे।

 

प्रश्न 3. असहयोग आन्दोलन के कारणों का विश्लेषण कीजिए। 
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन के कारण 
जनवरी, 1921 में गांधीजी के नेतृत्व में अंसहयोग आन्दोलन शुरू हुआ। इस आन्दोलन के निम्नलिखित कारण थे-

·  करों में वृद्धि- प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा-व्यय की पूर्ति के लिए ब्रिटिश सरकार ने करों में वृद्धि कीसीमा-शुल्क भी बढ़ा दिया और आयकर नामक कर शुरू किया गया। इससे भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।

·  मूल्यों में वृद्धि- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मूल्यों में अत्यधिक वृद्धि हुई। जिसके फलस्वरूप जनसाधारण का जीवन-निर्वाह करना बहुत कठिन हो गया था।

·  गाँवों में सैनिकों की जबरन भर्ती- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गाँवों में सैनिकों को जबरदस्ती भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में तीव्र आक्रोश व्याप्त था।

·  गांधीजी को निराशा- प्रथम विश्व युद्ध में गांधीजी ने अंग्रेजों की आर्थिक और सैनिक सहायता इस आशा से की थी कि ब्रिटिश सरकार भारतीयों को स्वराज प्रदान करेगी। परन्तु युद्ध की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार की ओर से स्वराज प्रदान किए जाने के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया।

·  रॉलेट एक्ट- 1919 में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित कर दिया। इस अन्यायपूर्ण कानून से भारतीयों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ।

·  जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड- अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने असहयोग आन्दोलन को जनआन्दोलन में बदल दिया।

·  सरकार की दमनकारी नीति- जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के बाद ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई और पंजाब के लोगों पर भीषण अत्याचार किये।

·  खिलाफत आन्दोलन- गांधीजी ने खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया। खिलाफत आन्दोलन से असहयोग आन्दोलन को बढ़ावा मिला। 

 

प्रश्न 4. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा 
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारण
1930 में गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआजिसके निम्नलिखित कारण थे-
(1) विश्वव्यापी आर्थिक मंदी- 1930 की विश्व-व्यापी आर्थिक मंदी के कारण भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त शोचनीय थी। किसानों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाईबेरोजगारी तथा गरीबी बहुत बढ़ गई थी।
(2) साइमन कमीशन- साइमन कमीशन ने जो रिपोर्ट दीउससे भारतवासियों को बड़ी निराशा हुई।
(3) लार्ड इरविन की घोषणा- भारतीयों के विरोध को शान्त करने के लिए वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर, 1929 में भारत के लिए 'औपनिवेशिक राज्यकी अस्पष्ट घोषणा की। उन्होंने केवल यह बताया कि भावी संविधान के बारे में चर्चा करने के लिए गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस प्रस्ताव से कांग्रेस के नेता सन्तुष्ट नहीं थे।
(4) पूर्ण स्वराज की माँग- 31 दिसम्बर, 1929 को कांग्रेस अधिवेशन में 'पूर्ण स्वराजका प्रस्ताव पास किया गया। इस अधिवेशन ने कांग्रेस को उचित अवसर पर सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का अधिकार दे दिया।
(5) गांधीजी की माँगों को अस्वीकार करना- 31 जनवरी, 1930 को. गांधीजी ने वायसराय लार्ड इरविन को एक पत्र लिखा। इस पत्र में गांधीजी ने यह चेतावनी दी थी कि यदि 11 मार्च, 1930 तक उनकी माँगें नहीं मानी गईंतो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू कर देगी। जब वायसराय ने गांधीजी की बातें नहीं मानींतो उन्होंने सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निश्चय कर लिया।

 

प्रश्न 5. सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति का वर्णन कीजिए। इस आन्दोलन का क्या महत्त्व था
उत्तर:
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति
(1) दांडी यात्रा- सविनय अवज्ञा आन्दोलन गांधीजी की दांडी यात्रा से शुरू हुआ। मार्च, 1930 में गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त कार्यकर्ताओं के साथ साबरमती आश्रम से दांडी नामक स्थान की ओर प्रस्थान किया। उन्होंने 240 किलोमीटर की यात्रा पैदल चलकर 24 दिन में तय की। 6 अप्रेल को गांधीजी दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबाल कर नमक बनाना शुरू कर दिया। इस प्रकार उन्होंने नमक कानून का उल्लंघन किया।

(2) सविनय अवज्ञा आन्दोलन की प्रगति- शीघ्र ही सविनय अवज्ञा आन्दोलन सम्पूर्ण देश में फैल गया। अनेक स्थानों पर लोगों ने नमक कानून तोड़ा और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किये। विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया तथा शराब की दुकानों पर धरना दिया गया। किसानों ने लगान और चौकीदारी कर चुकाने से इन्कार कर दिया। गाँवों में नियुक्त सरकारी कर्मचारियों ने त्याग-पत्र दे दिए। जंगलों में रहने वाले लोगों ने वन-कानूनों का उल्लंघन करते हुए आरक्षित वनों में लकड़ी बीनना तथा पशुओं को चराना शुरू कर दिया।

