Friday, September 26, 2025

Class 11th History Chapter 7 imp QA (Hindi Medium)

 






Class-11  History

Chapter- 7  (आधुनिकीकरण के रास्ते)

 

 

 

 

अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

 

 

प्रश्न 1. जापान ने चीन को कब पराजित किया था
उत्तर:
1894 ई. में। 

 

 

प्रश्न 2. रूस को जापान ने किस वर्ष हराया था
उत्तर:
1905 ई. में। 

 

 

प्रश्न 3. जापान का आधुनिकीकरण का सफर किस सिद्धांत पर आधारित था
उत्तर:
पूँजीवाद के सिद्धांतों पर। 

 

 

प्रश्न 4. प्राचीन चीन का महानतम् इतिहासकार किसे माना जाता है
उत्तर:
सिमा छियन को। 

 

 

प्रश्न 5. चीन व जापान के भौतिक भूगोल में कोई एक अन्तर बताइए। 
उत्तर:
चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है, जबकि जापान एक द्वीपीय देश है।

 

 

प्रश्न 6. चीन की किन्हीं दो प्रमुख नदियों के नाम बताइए। 
उत्तर:

1.     यांग्त्सी नदी

2.     हुआंग हे नदी। 

 

 

प्रश्न 7. चीन का प्रमुख जातीय समूह कौनसा है
उत्तर:
हान। 

 

 

प्रश्न 8. चीन की प्रमुख भाषा कौन सी है ?

उत्तर-

पुतोगहुआ (चीनी)।

 

 

प्रश्न 9. डिम सम क्या है?
उत्तर-

एक प्रकार का चीनी भोजन।

 

 

प्रश्न 10. जापान के बड़े द्वीपों का नाम लिखिए।
उत्तर:

1.     होशू 

2.     क्यूशू 

3.     शिकोकू 

4.     होकाइदो (होकेडो)। 

 

 

प्रश्न 11. जापान के लोगों का प्रमुख भोजन क्या है
उत्तर:
चावल। 

 

 

प्रश्न 12. 1603 से 1867 ई. तक जापान में किस परिवार के लोग शोगुन पद पर कार्यरत थे
उत्तर:
तोकुगावा परिवार के लोग। 

 

 

प्रश्न 13. एदो क्या है
उत्तर:
एदो जापान की आधुनिक राजधानी तोक्यो का प्राचीन नाम है। 

 

 

प्रश्न 14. जापान का योद्धा वर्ग किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर:
सामुराई

 

 

प्रश्न 15. जापान में छपाई किससे की जाती थी
उत्तर:
लकड़ी के ब्लॉकों से। 

 

 

प्रश्न 16. जापान को समृद्ध देश क्यों समझा जाता है
उत्तर:
क्योंकि वह चीन से रेशम तथा भारत से कपड़े जैसी विलासी वस्तुएँ आयात करता था। 

 

 

प्रश्न 17. निशिजन क्या है
उत्तर:
निशिजिन क्योतो, जापान की एक बस्ती है। 16वीं शताब्दी में वहाँ 31 परिवारों का एक बुनकर संघ था। 

 

 

प्रश्न 18. 1859 ई. में किस देश के लिए रेशम का निर्यात लाभ का प्रमुख स्रोत बन गया ? 
उत्तर:
जापान। 

 

 

प्रश्न 19. जापान में सम्राट को किसका उत्तराधिकारी समझा जाता था
उत्तर:
सूर्यदेव का। 

 

 

प्रश्न 20. किस वंश के नेतृत्व ने जापान में तोकुगावा वंश के शासन का अंत किया
उत्तर:
मेज़ी वंश के नेतृत्व ने। 

 

 

प्रश्न 21. जापान में मेज़ी पुनर्स्थापना कब हुई
उत्तर:
1867-68 ई. में।

 

 

प्रश्न 22. अमेरिका के किस कॉमोडोर ने जापान सरकार को अमरीका के साथ व्यापारिक एवं राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने की माँग की ?
उत्तर:
कॉमोडोर मैथ्यू पेरी ने। 

 

 

प्रश्न 23. जापानी सरकार ने किस नारे के साथ आधुनिकीकरण की नीति की घोषणा की
उत्तर:
फुकोकु क्योहे (समृद्ध देश, मजबूत सेना) के नारे के साथ। 

 

 

प्रश्न 24. जापानी भाषा में एक साथ कितनी लिपियों का प्रयोग होता है
उत्तर:
तीन लिपियों (कांजी, हीरागाना व काताकाना) का।

 

 

प्रश्न 25. राष्ट्र के एकीकरण के लिए जापान में सरकार ने क्या किया
उत्तर:
पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया।

 

 

प्रश्न 26. जापान में मेज़ी सुधारों का एक महत्वपूर्ण भाग क्या था
उत्तर:
अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करना। 

 

 

प्रश्न 27. जापान की प्रथम रेलवे लाइन कब व किन शहरों के मध्य बिछायी गयी
उत्तर:
1870-72 ई. में तोक्यो और याकोहामा बंदरगाह के मध्य।

 

 

प्रश्न 28. जापान के कारखानों में 1900 से पहले कामगार महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कितनी थी
उत्तर:
लगभग आधे से अधिक। 

 

 

प्रश्न 29. तनाका शोजी कौन था ?
उत्तर:
जापानी संसद 'डायट' के निम्न सदन का सदस्य, जिसने 1897 ई. में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध प्रथम आन्दोलन किया था।

 

प्रश्न 30. जापानी संसद का क्या नाम है
उत्तर:
डायट। 

 

 

प्रश्न 31. मेज़ी संविधान किस पर आधारित था
उत्तर:
सीमित मताधिकार पर। 

 

 

प्रश्न 32. फुकुज़ावा यूकिची कौन था? उसने जापान के आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में क्या सुझाव दिया था?
उत्तर:
फुकुज़ावा यूकिची जापान का मेज़ीकाल का बुद्धिजीवी था। उसने सुझाव दिया कि जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिम का हिस्सा बन जाना चाहिए।

 

 

प्रश्न 33. जापान के कौन से नेता फ्रांसीसी क्रांति में मानवों के प्राकृतिक अधिकार और जन प्रभुसत्ता के सिद्धान्तों के प्रशंसक थे?
उत्तर:
उएकी एमोरी। 

 

 

प्रश्न 34. जापान में किस वर्ष 'आधुनिकता पर विजय' नामक संगोष्ठी का आयोजन किया गया
उत्तर:
1943 ई. में।

 

 

प्रश्न 35. जापानी दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने 'आधुनिक' को किन तीन पश्चिमी धाराओं के मिलने और एकता से परिभाषित किया ?
उत्तर:

1.     पुनर्जागरण 

2.     प्रोटेस्टेंट सुधार

3.     प्राकृतिक विज्ञानों का विकास। 

 

 

प्रश्न 36. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के किन-किन नगरों पर नाभिकीय बम गिराए गए
उत्तर:

1.     हिरोशिमा

2.     नागासाकी। 

 

 

प्रश्न 37. विश्व युद्ध के बाद जापान में पहली बार चुनाव कब हुए
उत्तर:
1946 ई. में।


 

प्रश्न 38. जापान में पहली बार महिलाओं को मताधिकार कब दिया गया
उत्तर:
1946 ई. में। 

 

 

प्रश्न 39. 1964 ई. में हुए तोक्यो ओलंपिक खेल किसका प्रतीक बने
उत्तर:
जापानी अर्थव्यवस्था की परिपक्वता का। 

 

 

प्रश्न 40. जापान में बुलेट ट्रेन का जाल कब प्रारम्भ हुआ
उत्तर:


 

प्रश्न 41. चीनी गणतंत्र के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष कौन थे
उत्तर:
सन यात-सेन। 

 

 

प्रश्न 42. ब्रिटेन और चीन के मध्य प्रथम अफ़ीम युद्ध कब हुआ था
उत्तर:
1839-1842 ई. के मध्य। 

 

 

प्रश्न 43. 18 वीं शताब्दी में किस देश का बँटवारा सर्वाधिक बहुचर्चित उदाहरण था
उत्तर:
पोलैंड का।

 

 

प्रश्न 44. चीनी विचारक लियांग किचाऊ ने भारत के विषय में क्या विचार प्रकट किए थे?
उत्तर:
1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाऊ ने भारत के विषय में लिखा था कि भारत एक ऐसा देश है, जो किसी और देश से नहीं बल्कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों बर्बाद हो गया।

 

 

प्रश्न 45. चीन में प्रमुख विचारधारा का नाम बताइए।

उत्तर-

कन्फयूशियसवाद। 

 

 

प्रश्न 46. 1890 के दशक में चीनी विद्यार्थी पढ़ने के लिए कहाँ गये?
उत्तर:
जापान। 

 

 

प्रश्न 47. 1905 ई. में रूस और जापान के मध्य युद्ध कहाँ और क्यों लड़ा गया
उत्तर:
चीन की भूमि पर और चीनी इलाके पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए।

 

 

प्रश्न 48. चीन में मांचू साम्राज्य कब समाप्त कर दिया गया
उत्तर:
1911 ई. में। 

 

 

प्रश्न 49. चीन में गणतंत्र की स्थापना कब व किसके नेतृत्व में की गयी
उत्तर:
चीन में गणतंत्र की स्थापना 1911 ई. में सन यात-सेन के नेतृत्व में की गयी। 

 

 

प्रश्न 50. आधुनिक चीन का संस्थापक किसे माना जाता है
उत्तर:
सन यात-सेन को।

 

 

प्रश्न 51. सन यात-सेन का कार्यक्रम किसके नाम से प्रसिद्ध है
उत्तर:
तीन सिद्धान्त राष्ट्रवाद, गणतंत्र और समाजवाद (सन, मिन, चुई) के नाम से। 

 

 

प्रश्न 52. सन यात-सेन ने किस राजनीतिक दल की स्थापना की थी
उत्तर:
कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी। 

 

 

प्रश्न 53. किस चीनी राजनेता के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने ? 
उत्तर:
सन यात-सेन के। 

 

 

प्रश्न 54. सन यात-सेन ने किन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया। 
उत्तर:

1.     वस्त्र 

2.     भोजन

3.     मकान

4.     परिवहन। 

 

 

प्रश्न 55. सन यात-सेन के पश्चात् कुओमीनतांग का नेता कौन था
उत्तर:
चियांग काईशेक। 

 

