Class-12 Geography
Chapter- 8 (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार )
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:
निम्न
में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए:
प्रश्न 1.
|
स्तम्भ अ (प्रादेशिक समूह) |
स्तम्भ ब (मुख्यालय) |
|
(i) आसियान |
(अ) वियना |
|
(ii) सी.आई.एस |
(ब) ब्रुसेल्स |
|
(ii) ओपेक |
(स) माण्टेविडियो |
|
(iv) यूरोपियन यूनियन |
(द) जकार्ता |
|
(iv) यूरोपियन यूनियन |
(य) मिन्सक |
उत्तर:
|
स्तम्भ अ (प्रादेशिक समूह) |
स्तम्भ ब (मुख्यालय) |
|
(i) आसियान |
(द) जकार्ता |
|
(ii) सी.आई.एस |
(य) मिन्सक |
|
(ii) ओपेक |
(अ) वियना |
|
(iv) यूरोपियन यूनियन |
(ब) ब्रुसेल्स |
|
(iv) यूरोपियन यूनियन |
(स) माण्टेविडियो |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी
प्रश्न
निम्न
वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1. आदिम समाज में व्यापार का
आरंभिक स्वरूप ................ व्यवस्था था।
उत्तर: विनिमय
प्रश्न 2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
उत्पादन में ................ का परिणाम है।
उत्तर: विशिष्टीकरण
प्रश्न 3. व्यापार की गई वस्तुओं का
वास्तविक तोल ................ कहलाता है।
उत्तर: परिमाण
प्रश्न
4. अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार की दुनिया के प्रवेश द्वार ................ तथा ................ होते
हैं।
उत्तर: पोताश्रय, पत्तन
प्रश्न 5. कोपेनहेगन ................ क्षेत्र के लिए ................ पत्तन है।
उत्तर: बाल्टिक, आंत्रपो।
सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी
प्रश्न:
निम्न
में से सत्य - असत्य कथनों की पहचान कीजिए:
प्रश्न 1. व्यापार का तात्पर्य वस्तुओं और
सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान से होता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न
2. सघन बसाव वाले देशों में आंतरिक व्यापार कम होता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न
3. द्विपार्श्विक व्यापार दी देशों के द्वारा एक-दूसरे के
साथ किया जाता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न
4. मेंफिस राइन नदी पर स्थित है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न
5.लेबनान में त्रिपोली टैंकर पत्तन है। \
उत्तर:
सत्य।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न
1. व्यापार के स्तर कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
व्यापार
के दो स्तर हैं जो निम्नलिखित हैं:
1.
राष्ट्रीय व्यापार
2.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय व्यापार किसे
कहते हैं?
उत्तर:
जब एक ही राष्ट्र की सीमाओं के भीतर ही वस्तुओं और सेवाओं का आदान -
प्रदान होता हो तो उसे राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
प्रश्न
3. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न राष्ट्रों के मध्य राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और
सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है।
प्रश्न
4. वस्तु विनिमय व्यवस्था क्या होती है?
उत्तर:
वस्तु के बदले वस्तु का लेन - देन वस्तु विनिमय व्यवस्था कहलाता है।
प्रश्न
5. भारत के किस क्षेत्र में आज भी वस्तु विनिमय
व्यवस्था देखने को मिलती है?
उत्तर:
गुवाहाटी (असम) से 35 किमी दूर जागीरॉड में
जनवरी माह में लगने वाले जॉन बील मेले में आज भी वस्तु विनिमय व्यवस्था देखने को
मिलती है।
प्रश्न
6. सैलरी शब्द से क्या आशय है?
उत्तर:
सैलरी शब्द लैटिन भाषा के सैलेरिअम (Salarium) शब्द से बना है जिसका अर्थ है नमक के द्वारा भुगतान।
प्रश्न
7. प्राचीन समय में व्यापार स्थानीय बाजारों तक ही
सीमित क्यों था?
उत्तर:
प्राचीन
समय में लम्बी दूरियों तक वस्तुओं का परिवहन जोखिमपूर्ण होता था। इसी कारण व्यापार
स्थानीय बाजारों तक ही सीमित था।
प्रश्न
8. रेशम मार्ग क्या है?
उत्तर:
प्राचीन समय में रोम से चीन तक 6 हजार किमी.