(3) ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति- ब्रिटिश सरकार ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को कुचलने के लिए दमनात्मक नीति अपनाई। इससे लोगों में तीव्र आक्रोश उत्पन्न हुआ। गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया।

(4) गांधी-इरविन समझौता- 5 मार्च, 1931 को गांधीजी तथा वायसराय लार्ड इरविन के बीच एक समझौता हो गया जिसे 'गांधी-इरविन समझौताकहते हैं। इस समझौते के अनुसार गांधीजी लन्दन में होने वाले द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए सहमत हो गए। इसके बदले में सरकार ने राजनीतिक बन्दियों को रिहा करना स्वीकार कर लिया।

(5) सविनय अवज्ञा आन्दोलन का पुनः प्रारम्भ- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की असफलता के बाद गांधीजी ने 1932 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः शुरू कर दिया। सरकार ने आन्दोलन को कुचलने का भरसक प्रयास किया। एक वर्ष तक सविनय अवज्ञा आन्दोलन चला। परन्तु धीरे-धीरे आन्दोलन शिथिल पड़ने लगा। अतः 1934 में गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समाप्त कर दिया। 

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्त्व-

·  राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशील एवं व्यापक बनाना-सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने राष्ट्रीय आन्दोलन को गतिशील एवं व्यापक बनाया।

·  महिलाओं में जागृति-इस आन्दोलन के फलस्वरूप महिलाओं में जागृति उत्पन्न हुई। 

·  निडरतासाहस और राष्ट्रीयता का संचार-असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में निर्भीकतासाहस और राष्ट्रीयता की भावनाओं का संचार किया।

·  ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती-सविनय अवज्ञा आन्दोलन में लोगों ने अन्यायपूर्ण एवं दमनात्मक औपनिवेशिक कानून का उल्लंघन किया।

प्रश्न 6. भारत में सामूहिक अपनेपन का भाव किस प्रकार उत्पन्न हुआवर्णन कीजिये।
उत्तर:
भारत में विभिन्न समुदायों क्षेत्रों या भाषाओं से संबद्ध अलग-अलग समूहों में सामूहिक अपनेपन का भाव विकसित हुआ। सामूहिक अपनेपन की यह भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते पैदा हुई थी। इनके अलावा बहुत सारी सांस्कृतिक प्रक्रियाएं भी थीं जिनके जरिए राष्ट्रवाद लोगों की कल्पना और दिलोदिमाग पर छा गया था।

इसमें निम्न तत्वों का प्रमुख योगदान था-
1. भारतमाता की छवि- बीसवीं सदी में राष्ट्रवाद के विकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छवि का रूप लेने लगी। इस छवि के निर्माण का आरंभ बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने किया था। 1870 के दशक में उन्होंने मातृभूमि की स्तुति के रूप में 'वन्दे मातरम्गीत लिखा था। यह गीत बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन में खूब गाया गया। स्वदेशी आंदोलन की प्रेरणा से अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की विख्यात छवि को चित्रित किया। इस चित्र में भारत माता एक संन्यासिनी के रूप में शांतगम्भीरदैवी और अध्यात्मिक गुणों से युक्त दिखाई देती है। आगे चल कर भारत माता की छवि विविध रूप ग्रहण करती गई। इस मातृ छवि के प्रति श्रद्धा को राष्ट्रवाद में आस्था का प्रतीक माना जाने लगा।

2. लोक कथाएं एवं गीत- भारतीय लोक कथाओं को पुनर्जीवित करने से भी भारत में सामूहिक अपनेपन का अथवा राष्ट्रीयता का विचार मजबूत हुआ। उन्नीसवीं सदी के अन्त में राष्ट्रवादियों ने भाटों व चारणों द्वारा गाई-सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को दर्ज करना शुरू किया। बंगाल में रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लोक-गाथा में गीतबाल गीत और मिथकों को एकत्रित किया। मद्रास में नटेसा शास्त्री ने तमिल लोक कथाओं का संकलन किया।

3. चिन्ह एवं प्रतीक- राष्ट्रीय आंदोलन में चिन्ह एवं प्रतीकों के प्रयोग से भी लोगों ने सामूहिक अपनेपन एवं राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान एवं तिरंगा झंडा (हरापीलालाल) तैयार किया गया। इसमें ब्रिटिश भारत के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते कमल के आठ फूल और हिंदुओं व मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्धचंद्र दर्शाया गया था। 1921 तक गांधीजी ने भी स्वराज का झंडा तैयार कर लिया था। यह तिरंगा (सफेदहरा और लाल) था। इसके मध्य में गांधीवादी प्रतीक चरखे को जगह दी गई थी जो स्वावलंबन का प्रतीक था। जुलूसों में यह झंडा थामे चलना शासन के प्रति अवज्ञा का संकेत था।