 

प्रश्न 56. कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) के नेता चियांग काइशेक के दो महत्वपूर्ण कार्य क्या थे?
उत्तर:
चियांग काइशेक ने चीन में वारलार्ड्स (युद्ध सांमतों) को अपने नियंत्रण में किया और साम्यवादियों को खत्म कर डाला।

 

 

प्रश्न 57. चीन में कुओमीनतांग (N.P.P.) का सामाजिक आधार किन क्षेत्रों में था
उत्तर:
शहरी क्षेत्रों में। 

 

 

प्रश्न 58. पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1902 ई. में। 

 

 

प्रश्न 59. चीन में लाइफ वीकली पत्रिका का संपादन किसने किया ?
उत्तर:
शाओ तोआफेन ने। 

 

 

प्रश्न 60. जापानियों ने चीन पर कब हमला किया था
उत्तर:
1937 ई. में। 

 

 

प्रश्न 61. चीन में साम्यवादी पार्टी की स्थापना कब हुई
उत्तर:
1921 ई. में।

 

 

प्रश्न 62. कौमिंटर्न और सोवियत संघ दुनिया की किन पार्टियों का समर्थन करते थे
उत्तर:
साम्यवादी पार्टियों का।

 

 

प्रश्न 63. चीनी साम्यवादी पार्टी के प्रमुख नेता कौन थे
उत्तर:
माओ त्सेतुंग। 

 

 

प्रश्न 64.पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार कब स्थापित हुई
उत्तर:
1949 ई. में। 

 

 

प्रश्न 65. सर्वहारा की तानाशाही' शब्द का प्रयोग किसने किया था
उत्तर:
कार्ल मार्क्स ने। 

 

 

प्रश्न 66. चीन में किसके नेतृत्व में कुओमीनतांग ने एक दमनकारी सरकार की स्थापना की?

उत्तर-

चियांग काईशेक के नेतृत्व में। 

 

 

प्रश्न 67. 1978 ई. में चीनी साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए किस चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की
उत्तर:

1.     विज्ञान

2.     उद्योग

3.     कृषि एवं

4.     रक्षा का विकास।

 

 

प्रश्न 68. चीन में महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति किसने और कब शुरू की
उत्तर:
माओ त्सेतुंग द्वारा 1965 में। 

 

 

प्रश्न 69. सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति के द्वारा किसके खिलाफ अभियान छेड़ा गया था
उत्तर:
पुरानी संस्कृति, पुराने रिवाजों और पुरानी आदतों के खिलाफ़।

 

 

प्रश्न 70. चीन की नेशनल पीपुल्स पार्टी (कुओमीनतांग) का नेता चियांग काईशेक ताइवान कब व क्यों भाग गया?
उत्तर:
चीनी साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के बाद चियांग काईशेक 1944 ई. में ताइवान भाग गया था। 

 

 

प्रश्न 71. चियांग काईशेक ने चीनी गणतन्त्र की स्थापना कहाँ की
उत्तर:
ताइवान में। 

 

 

प्रश्न 72. ताइवान की अर्थव्यवस्था किस पर आधारित थी?
उत्तर:
ताइवान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित थी। 

 

 

प्रश्न 73. ताइवान को किस देश का एक भाग माना जाता है
उत्तर:
चीन का। 

 

 

प्रश्न 74. कोरिया पर किस राजवंश का शासन था? इसने कोरिया पर कितने वर्षों तक शासन किया
उत्तर:
जोसोन राजवंश का। इस राजवंश ने कोरिया पर लगभग 500 वर्षों (1392-1910) तक शासन किया। 

 

 

प्रश्न 75. कोरिया पर किस देश ने कब्जा कर लिया अथवा उसे जबरन उपनिवेश बनाया
उत्तर:
जापान ने 1910 में जबरन कोरिया पर कब्जा करके उसे अपना उपनिवेश बना लिया। 

 

 

प्रश्न 76. कोरिया में जोसोन राजवंश का अंत किसने किया
उत्तर:
जापानियों द्वारा कोरिया को उपनिवेश बनाने के पश्चात कोरिया में जोसोन राजवंश का अंत हो गया। 

 

 

प्रश्न 77. कोरिया पर जापानी औपनिवेशिक शासन का अंत कब हुआ?
उत्तर:
कोरिया में जापानी औपनिवेशिक शासन 35 साल के बाद अगस्त 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद समाप्त हुआ।

 

 

प्रश्न 78. जापानी मुक्ति के बाद कोरियाई उपद्वीप को कितने भागों में विभाजित कर दिया गया
उत्तर:
दो भागों में-उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया में। 

 

 

प्रश्न 79. दक्षिण कोरिया का प्रथम राष्ट्रपति किसे और कब चुना गया?
उत्तर:
सिंगमैन री को दक्षिण कोरिया का प्रथम राष्ट्रपति, 1948 में कोरियायी युद्ध के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया।

 

 

प्रश्न 80. दक्षिण कोरिया के सैन्य नेता पार्क चुंग-ही' राष्ट्रपति कब बने
उत्तर:
अक्टूबर, 1963 के चुनाव में।
आधुनिकीकरण के रास्ते (383) 

 

 

प्रश्न 81. कोरिया में 'सैमोल' आंदोलन की शुरुआत कब और क्यों हुई?
उत्तर:
1970 में ग्रामीण जनसंख्या को प्रोत्साहन और कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सैमोल (नया गाँव) आंदोलन की शुरुआत हुई।

 

 

प्रश्न 82. कोरिया ने अपनी आर्थिक वृद्धि किस प्रकार की?
उत्तर:
मजबूत नेताओं, प्रशिक्षित अधिकारियों, आक्रामक उद्योगपतियों और सक्षम श्रम बल के संयोजन से कोरिया आज समस्त विश्व को अपनी आर्थिक वृद्धि से चौंका रहा है।

 

 

प्रश्न 83. कोरियाई पार्क प्रशासन की दीर्घकालिक शक्ति का आधार क्या था
उत्तर:
कोरिया का आर्थिक विकास। 

 

 

प्रश्न 84. कोरियाई 'पार्क प्रशासन' की समाप्ति कब हुई
उत्तर:
अक्टूबर 1979 में 'पार्क चुंग-ही' की हत्या के साथ कोरिया के पार्क प्रशासन की समाप्ति हो गयी। 

 

 

प्रश्न 85. चुन डू- हवन किस प्रकार कोरियाई राष्ट्रपति बने
उत्तर:
यूसुइन' संविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से 'चुन डू-हवन' कोरिया के राष्ट्रपति बने। 

 

 

प्रश्न 86. कोरिया में चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए क्या किया
उत्तर:
चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए लोकतांत्रिक प्रभाव का मजबूती से दमन किया। 

 

 

प्रश्न 87. कोरिया में सैन्य शासन के बाद किस नागरिक नेता को राष्ट्रपति चुना गया
उत्तर:
1992 में दशकों से चल रहे सैन्य-शासन के बाद, नागरिक नेता किम यंग-सैम का राष्ट्रपति चुना गया। 

 

 

प्रश्न 88. कोरिया की प्रथम महिला राष्ट्रपति किसे चुना गया
उत्तर:
2012 में रूढ़िवादी पार्टी की नेता पार्क खन-हे' को प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। 

 

 

प्रश्न 89. जापान का आधुनिकीकरण कैसे वातावरण में हुआ
उत्तर:
जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ जहाँ पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभुत्व था। 

 

 

प्रश्न 90. मेज़ी स्कूल पद्धति में किस विषय का अध्ययन करना अनिवार्य था ?
उत्तर:
नैतिकशास्त्र का।

 

 

 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA1)

 

 

प्रश्न 1. नाइतो कोनन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
नाइतो कोनन चीन पर कार्य करने वाले एक प्रमुख जापानी विद्वान थे। इनके लेखन से अन्य जापानी लेखक बहुत अधिक प्रभावित हुए। इन्होंने 1907 ई. में जापान के क्योतो विश्वविद्यालय में प्राच्य अध्ययन का विभाग बनाने में मदद की। इन्होंने अपने कार्य में पश्चिमी लेखन की नई तकनीकों एवं अपने पत्रकारिता के अनुभवों का प्रयोग किया।

 

 

प्रश्न 2. चीन और जापान के भौतिक भूगोल में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

1.     चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है। इसमें विभिन्न प्रकार के जलवायु क्षेत्र हैं, जबकि जापान एक द्वीपीय देश है। इसके चार प्रमुख द्वीप हैं-होंशू, क्यूशू, शिकोकू व होकाइदो।

2.     चीन भूकम्पविहीन क्षेत्र में स्थित है, जबकि जापान अत्यधिक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है। 

 

 

प्रश्न 3. जापान के बारे में सामान्य जानकारी दीजिए।
उत्तर:
जापान एशियाई महाद्वीप में स्थित द्वीपीय देश है। जिसमें चार बड़े द्वीप- होंशू, क्यूशु, शिकोकू व होकाइदो हैं। इसके मुख्य द्वीपों की आधी भूमि पहाड़ी है। यह देश एक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। यहाँ की मुख्य फसल चावल है। यहाँ समुद्र से मछलियाँ भी पकड़ी जाती हैं।

 

 

प्रश्न 4. जापान की जनसांख्यिकीय विशेषता बताइए। 
उत्तर:
जापान की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। इसके अतिरिक्त यहाँ अल्प मात्रा में आयनू व कोरियाई मूल के लोग भी रहते हैं। कोरिया के लोगों को यहाँ उस समय श्रमिकों के रूप में लाया गया था जब कोरिया, जापान का उपनिवेश था।

 

 

प्रश्न 5. जापान के भोजन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जापान के लोगों का मुख्य भोजन चावल है। मछली भी भोजन का प्रमुख स्रोत है। यहाँ कच्ची मछली साशिमी या सूशी बहुत ही लोकप्रिय हैं, क्योंकि इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

 

 

प्रश्न 6. सोलहवीं शताब्दी के अंतिम चरण में किन परिवर्तनों ने जापान के राजनीतिक विकास की भूमिका तैयार करने में योगदान दिया ?
उत्तर:

1.     कृषकों से हथियार ले लिए गए। इससे शांति और व्यवस्था बनी रही।

2.     दैम्यो (क्षेत्रीय शासकों) को अपने क्षेत्रों की राजधानी में रहने के आदेश दिए गए। उन्हें काफ़ी सीमा तक स्वायत्तता प्रदान की गई थी।