लम्बाई के व्यापारिक मार्ग को रेशम मार्ग कहा जाता था जिससे भारत, ईरान तथा मध्य एशिया, चीन तथा इटली के मध्य रेशम,
ऊन तथा अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था।
प्रश्न
9. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसका परिणाम है
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है।
प्रश्न
10. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किन-किन सिद्धान्तों पर
आधारित होता है?
अथवा
विदेशी व्यापार कौन-कौन से मूलभूत तत्वों पर आधारित है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ,
परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है।
प्रश्न
11. वर्तमान समय में व्यापार किसका आधार है?
उत्तर:
वर्तमान समय में व्यापार विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है।
प्रश्न
12. आधुनिक समय में व्यापार किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
आधुनिक समय में व्यापार देशों की विदेश नीति से संबंधित है।
प्रश्न
13. अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार के आधार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
1.
राष्ट्रीय संसाधनों में
भिन्नता
2.
जनसंख्या कारक
3.
आर्थिक विकास की प्रावस्था
4.
विदेशी निवेश की सीमा
5.
परिवहन।
प्रश्न
14. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष कौन
- कौन से हैं?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं:
1.
परिमाण
2.
व्यापार संयोजन
3.
व्यापार की दिशा।
प्रश्न
15. व्यापार का परिमाण क्या होता है?
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार का परिमाण कहलाता
है।
प्रश्न
16. 20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व व्यापार
में क्या परिवर्तन हुए हैं?
उत्तर:
20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भारत, चीन
तथा अन्य विकासशील राष्ट्रों ने विश्व व्यापार के क्षेत्र में विकसित देशों के साथ
प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी। साथ ही व्यापारिक वस्तुओं की प्रकृति भी बदल गयी।
प्रश्न
17. व्यापार सन्तुलन क्या है?
उत्तर:
किसी देश के निर्यात और आयात के कुल मूल्यों के बीच के सम अन्तर को
व्यापार सन्तुलन कहते हैं।
प्रश्न
18. व्यापार सन्तुलन किसका प्रलेखन करता है?
उत्तर:
व्यापार सन्तुलन एक देश के द्वारा अन्य देशों को किये गये आयात एवं
इसी प्रकार निर्यात की गई वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन करता है।
प्रश्न
19. किसी देश का व्यापार सन्तुलन ऋणात्मक कब होता है?
अथवा
प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन से क्या आशय है?
उत्तर:
यदि किसी देश के आयात का मूल्य, उस देश के
निर्यात मूल्य से अधिक हो जाता है तो उसे ऋणात्मक अथवा प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन
कहते हैं।
प्रश्न
20. धनात्मक व्यापार सन्तुलन से क्या आशय है?
अथवा
किसी देश का अनुकूल व्यापार सन्तुलन कब होता है?
उत्तर:
यदि किसी देश के निर्यात का मूल्य उस देश के आयात के मूल्य की तुलना
में अधिक हो जाता है तो उसे धनात्मक अथवा अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं।
प्रश्न
21. द्विपार्श्विक व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब दो देशों के द्वारा एक - दूसरे के साथ व्यापार किया जाता है तो
उसे द्विपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।
प्रश्न
22. बहुपार्श्विक व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब अनेक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार किया जाता है
तो उसे बहुपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।
प्रश्न
23. मुक्त व्यापार क्या है?
अथवा
व्यापार उदारीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार या
व्यापार उदारीकरण कहा जाता है। यह कार्य व्यापारिक अवरोधों (जैसे - सीमा शुल्क) को
कम करके किया जाता है।
प्रश्न
24. डंप करना क्या है?
अथवा
डंप करने से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
लागत की दृष्टि से नहीं वरन् भिन्न - भिन्न कारणों से अलग - अलग
कीमत की किसी वस्तु को देशों में विक्रय करने की प्रथा डंप करना कहलाती है।
प्रश्न
25. विकासशील देशों को डंप की गई वस्तुओं से सतर्क
रहने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
विकासशील देशों को डंप की गई वस्तुओं से सतर्क रहने की आवश्यकता है
क्योंकि मुक्त व्यापार के साथ सस्ते मूल्य की डंप की गई वस्तुएँ घरेलू उत्पादकों
को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
प्रश्न
26. गैट (GATT) का पूरा नाम
बताइए।
उत्तर:
प्रशुल्क एवं व्यापार का सामान्य समझौता (General Agreement
on Trade and Tariff, GATT)
प्रश्न
27. गैट का गठन कब व क्यों किया गया?