4. इतिहास एवं साहित्य- इतिहास एवं साहित्य भी भारत में सामूहिक अपनेपन की एवं राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का साधन था। अनेक लोग भारत के उस प्राचीन युग के बारे में लिखने लगे जब कला और वास्तुशिल्पविज्ञान और गणितधर्म और संस्कृतिकानून और दर्शनहस्तकला और व्यापार फल-फूल रहे थे। अनेक साहित्यिक कृतियों की भी रचना की गई।
इस प्रकार उक्त अनेक तरीकों से लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना एवं राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न हुई। 

 

प्रश्न 7. भारत छोड़ो आन्दोलन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
अथवा 
भारत छोड़ो आन्दोलन के बारे में आप क्या जानते हैंबतलाइये।
उत्तर:
भारत छोडो आन्दोलन- भारत में क्रिप्स मिशन की असफलता एवं द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभावों से भारत में व्यापक असंतोष फैला। इसके फलस्वरूप गांधी जी ने एक आंदोलन शुरू कियाजिसमें उन्होंने अंग्रेजों को पूरी तरह से भारत छोड़ने पर जोर दिया। इस भारत छोड़ो आन्दोलन की प्रमुख बातें निम्न प्रकार हैं-

·  वर्धा में 14 जुलाई, 1942 को अपनी कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति ने ऐतिहासिक 'भारत छोड़ोप्रस्ताव पारित कियाजिसमें सत्ता का भारतीयों को तत्काल हस्तांतरण एवं भारत छोड़ने की मांग की गई।

·  8 अगस्त, 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इस प्रस्ताव का समर्थन कियाजिससे पूरे देश में व्यापक पैमाने पर एक अंहिसक जन संघर्ष का आह्वान किया गया।

·  इसी अवसर पर गांधी जी ने प्रसिद्ध 'करो या मरोभाषण दिया था।

·  'भारत छोड़ोके इस आह्वान ने देश के अधिकतर हिस्सों में राज्य व्यवस्था को ठप्प कर दियालोग स्वतः ही आन्दोलन में कूद पड़े।

·  लोगों ने हड़तालें की और राष्ट्रीय गीतों एवं नारों के साथ प्रदर्शन किए एवं जुलूस निकाले । यह आंदोलन वास्तव में एक जन आन्दोलन था जिसमें छात्रमजदूर और किसान जैसे हजारों साधारण लोगों ने हिस्सा लिया।

·  इसमें नेताओं की सक्रिय भागीदारी भी देखी गई जिनमें जयप्रकाश नारायणअरूणा आसफ अली एवं राम मनोहर लोहिया और बहुत सारी महिलाएं जैसे-बंगाल से मातांगिनी हाजराअसम से कनकलताबरूआ और उड़ीसा से रमा देवी थी।

·  आंदोलनों को कुचलने हेतु अंग्रेजों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग किया गया। इसके बावजूद इसे दबाने में एक वर्ष से अधिक समय लग गया।

 

प्रश्न 8. इतिहास की पुनर्व्याख्या ने किस प्रकार राष्ट्रवाद की भावना पैदा कीइसकी क्या समस्या थी?
उत्तर:
इतिहास की पुनर्व्याख्या और राष्ट्रवाद- भारत में इतिहास की पुनर्व्याख्या भी राष्ट्रवाद की भावना पैदा करने का एक महत्वपूर्ण साधन थी। उन्नीसवीं सदी के अंत तक आते-आते बहुत सारे भारतीय यह महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए। अंग्रेजों की नजर में भारतीय पिछड़े हुए और आदिम लोग थे जो अपना शासन खुद नहीं सँभाल सकते। इसके जवाब में भारत के लोगों ने अपनी महान उपलब्धियों की खोज में इतिहास की पुनर्व्याख्या करना प्रारम्भ किया। उन्होंने उस गौरवमयी प्राचीन युग के बारे में लिखना शुरू कर दिया जब कला और वास्तुशिल्पविज्ञान और गणितधर्म और संस्कृतिकानून और दर्शनहस्तकला और व्यापार फल-फूल रहे थे। उनका कहना था कि इस महान युग के बाद पतन का समय आया और भारत को गुलाम बना लिया गया। इस राष्ट्रवादी इतिहास में पाठकों को अतीत में भारत की महानता व उपलब्धियों पर गर्व करने और ब्रिटिश शासन के तहत दुर्दशा से मुक्ति के लिए संघर्ष का मार्ग अपनाने का आह्वान किया जाता था।

इतिहास की पुनर्व्याख्या की भी अपनी समस्या थी। इसमें जिस अतीत का गौरवगान किया जा रहा था वह हिंदुओं का अतीत था। जिन छवियों का सहारा लिया जा रहा था वे हिन्दू प्रतीक थे। इससे अन्य समुदायों के लोग अलग-थलग महसूस करने लगे थे।

 

 

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