3.     मालिकों एवं करदाताओं का निर्धारण करने के लिए भूमि का सर्वेक्षण किया गया तथा भूमि का वर्गीकरण उत्पादकता के आधार पर किया गया। इन सबका उद्देश्य राजस्व के लिए स्थायी आधार बनाना था।

 

 

प्रश्न 7. 17वीं शताब्दी के मध्य तक जापानी नगरों की स्थिति बताइए।
उत्तर:
17वीं शताब्दी के मध्य तक एदो (तोक्यो) दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर बन गया। ओसाका व क्योतो भी बड़े नगरों के रूप में उभरे। इसके अतिरिक्त जापान में कम से कम छः दुर्गों वाले शहर ऐसे थे, जहाँ की जनसंख्या पचास हजार से अधिक थी।

 

 

प्रश्न 8. निशिजिन के रेशम उद्योग के बारे में बताइए।
उत्तर:
निशिजिन क्योतो (जापान) की एक प्रमुख बस्ती थी। 1713 ई. में यहाँ केवल रेशम का ही प्रयोग किया जाने लगा जिससे रेशम उद्योग को और अधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। यहाँ केवल विशिष्ट प्रकार के महँगे उत्पाद बनते थे। 1859 ई. में विदेशी व्यापार की शुरुआत होने से रेशम उद्योग जापान की अर्थव्यवस्था के लिए लाभ का एक प्रमुख स्रोत बन गया।

 

 

प्रश्न 9. मेज़ी पुनर्स्थापना से क्या आशय है ?
उत्तर:
जापान में सम्राट के नेतृत्व में ताकुगावा वंश का शासन था। तोकुगावा परिवार के लोग शोगुन नामक पद पर रहकर शासन करते थे। 1867-68 ई. में इनका शासन समाप्त कर दिया गया। इनके स्थान पर नये अधिकारी, सेना व सलाहकार सामने आए। इस प्रकार देश में सम्राट पुनः सर्वेसर्वा हो गया। उसने मेज़ी की उपाधि प्राप्त कर ली। जापानी इतिहास में इस घटना को 'मेज़ी पुनर्स्थापना' के नाम से जाना जाता है।

 

 

प्रश्न 10. सम्राट मेजी ने जापान में 'फुकोक क्योहे' का नारा क्यों दिया था ?
उत्तर:
फुकोकु क्योहे का आशय था-समृद्ध देश, मजबूत सेना। वास्तविक रूप से मेज़ी सरकार ने यह महसूस किया था कि उन्हें अपनी अर्थव्यवस्था का विकास व मजबूत सेना के निर्माण की आवश्यकता है अन्यथा हम भारत की तरह परतंत्र बन जायेंगे। इसलिए सम्राट मेज़ी ने जापान में फुकोकु क्योहे का नारा दिया था।

 

 

प्रश्न 11. सम्राट व्यवस्था में जापानी विद्वानों का क्या आशय था ?
उत्तर:
सम्राट व्यवस्था में जापानी विद्वानों का आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें सम्राट, नौकरशाही एवं सेना तीनों एक साथ मिलकर शासन का संचालन करते थे। इस व्यवस्था में नौकरशाही तथा सेना, सम्राट के प्रति उत्तरदायी होती थी।

 

 

प्रश्न 12. जापान में सम्राट के पद को किस प्रकार महत्व प्रदान किया गया ?
उत्तर:
जापान में सम्राट को सूर्य देव का वंशज माना गया। उसे पश्चिमीकरण का नेता बनाया गया। सम्राट के जन्मदिन पर देशभर में छुट्टी की गई तथा सम्राट पश्चिमी ढंग के सैनिक कपड़े पहनने लगा और उसके नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम जारी किए जाने लगे। इस तरह जापान में सम्राट के पद को महत्व प्रदान किया गया।

 

 

प्रश्न 13. जापान की नयी विद्यालय शिक्षा व्यवस्था को बताइए।
उत्तर:
1870 ई. के दशक में जापान में एक नयी विद्यालय-शिक्षा व्यवस्था को अपनाया गया। इस व्यवस्था के अनुसार सभी लड़के व लड़कियों के लिए विद्यालय जाना अनिवार्य कर दिया गया। पढ़ाई की फीस को कम रखा गया। 1910 ई. तक जापान में ऐसी स्थिति आ गयी कि कोई भी लड़का व लड़की विद्यालय जाने से वंचित नहीं रहा।

 

 

प्रश्न 14. 1870 के दशक तक, जापान में किस तरह की शिक्षा पर बल दिया जाने लगा?
उत्तर:
जापान में शुरू में पाठ्यचर्या पश्चिमी मॉडल पर आधारित थी। लेकिन 1870 के दशक के आते-आते आधुनिक विचारों पर जोर देने के साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर बल दिया जाने लगा।

 

 

प्रश्न 15. मेज़ी सरकार द्वारा किए गए कोई दो परिवर्तनों के बारे में बताइए।
उत्तर:

1.     राष्ट्र के एकीकरण के लिए पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया गया।

2.     20 वर्ष से अधिक आयु वाले प्रत्येक नवयुवक के लिए एक निश्चित समय के लिए सेना में कार्य करना अनिवार्य कर दिया गया।

 

 

प्रश्न 16. मेज़ी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण के लिए किये गये कोई चार कार्यों को लिखिए। 
उत्तर:

1.     कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया गया। 

2.     वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से आयात की गयीं। 

3.     श्रमिकों के प्रशिक्षण हेतु विदेशी प्रशिक्षकों को जापान बुलाया गया। 

4.     रेल लाइनों का विकास किया गया।

 

 

प्रश्न 17. 1920 ई. के पश्चात् जापान ने अपने देश में जनसंख्या के दबाव को कम करने के लिए क्या प्रयास किए?
उत्तर:
1920 ई. के पश्चात् जापान ने अपने देश में जनसंख्या का दबाव कम करने के लिए प्रवास को बढ़ावा दिया। जापानी सरकार ने पहले लोगों को उत्तरी द्वीप होकाइदो (होकेडो) की ओर भेजा, तत्पश्चात् हवाई द्वीप, ब्राजील और जापान के बढ़ते हुए औपनिवेशिक साम्राज्य की ओर भेजा गया।

 

 

प्रश्न 18. जापान में अधिकांश मजदूर किस तरह के कारखानों में कार्य करते थे?
उत्तर:
जापान में अधिकांश मज़दूर ऐसी इकाइयों में काम करते थे, जिनमें 5 से कम लोग थे। इन औद्योगिक इकाइयों में मशीनों और विद्युत ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं होता था। ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग होता था।

 

 

प्रश्न 19. जापान में औद्योगीकरण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
सन् 1940 ई. तक जापान में 5.50 लाख कारखाने हो गये थे। इन उद्योगों के तीव्र एवं अनियंत्रित विकास से तथा लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग से पर्यावरण का विनाश होने लगा। साथ ही साथ औद्योगिक प्रदूषण भी फैलने लगा, जिसका जापान में विरोध होने लगा।

 

 

प्रश्न 20. फुफुज़ावा यूकिची ने ऐसा क्यों कहा-जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।"
उत्तर:
फुफुज़ावा यूकिची, जापान में मेजी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से थे। उनके समय में अमरीका और पश्चिमी यूरोपीय देश सभ्यता की ऊँचाइयों पर पहुँचे। इसलिए उन्होंने कहा कि जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए। अर्थात् जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिमी लक्षण अपनाने चाहिए।

 

 

प्रश्न 21. जापान के पश्चिमीकरण के सवाल पर दर्शनशास्त्री मियाके सेत्सुरे ने क्या तर्क दिया?
उत्तर:
जापान में पश्चिमी विचारों को मियाके सेत्सुरे (1860-1945) ने पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया और कहा कि राष्ट्रीय गर्व देशी मूल्यों पर निर्मित होना चाहिए। उन्होंने तर्क पेश किया कि विश्व सभ्यता के हित में प्रत्येक राष्ट्र को अपने विशेष कौशल का विकास करना चाहिए। अपने को अपने देश के लिए समर्पित करना चाहिए।

 

 

प्रश्न 22. 1945-47 ई. के दौरान जापान पर अमरीकी नियंत्रण का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
1945-47 ई. के दौरान जापान पर अमरीकी नियंत्रण का यह प्रभाव पड़ा कि जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया तथा एक नया संविधान लागू किया गया। इसके अनुच्छेद-9 में 'युद्ध न करने की' तथाकथित धारा के अनुसार जापान युद्ध को अपनी राष्ट्रीय नीति नहीं बना सकता था।

 

 

प्रश्न 23. अमरीका से हारने के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का किस प्रकार पुनर्निर्माण किया ?
उत्तर:
अमरीका से हारने के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का तीव्र गति से पुनर्निर्माण किया। संविधान को औपचारिक स्तर पर गणतंत्र रूप दिया गया। राजनीति में बौद्धिक सक्रियता बढ़ी। इसके अतिरिक्त अमरीकी समर्थन तथा कोरिया व वियतनाम में युद्ध से जापानी अर्थव्यस्था को सहायता प्राप्त हुई।



 

प्रश्न 24. क्विंग सुधारकों ने चीनी व्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए क्या कार्य किए ?
उत्तर:
कांग यूवेई व लियांग किचाउ जैसे क्विंग सुधारकों ने चीनी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए आधुनिक व्यवस्था, प्रशासन, नई सेना तथा शिक्षा व्यवस्था के निर्माण के लिए नीतियाँ बनाईं तथा संवैधानिक सरकार की स्थापना के लिए स्थानीय विधायिकाओं का गठन किया। उन्होंने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने की जरूरत भी महसूस की।

 

 

 

प्रश्न 25. 1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाउने भारत की आलोचना करते हुए क्या विचार व्यक्त किए?
उत्तर:
1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाउ ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जो किसी अन्य देश द्वारा नहीं बल्कि एक कम्पनी-ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों बर्बाद हो गया। उन्होंने ब्रिटेन की सेवा करने एवं अपने ही लोगों के प्रति क्रूर होने के लिए भी भारतीयों की आलोचना की।

 

 

 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA2)

 

 