उत्तर:
सन् 1948 में विश्व को उच्च सीमा शुल्क एवं
विभिन्न प्रकार की अन्य बाधाओं से मुक्त कराने हेतु कुछ देशों के द्वारा गैट का
गठन किया गया।
प्रश्न
28. विश्व व्यापार संगठन क्या है?
उत्तर:
विभिन्न देशों के मध्य वैश्विक व्यापार तंत्र के नियमों का निर्धारण
करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय संगठन को विश्व व्यापार संगठन कहा जाता है।
प्रश्न
29. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब व कहाँ हुई?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना जनवरी 1995 में
जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में हुई।
प्रश्न
30. विश्व व्यापार संगठन के किसी एक संस्थापक देश का
नाम बताइए।
उत्तर:
भारत।
प्रश्न
31. किन्ही चार प्रादेशिक व्यापार समूहों के नाम
लिखिए।
अथवा
एशिया महाद्वीप के प्रादेशिक व्यापार समूहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1.
आसियान
2.
सी.आई.एस.
3.
ओपेक
4.
साफ्टा।
प्रश्न 32. आसियान (ASEAN) के किन्हीं दो सदस्य देशों का नाम बताइए।
उत्तर:
1.
थाईलैण्ड
2.
गापुर।
प्रश्न
33. ओपेक की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
ओपेक की स्थापना सन् 1949 में की गयी।
प्रश्न
34. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य
प्रवेश द्वार क्या होते हैं?
उत्तर:
पोताश्रय एवं पत्तन।
प्रश्न
35. निपटाए गए नौभार के आधार प पत्तनों को कितने भागों
में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
1.
औद्योगिक पत्तन
2.
वाणिज्यिक पत्तन
3.
विस्तृत पत्तन।
प्रश्न
36. अंतर्देशीय पत्तन के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
1.
मानचेस्टर पत्तन
2.
कोलकाता पत्तन।
प्रश्न
37. विशिष्टीकृत क्रिया - कलापों के आधार पर पत्तनों
को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
1.
तैल पत्तन
2.
मार्ग पत्तन
3.
पैकेट पत्तन
4.
आंत्रपो पत्तन
5.
नौसेना पत्तन।
प्रश्न
38. विश्व का सबसे बड़ा स्थलरुद्ध पत्तन कौन - सा है?
उत्तर:
सैन फ्रांसिस्को (संयुक्त राज्य अमेरिका)।
प्रश्न
39. तैल पत्तन के कोई दो उदाहरण दीजिए।
अथवा
तैल शोधन पत्तन के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
1.
त्रिपोली पत्तन
2.
अबादान।
प्रश्न
40. मार्ग पत्तन अथवा विश्राम पत्तन के दो उदाहरण
लिखिए।
उत्तर:
1.
होनोलूलू पत्तन
2.
सिंगापुर पत्तन।
प्रश्न
41. पैकेट स्टेशन या फेरी पत्तन के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
1.
डोबर पत्तन (हालैंड)
2.
कैलाइस पत्तन (फ्रांस)।
प्रश्न
42. आंत्रपो पत्तन क्या है? कोई
दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
आंत्रपो पत्तन वे एकत्रण केन्द्र हैं जहाँ विभिन्न देशों से निर्यात
हेतु वस्तुएँ लाई जाती हैं।
उदाहरण:
1.
सिंगापुर पत्तन
2.
रोटरडम पत्तन।
प्रश्न
43. भारत के किन्हीं दो नौसेना पत्तनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1.
कोच्चि पत्तन
2.
कारवाड पत्तन।
प्रश्न
44. औद्योगिक एवं वाणिज्यिक पत्तन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औद्योगिक पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं जबकि वाणिज्यिक
पत्तन सामान्य नौभार संकेन्द्रित उत्पादों एवं निर्मित वस्तुओं का निपटान करते
हैं।
प्रश्न
45. पृष्ठ प्रदेश शब्द का क्या भावार्थ होता है।
उत्तर:
सामुद्रिक पत्तन के पीछे स्थित वह भाग जो समुद्री पत्तन के परिवहन
एवं माल के मुक्त प्रवाह को सम्पन्न करता है, पृष्ठ प्रदेश
कहलाता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):
प्रश्न
1. व्यापार से क्या आशय है? क्या
यह दोनों पक्षों के लिए लाभदायक होता है?