प्रश्न 1. चीन की कुछ विशेषताएँ बताइए। उत्तर-चीन की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1.     चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है जिसमें कई प्रकार की जलवायु वाले क्षेत्र हैं। 

2.     चीन में मुख्य रूप से तीन नदियाँ बहती हैं। ये हैं-पीली नदी (हुआंग हे), यांग्सी (छांग जिआंग) व पर्ल नदी। 

3.     चीन का अधिकांश भाग पहाड़ी है। 

4.     चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह हान है। अन्य जातीय समूहों में उइघुर, हुई, मांचू व तिब्बती आदि हैं।

5.     चीन की प्रमुख भाषा चीनी (पुतोंगहुआ) है। अन्य भाषाओं में कैंटनीज़ कैंटन (गुआंगजाओ) की बोली उए व शंघाईनीज आदि हैं।

6.     चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता पायी जाती है। चीन में सबसे प्रसिद्ध भोजन प्रणाली दक्षिणी या केंटोनी है। जो कैंटन व उसके आंतरिक प्रदेशों की है।

डिम सम प्रमुख भोजन है। उत्तर में गेहूँ मुख्य आहार है, शेचुआँ में तीखा भोजन एवं पूर्वी चीन में चावल व गेहूँ दोनों खाए जाते हैं।

 

 

प्रश्न 2. जापान के भूगोल की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
जापान के भूगोल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

1.     जापान एक द्वीपीय देश है। यह चार बड़े द्वीपों-होंशू, क्यूशु, शिकोकू एवं होकाइदो (होकेडो) से.मिलकर बना है। सबसे दक्षिण में ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला है।

2.     जापान के मुख्य द्वीपों की लगभग 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पहाड़ी है। 

3.     जापान एक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है।

4.     जापान की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। कुछ आयनु अल्पसंख्यक व कोरिया के लोग भी रहते हैं। 

5.     जापान में पशुपालन नहीं होता है। 

6.     जापान की प्रमुख फसल चावल है तथा मछली प्रोटीन का मुख्य आहार है। 

 

 

 

प्रश्न 3. जापान में मेज़ी सरकार द्वारा 'सम्राट व्यवस्था' का किस प्रकार पुनर्निर्माण किया गया ?

उत्तर-

जापान में मेज़ी सरकार द्वारा सम्राट व्यवस्था का निम्नलिखित प्रकार से पुनर्निर्माण किया गया

1.     जापान में मेज़ी सरकार ने कुछ अधिकारियों को राजतांत्रिक व्यवस्था को समझने के लिए यूरोप भेजा। 

2.     जापान के सम्राट के जन्म दिवस को देश में राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित किया गया।

3.     सम्राट पश्चिमी ढंग की सैनिक वेशभूषा पहनने लगा। इसके साथ ही उसे पश्चिमीकरण का नेता भी बनाया गया।

4.     सम्राट के नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम बनाए गए।

5.     सम्राट द्वारा जारी 1890 ई. की शिक्षा सम्बन्धी राजाज्ञा ने लोगों को पढ़ने, जनता के सार्वजनिक एवं साझे हितों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रेरित किया।

 

 

प्रश्न 4. जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

'उत्तर-

जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

1.     जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था के तहत लड़के-लड़कियों को विद्यालय जाना अनिवार्य कर दिया गया।

2.     शिक्षा पर होने वाले व्यय अर्थात् फीस को बहुत कम कर दिया गया।

3.     आरम्भ में शिक्षा का पाठ्यक्रम पश्चिमी देशों के पाठ्यक्रमों पर आधारित था लेकिन 1870 ई. से पाठ्यक्रम में आधुनिक विचारों के साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा व जापानी इतिहास को भी सम्मिलित किया गया।

4.     विद्यार्थियों हेतु पुस्तकों के चयन, पाठ्यक्रम व शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जापानी शिक्षा मंत्रालय नियंत्रण रखता था।

5.     पाठ्यक्रम में सम्मिलित पुस्तकों में माता-पिता के प्रति सम्मान, राष्ट्र के प्रति निष्ठा एवं अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी जाती थी।

 

 

प्रश्न 5. जापान की मेज़ी सरकार ने राष्ट्र के एकीकरण के लिए कौन-कौन से कार्य किए ? 
उत्तर:
जापान की मेज़ी सरकार ने राष्ट्र के एकीकरण के लिए निम्नलिखित कार्य किए

1.     देश के पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। 

2.     एक आधुनिक सैन्य बल तैयार करने के लिए 20 वर्ष से अधिक उम्र के नवयुवकों को कुछ समय के लिए सेना में कार्य करना अनिवार्य कर दिया। 

3.     राजनीतिक दलों के गठन को नियंत्रित करने के लिए एक कानून व्यवस्था बनाई गयी। 

4.     राजनीतिक दलों द्वारा सभाओं के आयोजन पर नियंत्रण रखने के लिए कठोर सेंसर व्यवस्था अपनायी गयी। 

5.     नौकरशाही व सेना को सीधे सम्राट के नियन्त्रण में कर दिया गया। 

6.     लोकतांत्रिक संविधान एवं आधुनिक सेना को महत्व दिया गया।

 

 

प्रश्न 6. मेज़ी सरकार ने जापान की अर्थव्यवस्था का किस प्रकार आधुनिकीकरण किया ? बताइए। 
उत्तर:

1.     कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया गया।

2.     रेलवे का विकास किया गया। इस हेतु जापान की प्रथम रेलवे लाइन 1870-72 ई. में तोक्यो और योकोहामा के मध्य बिछाई गई।

3.     वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से आयात की गईं। 

4.     श्रमिकों के प्रशिक्षण के लिए विदेशी प्रशिक्षकों को जापान आमंत्रित किया गया। 

5.     जापानी विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षण हेतु विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति की गयी। 

6.     जापानी विद्यार्थियों को शिक्षण हेतु अन्य देशों में भी भेजा गया।

7.     1872 ई. में आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं को प्रारम्भ किया गया।

8.     जहाज निर्माण करने वाली प्रमुख कम्पनियों में से मित्सुबिशी व सुमितोमो आदि को अनुदान एवं करों में छूट प्रदान की गयी। इससे जापानी व्यापार जहाजों से होने लगा।

9.     जनसंख्या के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए सरकार ने प्रवास को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया।

10.  उद्योगों का विकास किया गया तथा लोगों को शहरों में बसाया गया ताकि उद्योगों में कार्य करने के लिए पर्याप्त श्रमिक मिल सकें।

 

 

 

प्रश्न 7. चीन के आधुनिक इतिहास का सम्बन्ध किससे है ? इसके सम्बन्ध में अलग-अलग विचारधाराएँ कौन-कौनसी थीं ? बताइए।
उत्तर:
चीन के आधुनिक इतिहास का सम्बन्ध सम्प्रभुता की पुनः प्राप्ति, विदेशी नियंत्रण में हुए अपमान से मुक्ति तथा समानता व विकास को सम्भव बनाने से है। इस सम्बन्ध में तीन अलग-अलग विचारधाराएँ थीं, जो निम्नलिखित हैं

1.     कांग योवेल व लियांग किचाउ जैसे प्रारम्भिक चीनी सुधारक पश्चिम की चुनौतियों का सामना करने के लिए पारम्परिक विचारों को नए ढंग से प्रयोग करने के पक्ष में थे।

2.     चीनी गणतंत्र के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष सन यात-सेन जैसे गणतांत्रिक क्रांतिकारी लोग जापान व पश्चिम के विचारों से प्रभावित थे।

3.     चीन का साम्यवादी दल युगों से चली आ रही असमानताओं को समाप्त करना एवं देश से विदेशियों को भगाना चाहता था। 

 

 

 

प्रश्न 8. सन यात-सेन कौन थे ? उनके कार्यक्रमों के बारे में बताइए।
उत्तर:
सन यात-सेन को आधुनिक चीन का संस्थापक माना जाता है। इनका जन्म चीन के एक गरीब परिवार में 1866 ई. में हुआ था। इन्होंने मिशन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण की। यहाँ उनका परिचय लोकतंत्र एवं ईसाई धर्म से हुआ। इन्होंने चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की थी। वे चीन के भविष्य को लेकर सदैव चिंतित रहते थे। इन्होंने 1911 ई. में एक क्रान्ति द्वारा मांचू साम्राज्य को समाप्त कर चीन में गणतंत्र की स्थापना करवायी तथा चीन के प्रथम राष्ट्रपति बने। सन यात-सेन के कार्यक्रम-सन यात-सेन ने चीन के विकास हेतु तीन कार्यक्रम दिए जो तीन सिद्धान्तों के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिसे चीनी भाषा में सन, मिन, चुई कहा जाता है, जो निम्नवत् हैं

1.     राष्ट्रवाद-इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना। चीन में माचू वंश को एक विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था। इन्होंने चीनी लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया तथा विदेशी साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

2.     गणतंत्रवाद-सन यात-सेन चीन में गणतांत्रिक सरकार की स्थापना करना चाहते थे।

3.     समाजवाद-सन यात-सेन देश में पूँजी का नियमन एवं भूस्वामित्व में बराबरी लाना चाहते थे।

सन यात-सेन के यही विचार कुओमीनतांग (सन यात-सेन द्वारा 1912 ई. में स्थापित राजनीतिक दल) के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंने रोटी, कपड़ा, मकान और परिवहन इन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया। 

 

 

प्रश्न 9. माओ त्सेतुंग कौन था ? उसके आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा 
माओ त्सेतुंग के सुधारात्मक कार्यों को बताइए।
उत्तर:
माओ त्सेतुंग एक चीनी राष्ट्रवादी थे। ये चीनी साम्यवादी पार्टी (सी.सी.पी) के एक प्रमुख नेता थे। इन्होंने चीन के विकास हेतु आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीकों को अपनाया जो निम्नलिखित थे

1.     इन्होंने 1928-1934 ई. के मध्य जियांग्सी में कुओमीनतांग के आक्रमणों से बचाव के लिए सुरक्षित शिविरों का आयोजन किया।

2.     इन्होंने मज़बूत किसान परिषद (सोवियत) का गठन किया तथा जमींदारों की भूमि पर अधिकार कर उसे भूमिहीन कृषकों को बाँट दिया।