उत्तर:
व्यापार: वस्तुओं और सेवाओं के स्वैच्छिक आदान - प्रदान को व्यापार
कहा जाता है। व्यापार करने के लिए दोनों पक्षों का होना आवश्यक होता है। एक
व्यक्ति (पक्ष) बेचता है तथा दूसरा पक्ष खरीदता है। कुछ स्थानों पर लोगों द्वारा
वस्तुओं का विनिमय किया जाता है। अतः व्यापार दोनों ही पक्षों के लिए समान रूप से
लाभदायक होता है।
प्रश्न
2. आदिम समाज की विनिमय व्यवस्था में किन - किन
वस्तुओं का विनिमय किया जाता था?
उत्तर:
आदिम समाज में व्यापार का आरम्भिक स्वरूप विनिमय व्यवस्था थी जिसके
अन्तर्गत वस्तु के बदले में वस्तु ही दी जाती थी। कागजी व धात्विक मुद्रा आने से
पूर्व चकमक पत्थर, आब्सीडियन (आग्नेय काँच), काउरी शैल, चीते के पंजे, ह्वेल
के दाँत, कुत्ते के दाँत, खालें,
फर, मवेशी, चावल,
पेपरकॉर्न, नमक, छोटे
यंत्र, ताँबा, चाँदी तथा स्वर्ण का
उपयोग वस्तु विनिमय व्यवस्था में प्रमुख रूप से किया जाता था।
प्रश्न
3. सैलेरी के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
सैलेरी क्या है? यह वस्तु विनिमय में
भुगतान का माध्यम कैसे बना?
उत्तर:
'सैलेरी' शब्द का उद्गम लैटिन भाषा के 'सैलेरिअम' शब्द से हुआ है। जिसका अर्थ है नमक के
द्वारा भुगतान। प्राचीन समय में समुद्र के जल से नमक बनाना ज्ञात नहीं था तथा इसे
केवल खनिज लवण से बनाया जा सकता था, जो उस समय प्रायः दुर्लभ
और खर्चीला था। यही कारण है कि यह वस्तु विनिमय व्यवस्था में भुगतान का एक माध्यम
बना।
प्रश्न
4. आर्थिक विकास की प्रावस्था को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आर्थिक विकास की अवस्था अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधार कैसे है?
उत्तर:
·
आर्थिक विकास की
प्रावस्था-किसी देश की आर्थिक विकास की अवस्था से उस देश के व्यापार की वस्तुओं का
प्रकार अर्थात् व्यापार की गई वस्तुओं का स्वभाव (प्रकार) परिवर्तित हो जाता है।
·
कृषि प्रधान देशों में
विनिर्माण वस्तुओं के लिए कृषि उत्पादों का विनिमय किया जाता है जबकि विश्व के
औद्योगिक दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र मशीनरी व निर्मित माल का निर्यात करते हैं तथा
कच्चे माल तथा खाद्यान्नों का आयात करते हैं।
प्रश्न
5. विदेशी निवेश किस प्रकार विकासशील देशों के व्यापार
को बढ़ावा दे सकता है?
अथवा
विदेशी निवेश की सीमा किस प्रकार विभिन्न देशों के मध्य में
व्यापार के परिमाण को आगे बढ़ाती है?
उत्तर:
जिन विकासशील देशों के पास खनन प्रबंधन द्वारा तेल खनन, भारी अभियांत्रिकी एवं बागवानी कृषि के विकास के लिए आवश्यक पूँजी का अभाव
होता है। ऐसे देशों में विदेशी निवेश व्यापार को बढ़ावा दे सकता है। विकासशील
देशों में ऐसे पूँजी प्रधान उद्योगों के विकास द्वारा औद्योगिक राष्ट्र उत्पादों
के लिए बाजार निर्मित करते हैं। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया देशों के मध्य में व्यापार
के परिमाण को आगे बढ़ाती है।
प्रश्न
6. व्यापार
का परिमाण अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष क्यों है?