3.     इन्होंने महिलाओं की दशा सुधारने पर बल दिया। 

4.     ग्रामीण महिला संघ की स्थापना को बढ़ावा दिया। 

5.     स्वतंत्र सरकार व सेना के गठन पर बल दिया।

6.     विवाह के नए कानूनों का निर्माण किया जिसमें आयोजित विवाह तथा विवाह के समझौते खरीदने-बेचने पर रोक लगाई तथा तलाक को सरल बनाया।

 

 

प्रश्न 10. 1978 ई. से चीन में कौन-कौन से सुधार प्रारम्भ किए गये ? संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
माओ त्सेतुंग की सांस्कृतिक क्रांति के पश्चात् 1978 ई. से चीन में अनेक सुधार किए गये, जो निम्नलिखित थे

1.     चीन में समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था को प्रारम्भ किया गया।

2.     1978 ई. में साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए अपने चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा की। ये चार सूत्री लक्ष्य थे-विज्ञान, उद्योग, कृषि एवं रक्षा क्षेत्रों का विकास करना।

3.     पार्टी से सवाल-जवाब न करने की एक सीमा तक लोगों को वाद-विवाद की भी अनुमति प्रदान कर दी गयी। 

4.     गरीबी हटाने व लैंगिक शोषण से मुक्ति पर बल दिया गया।

5.     चीन के विकास के विषय पर पुनः वाद-विवाद प्रारम्भ किया गया। पार्टी द्वारा समर्थित प्रधान मत मजबूत राजनीतिक तंत्र, आर्थिक खुलेपन एवं विश्व बाजार से जुड़ाव पर आधारित था।

6.     चीनी लोगों को स्वच्छंद रूप से बाजार से उपभोक्ता सामग्री खरीदने हेतु अनुमति प्रदान कर दी गयी। 

 

 

 

 

 

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

 

 

प्रश्न 1. चीन और जापान की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर

चीन की भौगोलिक स्थिति-चीन की भौगोलिक स्थिति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है
(i) चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है। इस देश में कई प्रकार की जलवायु पाई जाती हैं। इस देश की तीन प्रमुख नदियाँ हैं
(अ) हुआंग हे नदी-यह चीन की एक प्रमुख नदी है। इसे पीली नदी के नाम से भी जाना जाता है। 
(ब) छांग जियांग नदी-इसे यांग्त्सी नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नदी है।
(स) पर्ल नदी। 

(ii) इस देश का धरातल ऊबड़-खाबड़ तथा पहाड़ी है।

चीन की सामाजिक स्थिति-हान चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह है। यहाँ की प्रमुख भाषा चीनी है, जिसे पुतोंगहुआ के नाम से भी जाना जाता है। इस देश में उइघुर, हुई, मांचू, तिब्बती आदि कई और राष्ट्रीयताएँ हैं। कैंटनीज़ कैंटन की बोली-उए तथा शंघाईनीज़ (शंघाई की बोली-व) आदि बोलियाँ भी बोली जाती हैं। चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है। इनमें चार प्रमुख प्रकार के भोजन उल्लेखनीय हैं चीन की सबसे प्रमुख भोजन प्रणाली दक्षिणी या केंटोनी है, जो कैंटन व उसके आन्तरिक प्रदेशों की है।

 

जापान की भौगोलिक स्थिति- जापान एक छोटा-सा द्वीपीय देश है। इसके चार सबसे बड़े द्वीप हैं-होश, क्यूश, शिकोक तथा होकाइदो। सबसे दक्षिण में ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला है।

मुख्य द्वीपों की 50% से अधिक भूमि पहाड़ी है। जापान बहुत सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में है। जापान की इन भौगोलिक परिस्थितियों ने वहाँ की वास्तुकला को प्रभावित किया है।

 

जापान की सामाजिक स्थिति- जापान की अधिकतम जनसंख्या जापानी है। परन्तु कुछ आयनू और कुछ कोरियाई मूल के लोग भी हैं। कोरिया के लोगों को श्रमिक के रूप में उस समय जापान लाया गया था, जब कोरिया, जापान का उपनिवेश था। जापान एक पहाड़ी देश है। यहाँ बहुत कम खेती होती है। पहाड़ों पर कुछ चावल उगाया जाता है। चावल यहाँ की मुख्य फसल है और मछली प्रोटीन का मुख्य स्रोत है। यहाँ की कच्ची मछली साशिमी या सूशी अब सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गई है क्योंकि इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। जापान में पशुपालन नहीं होता है।

 

 

प्रश्न 2. मेज़ी पुनर्स्थापना से क्या आशय है ? जापान में मेजी युग के दौरान हुई प्रगति को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
मेज़ी पुनर्स्थापना से आशय- जापान में तोकुगावा वंशजों की शोगुन-शासन प्रणाली के पूर्व समस्त राजसत्ता जापान के सम्राटों के हाथों केन्द्रित होती थी। लेकिन जापान में 12वीं शताब्दी से ही शोगुन सत्ता के वास्तविक स्वामी बने रहे परन्तु 1868 ई. में जापान में मेज़ी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश के शोगुनों का शासन समाप्त कर दिया गया तथा उसके स्थान पर नए शासक व सलाहकार सामने आए। ये लोग जापानी सम्राट के नाम से शासन करते थे। एदो को जापान की राजधानी बनाया गया तथा इसका नया नाम तोक्यो रखा गया। इस तरह देश में शासन की वास्तविक सत्ता पुन: सम्राट के हाथ में आ गई। उसने मेज़ी की उपाधि धारण कर शासन प्रारम्भ कर दिया। जापान के इतिहास में इस घटना को मेज़ी पुनर्स्थापना के नाम से जाना जाता है।
जापान में मेज़ी युग के दौरान हुई प्रगति- जापान में मेज़ी युग के दौरान हुई प्रगति को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है

(1) औद्योगिक प्रगति- जापान की मेज़ी सरकार ने सर्वप्रथम देश के औद्योगिक विकास की ओर ध्यान दिया। जापानी यह अनुभव कर रहे थे इस क्षेत्र में वे पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत पिछड़े हुए हैं और जब तक वे अपना पर्याप्त आर्थिक विकास नहीं कर लेते तब तक वे पश्चिमी देशों का सामना नहीं कर सकते। जापान में नए-नए उद्योगों की स्थापना की जाने लगी और यूरोप तथा अमरीका से नई-नई मशीनें मँगाई जाने लगीं। सरकार की ओर से जापान में उद्योग-धन्धे स्थापित करने के लिए लोगों को बहुत प्रोत्साहन दिया गया। इसके परिणामस्वरूप कुछ ही वर्षों के अन्दर जापान में औद्योगिक क्रांति' हो गई और जापान एक औद्योगिक देश बन गया।

 

(2) यातायात व संचार के साधनों का विकास- मेज़ी सरकार ने यातायात और संचार के साधनों के विकास की ओर भी विशेष ध्यान दिया। 1872 ई. में जापान में रेलवे लाइनें बिछाने का कार्य प्रारम्भ हुआ और 1894 ई. तक सम्पूर्ण देश में रेलवे लाइन का जाल बिछ गया। 1872 ई. में तोक्यो और याकोहामा के बीच 19 मील रेलवे लाइन बिछाई गयी। 1874 ई. में कोबे और ओसाका के मध्य रेलगाड़ी चलने लगी। 1893 ई. में जापान में 1,500 मील लम्बी रेलवे लाइनें बिछा दी गईं। इस रेलमार्ग ने देश के आन्तरिक व्यापार की उन्नति में बहुत सहायता पहुँचायी। इसके फलस्वरूप जापान में राष्ट्रीयता के विकास में भी काफ़ी सहायता मिली, इसके साथ ही सरकार ने डाक विभाग का भी संगठन किया। 1868 ई. में पहली बार टेलीग्राफ का प्रयोग किया गया। कुछ वर्षों में ही जापान में अनेक डाकघरों की स्थापना हो गई। रेलवे तथा डाक के विकास के साथ-साथ मेज़ी सरकार ने जहाजों के निर्माण की ओर भी ध्यान दिया तथा उन्नीसवीं सदी के अन्त तक नौसैनिक शक्ति ने आश्चर्यजनक प्रगति कर ली।

 

(3) शिक्षा के क्षेत्र में सुधार- मेज़ी शासन में जापान में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण सुधार किए गए। 1868 ई. की शाही शपथ घोषणा में कहे गए इस वाक्य कि 'हर स्थान से ज्ञान प्राप्त किया जाए' के अनुसार 1871 ई. में शिक्षा विभाग की स्थापना की गई। एक कानून बनाकर यह व्यवस्था कर दी गई कि "प्रत्येक व्यक्ति ऊँचा और नीचा, स्त्री और पुरुष शिक्षा प्राप्त करे, जिससे कि सम्पूर्ण समाज में कोई परिवार और परिवार का कोई भी व्यक्ति अशिक्षित और अज्ञानी न रह जाए।"

 

(4) मुद्रा विनिमय में सुधार- मेज़ी सरकार ने मुद्रा विनिमय में भी सुधार किया। अब जापान में विनिमय के लिए सोना-चाँदी का प्रयोग होता था और इसके साथ-साथ शोगुन शासक तथा उनके सामन्तों ने अपने-अपने सिक्के चला रखे थे। इसके अतिरिक्त सोने तथा चाँदी का ऐसा सम्बन्ध था कि विदेशी अपने देश से चाँदी मँगा लेते थे और 1858 ई. की सन्धि तथा बाद में हुए जापानी सरकार के साथ अन्य समझौते के अनुसार उसे जापान की चाँदी में बदल लेते थे और बाद में इस जापानी चाँदी को सोने में बदलकर उसका निर्यात करते थे। इसके परिणामस्वरूप जापान का सोना विदेशों में चला जाता था। सन्धि परिवर्तन तथा विनिमय नियन्त्रण के द्वारा ही इस स्थिति में सुधार और निराकरण हो सकता था। सरकार के सामने ऐसी कागजी मुद्रा चलाने के अतिरिक्त और कोई चारा ही न था जो सोने-चाँदी में न बदली जा सके।

 

(5) बैंकिंग सुविधाओं का विकास- मुद्रा विनिमय तथा बैंकों की समस्या को हल करने की दिशा में पहला कदम मेज़ी सरकार ने 1872 ई. में उठाया। हेतो ने अमरीकन मुद्रा तथा बैंकिंग प्रणाली का विशेष अध्ययन कर यह सुझाव दिया कि अमेरिकन प्रणाली के आधार पर राष्ट्रीय बैंक का विनिमय कर दिया जाए। 1873 ई. में जापान में पहला राष्ट्रीय बैंक स्थापित किया गया। 1876 के बाद बैंकिंग का बड़ी तेजी के साथ विकास हुआ। 1879 ई. तक जापान में 157 राष्ट्रीय बैंकों की स्थापना हो गयी थी।

 

(6) धार्मिक क्षेत्र में सुधार- मेज़ी शासन की पुनर्स्थापना के बाद जापान में धार्मिक जीवन में भी परिवर्तन हुआ। बौद्ध धर्म के स्थान पर शिन्तो धर्म का विशेष प्रचार हुआ और यह जापान का राजधर्म बन गया। इस धर्म ने राष्ट्रीयता के विकास में काफ़ी सहायता पहुँचाई। जापानी अपने सम्राट के प्रति असीम श्रद्धा और अटूट राजभक्ति रखने लगे। इसके परिणामस्वरूप जापानी लोगों में राष्ट्रीय चेतना तथा एकता की भावना का उदय हुआ। 

 

 

प्रश्न 3. मेज़ी शासन के अधीन जापानी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण किस प्रकार हुआ? विस्तार से बताइए।
अथवा
जापान में मेज़ी शासन के अधीन हुए औद्योगिक विकास का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा? विस्तार से समझाइए।

उत्तर-

मेज़ी शासन के अधीन जापानी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण निम्नलिखित प्रकार से हुआ

(1) धन एकत्रित करना- मेज़ी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के सुधार हेतु कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया। उस धन को देश के विकासात्मक कार्यों में लगाया।

 

(2) रेलवे लाइन का निर्माण- देश में आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए रेलवे का विकास किया गया। यह रेलवे लाइन तोक्यो से योकोहामा के मध्य बिछाई गयी। 1874 ई. तक जापान में 2118 मील लम्बी रेलवे लाइनों का निर्माण हो चुका था। इन रेलवे लाइनों के माध्यम से यात्रियों का आवागमन सुगम हुआ और माल की ढुलाई से व्यापार का भी विस्तार हुआ।

 

(3) उद्योगों का विकास- जापान में वस्त्र उद्योग के विकास के लिए यूरोप से मशीनों का आयात किया गया। लौह इस्पात, वस्त्र आदि के अनेक कारखानों की स्थापना की गयी, फलस्वरूप वस्त्र एवं लौह इस्पात का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा। उद्योगों में कार्य करने वाले श्रमिकों के प्रशिक्षण हेतु दक्ष प्रशिक्षकों को यूरोप से बुलाया जाता था।

 

(4) जहाज निर्माण को प्रोत्साहन- जापान में मेज़ी शासनकाल के दौरान जहाज निर्माण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई। देश में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने हेतु मित्सुबिशी व सुमितोमो जैसी कम्पनियों को अनुदान व करों में लाभ दिया गया। इससे जापानी व्यापार जापान के जहाजों के माध्यम से ही होने लगा। 

 

(5) बैंकों की स्थापना-1872 ई. के दौरान जापान में आधुनिक बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ। धीरे-धीरे जापान में अनेक बैंकों की स्थापना होने लगी, जिन्होंने देश के उद्योगों एवं व्यापारिक गतिविधियों के संचालन हेतु पर्याप्त ऋण प्रदान कर अर्थव्यवस्था को गतिशीलता प्रदान की।

 

(6) बड़ी व्यापारिक कम्पनियों की स्थापना- जापान में ज़ायबात्सु नामक बड़ी व्यापारिक संस्थाओं की स्थापना की गयी। इन संस्थाओं पर विशिष्ट परिवारों का नियंत्रण होता था। जापानी अर्थव्यवस्था पर इन संस्थाओं का प्रभुत्व द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् भी बना रहा। 

औद्योगिक विकास का पर्यावरण पर प्रभाव- मेज़ी शासन के दौरान उद्योगों का तीव्र गति से विकास एवं लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग बढ़ने से पर्यावरण का विनाश हुआ। औद्योगिक प्रदूषण की बढ़ती हुई तीव्रता को देखते हुए जापानी संसद के निम्न सदन के सदस्य तनाका शोज़ो ने 1897 ई. में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रगति के लिए सामान्य जनता की बलि देना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने अपने आन्दोलन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण के विरुद्ध जापानी सरकार को उचित कार्यवाही करने हेतु बाध्य कर दिया। 

 

 

प्रश्न 4. द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजित होने के पश्चात् जापान की वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में किस प्रकार वापसी हुई ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजित होने के बाद जापान की एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में वापसी को निम्नलिखित बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है

(1) जापान का वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना- द्वितीय विश्वयुद्ध में संयुक्त राज्य अमरीका के हाथों जापान को पराजय का मुँह देखना पड़ा। अमरीका ने विश्वयुद्ध को शीघ्र समाप्त करने के लिए जापान के दो नगरों हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराए, जिससे जापान के हजारों लोग मारे गये व घायल हो गए। फलस्वरूप जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा। 1945 से 1947 ई. के दौरान अमरीका का जापान पर कब्जा रहा।

इस दौरान जापान का विसैन्यीकरण किया गया तथा वहाँ एक नया संविधान लागू किया गया। नये संविधान के अनुच्छेद में यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रीय नीति के माध्यम से युद्ध का प्रयोग नहीं किया जायेगा। इसके अतिरिक्त कृषि सुधार किये गये तथा व्यापारिक संगठनों का पुनर्गठन किया गया और जापानी अर्थव्यवस्था में बड़ी एकाधिकार वाली कम्पनियों के प्रभुत्व को समाप्त करने का प्रयास किया गया। राजनीतिक दलों को पुनर्जीवित किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् 1946 ई. में जापान में हुए प्रथम आम चुनाव में महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया।

 

(2) जापानी अर्थव्यवस्था का विकास- द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था के विकास हेतु अनेक प्रयत्न किये फलस्वरूप उनका प्रभाव भी एक चमत्कार के रूप में हमारे समक्ष आया। जापानी अर्थव्यवस्था तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर होने लगी। इसी दौरान जापानी संविधान को औपचारिक रूप से गणतांत्रिक रूप भी प्रदान किया गया। जापानी बुद्धिजीवियों ने जनवादी आन्दोलनों एवं राजनीतिक भागीदारी का आधार रखने में बहुत अधिक योगदान दिया। सरकार, नौकरशाही एवं सेना के मध्य निकटता का सम्बन्ध स्थापित किया गया।

अमरीकी समर्थन तथा साथ ही कोरिया व वियतनाम के मध्य युद्ध छिड़ने से भी जापानी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्राप्त हुई। 1964 ई. में तोक्यो में हुए ओलम्पिक खेल जापानी अर्थव्यवस्था की प्रगति का प्रमाण थे। 1964 ई. में ही जापानी अर्थव्यवस्था को तीव्र गति प्रदान करने के लिए बुलेट ट्रेनों का जाल भी बिछाया गया। ये रेलगाड़ियाँ 200 से 300 मील प्रतिघण्टे की गति से चलती थीं। इन रेलों द्वारा यात्री एवं माल का परिवहन शीघ्रता से होने लगा, फलस्वरूप जापान नई तकनीकी के बल पर श्रेष्ठ व सस्ते उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करने में सफल रहा।

 

(3) पर्यावरण प्रदूषण एवं नागरिक समाज आन्दोलन- 1960 ई. के दशक में बढ़ते औद्योगीकरण के कारण लोगों के स्वास्थ्य व पर्यावरण को बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी। फलस्वरूप नागरिक समाज आन्दोलनों का विकास हुआ। 1960 ई. के दशक में मिनामाता में पारे का विष फैलने एवं 1970 ई. के दशक के उत्तरार्ध में वायु प्रदूषण के फैलने सम्बन्धी समस्याओं के समाधान में इन नागरिक समाज आन्दोलनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि आज छोटे से देश जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का इतना अधिक विकास कर लिया है कि वह आज विकसित देशों की गिनती में सम्मिलित है।

 

 

प्रश्न 5. 1911 ई. की क्रान्ति से पूर्व चीन की स्थिति को विस्तार से बताइए। 
उत्तर:
1911 ई. की क्रान्ति से पूर्व चीन की स्थिति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

(1) जेसुइट मिशनरियों का चीन से सम्पर्क- आधुनिक चीन की शुरुआत सोलहवीं एवं सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय देशों के साथ उसके प्रथम सम्पर्क होने के समय से ही मानी जाती है। इस काल में यूरोप के ईसाई धर्म प्रचारक जेसुइट मिशनरियों ने गणित व खगोल विद्या जैसे पश्चिमी जगत में प्रचलित विज्ञानों के ज्ञान को चीन पहुँचाया अर्थात् चीन में शिक्षण प्रारम्भ हुआ। 

 

(2) अफ़ीम युद्ध की भूमिका- उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन ने अपने अफ़ीम के व्यापार में वृद्धि करने के लिए चीन के विरुद्ध सैन्य बल का प्रयोग किया फलस्वरूप ब्रिटेन व चीन के मध्य प्रथम अफ़ीम युद्ध 1839 ई. 1842 ई. के मध्य हुआ। इस युद्ध में चीन की पराजय हुई। इस युद्ध ने चीन के सत्ताधारी क्विंग राजवंश की प्रतिष्ठा को आघात पहुँचाया और उसे कमजोर कर दिया। इससे चीन में सुधार एवं परिवर्तनों की माँग होने लगी।

 

(3) प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार- चीन के प्रसिद्ध समाज सुधारकों, जैसे-कांग युवेई व लियांग किचाउ ने चीन की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार कर व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर बल दिया। फलस्वरूप चीनी सरकार ने एक आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था, नवीन शिक्षा प्रणाली एवं नई सेना के निर्माण के लिए नीतियाँ बनायीं। इसके अतिरिक्त देश में संवैधानिक सरकार के गठन हेतु स्थानीय विधायिकाओं का गठन किया गया।

 

(4) उपनिवेशित देशों के उदाहरण- चीनी समाज सुधारकों ने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने पर भी बल दिया। वे साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा उपनिवेश बनाए गए देशों के नकारात्मक उदाहरणों से प्रभावित थे। भारत एवं पोलैण्ड जैसे देशों के उदाहरणों से चीनी लोग प्रभावित थे। वे अपने देश को एक उपनिवेश के रूप में नहीं देखना चाहते थे। कई जापानी विद्वानों ने भारत की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश एक कम्पनी (ईस्ट इंडिया कम्पनी) के हाथों नष्ट हो गया है। यहाँ के लोग ब्रिटिश लोगों की सेवा कर रहे हैं तथा बदले में उनके क्रूर व्यवहार को सहन कर रहे हैं। ऐसे विद्वानों के तर्क से चीनी लोग प्रभावित थे। वे मानते थे कि ब्रिटेन, चीन के साथ युद्ध में भारतीय सैनिकों का प्रयोग करता है।

 

(5) कन्फयूशियसवाद- चीन में लोगों ने अनुभव किया कि परम्परागत सोच को बदलकर ही चीन का विकास किया जा सकता है। चीन के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं धर्म सुधारक कन्फयूशियस ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से लोगों की सोच को बदलने का प्रयास किया। इसी विचारधारा को कन्फयूशियसवाद कहा गया। इस विचारधारा के अन्तर्गत अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उचित सामाजिक सम्बन्धों पर बल दिया गया था। इस विचारधारा ने चीनी लोगों के जीवन के प्रति दृष्टिकोणों को प्रभावित किया, सामाजिक मानक प्रदान किये तथा चीनी राजनीतिक संघ व संगठनों को आधार प्रदान किया।

 

(6) अध्ययन हेतु विदेश भेजना- चीनी सरकार ने नए विषयों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों को ब्रिटेन, फ्रांस व जापान आदि देशों में पढ़ने हेतु भेजा। 1870 ई. के दशक में एक बड़ी संख्या में चीनी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति हेतु जापान गये जहाँ उन्होंने न्याय, अधिकार व क्रांति के विचारों को ग्रहण किया। इस शिक्षा ने चीन में गणतंत्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

(7) जापान-रूस के मध्य युद्ध- चीनी प्रदेशों पर अधिकार करने के लिए चीन की भूमि पर 1905 ई. में जापान और रूस के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध के पश्चात् प्राचीन काल से चली आ रही चीनी परीक्षा प्रणाली समाप्त कर दी गई। यह प्रणाली चीनियों को कुलीन सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश दिलाने का कार्य करती थी।

 

(8) गणतंत्र की स्थापना- 1911 ई. में हुई क्रान्ति द्वारा मांच साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया। इसके पश्चात् सन यात-सेन के नेतृत्व में चीन में गणतंत्र की स्थापना हुई। गणतंत्र की स्थापना के पश्चात् ही चीन का एक आधुनिक देश के रूप में उदय हुआ।

 

 

प्रश्न 6. च्यांग काईशेक के नेतृत्व में हुए चीन के विकास को समझाइए।
उत्तर:
च्यांग काईशेक के नेतृत्व में चीन का विकास-1925 ई. में आधुनिक चीन के संस्थापक सन यात-सेन की मृत्यु के पश्चात् च्यांग काईशेक सन यात-सेन द्वारा स्थापित (नेशनल पीपुल्स पार्टी) के नेता बने। उनके द्वारा चीन के विकास हेतु किए गए कार्य निम्नलिखित थे

(1) साम्यवादियों की शक्ति को नष्ट करना- च्यांग काईशेक ने एक सैन्य अभियान द्वारा वारलार्ड्स (सामंत वर्ग) को अपने नियन्त्रण में ले लिया तथा साम्यवादियों की शक्ति को नष्ट कर दिया।

 

(2) कन्फयूशियसवाद का समर्थन- कन्फयूशियसवाद चीन की एक प्रमुख विचारधारा रही है। यह विचारधारा कन्फयूशियस व उसके अनुयायियों की शिक्षा से विकसित की गई। इस विचारधारा के अन्तर्गत अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उचित सामाजिक सम्बन्धों के सिद्धान्तों पर बल दिया गया। इस विचारधारा का च्यांग काईशेक ने समर्थन किया।

 

(3) राष्ट्र का सैन्यीकरण करना- च्यांग काईशेक ने चीन का सैन्यीकरण करने का कार्यक्रम जारी रखने का प्रयास किया।

 

(4) एकताबद्ध व्यवहार की प्रवृत्ति और आदतों का विकास- इस बात पर बल दिया कि लोगों को एकताबद्ध व्यवहार की प्रवृत्ति और आदत का विकास करना चाहिए।

 

(5) महिलाओं के विकास पर बल- च्यांग काईशेक ने चीन में महिलाओं के विकास पर भी बल दिया। उन्होंने महिलाओं को चार सद्गुण उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये चार सद्गुण थे-सतीत्व, वाणी, काम व रंग-रूप। उन्होंने महिलाओं की भूमिका को घरेलू स्तर पर ही देखने पर बल दिया।

 

(6) औद्योगिक विकास- च्यांग काईशेक के शासनकाल में चीन का औद्योगिक विकास मंद था तथा यह भी कुछ गिने-चुने क्षेत्रों तक ही सीमित था। 1919 ई. में शंघाई जैसे शहरों में औद्योगिक श्रमिक वर्ग का उदय हो रहा था तथा उनकी संख्या लगभग 5 लाख थी। इन श्रमिकों में अल्प मात्रा में ही श्रमिक जहाज़ निर्माण जैसे आधुनिक उद्योगों में कार्यरत थे। अधिकांश लोग व्यापारी व दुकानदार थे। 

 

(7) शहरी श्रमिकों की दयनीय दशा- चीन में शहरी श्रमिकों विशेषकर महिलाओं को बहुत कम वेतन मिलता था। कार्य की परिस्थितियाँ, कार्य के घण्टे बहुत लम्बे थे। च्यांग काईशेक के शासनकाल में व्यक्तिवाद बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकार, परिवार निर्माण के तरीकों व प्रेम-मोहब्बत जैसे इन विषयों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

 

(8) विद्यालयों और विश्वविद्यालयों का विस्तार- च्यांग काईशेक के शासनकाल में विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों का विस्तार किया गया जिससे चीन के सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में सहायता प्राप्त हुई। 1902 ई. में पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

 

(9) पत्रकारिता का विकास- च्यांग काईशेक के शासनकाल में चीन में पत्रकारिता का भी विकास हुआ। शाओ तोआफेन द्वारा सम्पादित लोकप्रिय पत्रिका 'लाइफ वीकली' इस नयी विचारधारा की प्रतिनिधि थी। इस पत्रिका ने अपने चीनी पाठकों को नए विचारों के साथ-साथ महात्मा गाँधी व कमाल अतातुर्क जैसे नेताओं की विचारधाराओं से अवगत कराया।

 

 

प्रश्न 8. 1978 ई. से चीन में प्रारम्भ होने वाले सुधारों का विस्तार से वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
1978 ई. से चीन में प्रारम्भ होने वाले सुधारों का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

(1) समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था का प्रारम्भ- माओ त्सेतुंग द्वारा चीन में सांस्कृतिक क्रान्ति के पश्चात् चीनी साम्यवादी दल में राजनीतिक दाव-पेंच की प्रक्रिया आरम्भ हुई। तंग शीयाओफींग ने पार्टी पर सुदृढ़ नियंत्रण बनाए रखा तथा देश में साम्यवादी बाजार अर्थव्यवस्था का आरम्भ किया। अब चीनी लोग स्वच्छंद रूप से उपभोक्ता सामग्री खरीदने में समर्थ होने लगे।

 

(2) चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा- 1978 ई. में चीन साम्यवादी दल ने आधुनिकीकरण के अपने चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा की। जिनमें विज्ञान, उद्योग, कृषि एवं रक्षा का विकास करना सम्मिलित था। पार्टी से बहस न करने की शर्त पर वाद-विवाद करने की अनुमति भी प्रदान की गई।

 

(3) नवीन व स्वतंत्र विचारों का प्रचार- प्रसार-1978 ई. व उसके पश्चात् चीन में किए गए सुधारों से नवीन व स्वतंत्र विचारों का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। 5 दिसम्बर 1972 ई. को चीन में एक भवन की दीवार पर लगे एक पोस्टर में यह दावा किया गया था कि लोकतंत्र के अभाव में अन्य समस्त आधुनिकताएँ किसी काम की नहीं हैं अर्थात् अनुपयोगी हैं। लोकतंत्र के बिना आधुनिकीकरण सम्भव नहीं है। इसी पोस्टर में निर्धनता और लैंगिक शोषण की समाप्ति न हो पाने के लिए साम्यवादी पार्टी की आलोचना भी की गई।

 

(4) लोकतंत्र की माँग- 1989 ई. में, 4 मई 1919 ई. के आन्दोलन की 70वीं सालगिरह के अवसर पर अनेक चीनी विद्वानों ने अधिक खुलेपन तथा कठोर सिद्धान्तों को समाप्त करने की माँग की। इसी माँग के सम्बन्ध में बीजिंग के तियानमेन चौक पर हजारों चीनी विद्यार्थियों ने एक विशाल प्रदर्शन कर लोकतंत्र की माँग की। परन्तु चीन सरकार ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन का करता से दमन कर दिया। चीनी सरकार के इस कदम की विश्वभर में आलोचना हुई।

 

(5) चीन के विकास पर वाद- विवाद-बीजिंग में हुए विद्यार्थियों के विशाल प्रर्दशन के कुछ समय पश्चात् चीन में विकास के प्रश्न पर पुनः वाद-विवाद प्रारम्भ हो गया। साम्यवादी पार्टी चीन में एक मजबूत राजनीतिक प्रशासन, आर्थिक खुलेपन एवं विश्व बाजार में वैश्वीकरण का समर्थन करती थी। लेकिन आलोचकों का यह मत है कि राजनीतक गुटों, क्षेत्रों तथा पुरुषों व महिलाओं के मध्य असमानता निरन्तर बढ़ रही है जो चीन में सामाजिक तनाव में वृद्धि कर रही है। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि आज चीन में प्राचीन परम्पारिक विचार पुनर्जीवित हो रहे हैं। कन्फयूशियस की शिक्षाओं को अपनाया जा रहा है फलस्वरूप चीन अपने बल पर आधुनिक समाज का निर्माण करते हुए विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। 

 

 

प्रश्न 9. ताइवान के बारे में विस्तार से एक निबन्ध लिखिए।
अथवा 
ताइवान और चीन' विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
(1) च्यांग काईशेक का ताइवान आना- 1949 ई. में चीन के साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के पश्चात् कुओमीनतांग के नेता च्यांग काईशेक 30 करोड़ से अधिक अमरीकी डॉलर एवं मूल्यवान कलाकृतियों को लेकर ताइवान पहुँच गया। वहाँ उसने चीनी गणतंत्र की स्थापना की। 1945 ई. में ही चीन को कायरो घोषणा पत्र (1943 ई.) एवं पोट्सडैम उद्घोषणा (1949 ई.) के माध्यम से जापान से सम्प्रभुता वापस प्राप्त हुई थी। पूर्व में ताइवान पर जापान का आधिपत्य स्थापित था।

 

(2) ताइवान में चीनी गणतंत्र की स्थापना- 1949 ई. में च्यांग काईशेक ने ताइवान में चीनी गणतंत्र की स्थापना कर एक दमनकारी सरकार का गठन किया। इसके शासनकाल में लोगों से सरकार के विरुद्ध बोलने एवं राजनीतिक विरोध करने की स्वतंत्रता छीन ली। सत्ता के केन्द्रों से स्थानीय लोगों को पूर्ण रूप से हटा दिया गया।

 

(3) अर्थव्यवस्था में सुधार- च्यांग काईशेक की ताइवानी सरकार ने खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई भूमि सुधार कार्यक्रम लागू किए। सरकार ने अर्थव्यवस्था का भी आधुनिकीकरण किया। फलस्वरूप 1973 ई. में कुल राष्ट्रीय उत्पाद के मामलों में ताइवान एशिया महाद्वीप में जापान के पश्चात् द्वितीय स्थान पर रहा। ताइवानी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से व्यापार पर आधारित थी, जिससे अमीर व गरीब की खाई कम हो गयी।

 

(4) लोकतंत्र की स्थापना- ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना की प्रक्रिया 1975 ई. में च्यांग काईशेक की मृत्यु के पश्चात् मंद गति से शुरू हुई। इस दिशा में कदम उठाते हुए ताइवान से 1987 ई. में सैनिक शासन को हटा लिया गया तथा विरोधी राजनीतिक दलों को कानूनी मान्यता प्रदान कर दी गयी। स्वतंत्र मतदान प्रक्रिया के माध्यम से स्थानीय ताइवानी लोग भी सत्ता में आने लगे। राजनयिक स्तर पर अधिकांश देशों के व्यापार मिशन ताइवान में स्थापित हुए। ताइवान को चीन का एक भाग माने जाने के कारण विभिन्न देशों द्वारा ताइवान से संपूर्ण राजनयिक सम्बन्ध स्थापित कर दूतावास स्थापित करना सम्भव नहीं हो पाया।

 

(5) चीन- ताइवान के पुनः एकीकरण की समस्या-वर्तमान समय में भी चीन के साथ ताइवान का पुनः एकीकरण एक विवाद का विषय बना हुआ है। धीरे-धीरे ताइवान के साथ चीन के सम्बन्धों में सुधार आ रहा है। चीन के साथ ताइवानी व्यापार बढ़ रहा है तथा चीन में ताइवानी निवेश में भी वृद्धि हो रही है। निकट भविष्य में चीन व ताइवान एक हो सकते हैं।

 

 

प्रश्न 10. चीन और जापान की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनके स्वतंत्र तथा आधुनिक देश बनने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए। कथन को विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
चीन एवं जापान द्वारा आधुनिकीकरण के लिए अपनाए गए मार्गों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीन एवं जापान की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनके स्वतंत्र आधुनिक देश बनाने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए, जिनका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

(अ) चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग-
चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग पूर्णतया भिन्न था। इस देश के राजनीतिक नियंत्रण को यूरोपीय देशों एवं जापान के विदेशी साम्राज्यवाद ने कमजोर बना दिया था, जिससे राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था भंग करने हेतु अनुकूल वातावरण बन गया। इन समस्त कारणों की वजह से चीन की अधिकांश जनसंख्या को दुखों एवं कष्टों का सामना करना पड़ा। वर्षों तक युद्ध, सामन्तवाद, लूटमार, गृहयुद्ध जैसी समस्याओं के कारण एक बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। 1894-95 ई. में चीन और जापान के मध्य युद्ध एवं 1931 ई. में चीन पर जापानी हमले के अतिरिक्त 1926 से 1949 ई. के मध्य चीन में हुए गृहयुद्ध में अनेक लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। चीन में विभिन्न वर्षों में आयी प्राकृतिक आपदाओं ने भी चीनी लोगों की मुसीबतों में वृद्धि कर दी। इन समस्त समस्याओं का समाधान करते हुए चीन के निवासियों ने आधुनिकता का मार्ग अपनाया, जो निम्न प्रकार है

 

(1) परम्पराओं को त्यागना-

19वीं और 20 शताब्दी के दौरान चीनी लोगों ने वर्षों पुरानी परम्पराओं को त्यागकर राष्ट्रीय एकता एवं सुदृढ़ता निर्मित करने हेतु अनेक उपायों की तलाश करना प्रारम्भ कर दिया। चीन के साम्यवादी दल एवं उनके समर्थकों ने परम्पराओं को समाप्त करने के लिए कई आन्दोलनों का नेतृत्व किया। ऐसे लोगों ने महसूस किया कि वर्षों पुरानी चली आ रही परम्पराओं ने चीनी जनता को निर्धनता के कुचक्र में जकड़ रखा है, इन परम्पराओं ने महिलाओं को अधीन बनाया है तथा देश को अविकसित ही रखा है।

 

(2) अधिकार व सत्ता प्रदान करने का आश्वासन-
चीन के साम्यवादी दल ने चीनी जनता को अधिकार एवं शासन में भागीदारी देने का आश्वासन दिया परन्तु इस दल ने वास्तविक रूप में एक केन्द्रीकृत राज्य की स्थापना की। साम्यवादी कार्यक्रम की सफलता ने चीनी जनता में नवीन आशाओं का संचार किया लेकिन दमनकारी राजनीतिक व्यवस्था के कारण उनकी आशाएँ साकार रूप धारण नहीं कर सकी।

 

(3) आर्थिक असमानताओं की समाप्ति-
चीन में साम्यवादी दल के शासन के दौरान कई शताब्दियों से चीनी समाज में चली आ रही आर्थिक असमानता भी समाप्ति के कगार पर पहुँच गयी।

 

(4) शिक्षा का प्रसार-चीन में शिक्षा का पर्याप्त प्रचार-
प्रसार हुआ। लोगों को नये विषयों में प्रशिक्षित करने के लिए विद्यार्थियों को जापान, ब्रिटेन एवं फ्रांस जैसे विकसित देशों में अध्ययन हेतु भेजा गया। नयी-नयी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गयी जहाँ विदेशी प्रशिक्षकों द्वारा चीनी विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की गयी।

 

(5) बाजार सम्बन्धी सुधार-
चीन को आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए चीनी साम्यवादी दल ने अनेक बाजार सम्बन्धी सुधार किए।

 

(ब) जापान के आधुनिकीकरण का मार्ग-
जापान अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में सफल रहा तथा पारम्परिक कौशल एवं प्राचीन प्रथाओं को नए तरीके से उपयोग कर पाया। जापान के आधुनिकीकरण के मार्ग को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) उग्र राष्ट्रवाद का जन्म-जापान में अभिजात वर्ग के नेतृत्व में हुए आधुनिकीकरण ने एक प्रकार से उग्र राष्ट्रवाद को जन्म दिया तथा एक शोषणकारी सत्ता को बनाए रखा। इस शोषणकारी शासन ने समय-समय पर जापान में हुई लोकतंत्र की माँग का क्रूरतापूर्वक दमन किया।

 

(2) औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना-जापान ने एक औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की। उसने चीन के ताइवान को अपना एक उपनिवेश बनाया, जिससे उस क्षेत्र में कटुता की भावना बनी रही तथा आन्तरिक विकास भी अवरुद्ध हुआ।

 

(3) जापानी राष्ट्रवाद-जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावारण में हुआ, जब पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का बोलबाला था। यद्यपि जापान ने पश्चिमी देशों का अनुसरण करने का प्रयास किया परन्तु साथ ही साथ अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान ढूँढ़ने का भी प्रयास जारी रखा। जापानी लोग एशिया को पश्चिमी शक्तियों के नियन्त्रण से मुक्त रखने की आशा करते थे। दूसरे लोगों के लिए यही विचार साम्राज्य की स्थापना करने के लिए महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुए।

 

(4) परम्पराओं का नवीन रूप से प्रयोग करना-जापान में राजनीतिक एवं सामाजिक संस्थानों में सुधार के लिए परम्पराओं को नए एवं रचनात्मक तरीके से प्रयोग करना आवश्यक था। उदाहरण के लिए; मेज़ी शासनकाल की विद्यालयी शिक्षा प्रणाली ने यूरोपीय व अमरीकी प्रथाओं के अनुसार नवीन विषयों को प्रारम्भ किया लेकिन पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जापान के लिए निष्ठावान नागरिकों का निर्माण करना था। जापानी विद्यार्थियों को नैतिक शास्त्र का अध्ययन करना अनिवार्य था क्योंकि इसमें जापानी सम्राट के प्रति स्वामिभक्ति पर बल दिया जाता था।

 

निष्कर्ष-निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि चीन और जापान दोनों ने अलग-अलग मार्ग अपनाए। आज जापान एवं चीन दोनों ही देश विकास के शिखर पर पहुँच गए हैं। यद्यपि चीन में आज भी राजनीतिक व्यवस्था पर साम्यवादी पार्टी का कड़ा नियंत्रण है। चीन में पुनः सामाजिक अव्यवस्था बढ़ रही है तथा सदियों से दबी पड़ी परम्पराएँ पुनः जीवित होने लगी हैं। आज चीन के समक्ष यह प्रश्न उठ रहा है कि चीन किस प्रकार अपनी धरोहर को बनाये रखते हुए अपना विकास कर सकता है। वहीं जापान एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के कारण साधनविहीन देश होते हुए भी अपने तकनीकी ज्ञान के बल पर निरन्तर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है और जापान के समाज की सुदृढ़ता उसके सीखने की शक्ति एवं राष्ट्रवाद की शक्ति को दर्शाता है।

 


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