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार का परिमाण या मात्रा
कहलाता है। किन्तु वस्तुओं की मात्रा कभी वस्तुओं का मूल्य या सूचक नहीं हो सकती।
यही नहीं, व्यापारिक सेवाओं को तौल में नहीं मापा जा सकता।
यही कारण है कि व्यापार की गयी वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा को उनके मूल्य के रूप
में मापा जाता है।
प्रश्न
7. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संयोजन को बताइए।
उत्तर:
व्यापार का संयोजन - बीसवीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों
द्वारा आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं तथा सेवाओं के प्रकार में उल्लेखनीय परिवर्तन
अनुभव किये गये हैं। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में
प्राथमिक उत्पाद सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थे। बाद में यह स्थान विनिर्मित वस्तुओं ने
ले लिया। वर्तमान समय में विश्व व्यापार में सर्वाधिक योगदान विनिर्माण क्षेत्र का
है जबकि कुल विश्व व्यापार में सेवा क्षेत्र का प्रतिशत सतत् रूप से बढ़ता जा रहा
है।
प्रश्न
8. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकारों की विवेचना
कीजिए।
अथवा
द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय व्यापार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के निम्नलिखित दो वर्ग हैं:
(i) द्विपाश्विक व्यापार: दो देशों के
द्वारा एक - दूसरे के साथ किया जाने वाला व्यापार द्विपाश्विक व्यापार कहलाता है।
इस व्यापार के अन्तर्गत एक देश कुछ कच्चे पदार्थों के व्यापार के लिए इस समझौते के
साथ सहमत हो सकता है कि दूसरा देश कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री खरीदेगा अथवा स्थिति
इसके विपरीत भी हो सकती है।
(ii) बहु पाश्विक व्यापार: बहु पाश्विक
व्यापार बहुत - से व्यापारिक देशों के साथ किया जाता है। एक देश कुछ व्यापारिक
साझेदारों को 'सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र' की स्थिति प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 9. मुक्त व्यापार क्या है?
संक्षेप में बताइए।
अथवा
व्यापार
उदारीकरण से क्या अभिप्राय है? इसके लाभों
का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार अथवा
व्यापार उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।
1.
यह कार्य व्यापारिक अवरोधों
जैसे सीमा शुल्क आदि को हटाकर किया जाता है।
2.
घरेलू उत्पादों एवं सेवाओं
से प्रतियोगिता करने के लिए व्यापार उदारीकरण समस्त स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं
के लिए अनुमति प्रदान करता है।
3.
इससे बाजारों में विकल्पों
की उपलब्धता मिलती है।
प्रश्न
10. वे कौन - से कारण हैं जिनसे व्यापारी देशों के लिए
डंपिंग गहरी चिन्ता का विषय बनती जा रही है।
उत्तर:
मुक्त व्यापार के चलते कुछ व्यापारी देश जब सस्ते मूल्य की वस्तुओं
को अपने देश में डंप कर लेते हैं तो घरेलू उत्पादकों द्वारा उत्पादित अपेक्षाकृत
अधिक मूल्य वाली उन्हीं वस्तुओं की देश में माँग समाप्त हो जाती है जिसके कारण
घरेलू उत्पादकों को भारी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है। इसी कारण डंपिंग
व्यापारी देशों के लिए एक गहरी चिन्ता का विषय बनती जा रही है।
प्रश्न
11. विश्व व्यापार संगठन की स्थापना किस उद्देश्य से
कब की गयी?
उत्तर:
सन् 1994 में गैट (जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड
एण्ड टैरिफ) के सदस्य देशों द्वारा राष्ट्रों के मध्य मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार
को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक स्थायी संस्था की स्थापना का निश्चय किया गया
तथा जनवरी 1995 में गैट संस्था के स्थान पर विश्व व्यापार
संगठन की स्थापना की गयी। इस विश्वव्यापी संगठन का मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड)
में है। दिसम्बर 2016 में 164 देश इसके
सदस्य थे। भारत विश्व व्यापार संगठन के संस्थापक सदस्यों में से एक रहा है।
प्रश्न
12. विश्व व्यापार संगठन के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1.
यह समूह सभी सदस्य देशों के
बीच आपसी विवादों का निपटारा करता है।
2.
यह सभी सदस्यों के बीच
व्यापार संबंधी नियमों का निर्धारण करता है।
3.
यह समूह व्यापारिक क्रियाओं
को वैश्विक स्तर पर आधार प्रदान करता है।
प्रश्न
13. प्रादेशिक व्यापार समूहों का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह सदस्य राष्ट्रों में व्यापार शुल्क को हटा
देते हैं तथा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देते हैं। यह समूह व्यापार की मदों में
भौगोलिक निकटता, समरूपता तथा पूरकता के साथ सदस्य
देशों के मध्य व्यापार बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे
प्रतिबन्ध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्व में आए हैं। वर्तमान समय में सम्पूर्ण
विश्व में 120 प्रादेशिक व्यापार समूह कार्य कर रहे हैं जो
विश्व के 52 प्रतिशत व्यापार को सम्पादित कर रहे हैं।
प्रश्न
14. व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को
क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा व्यापार की मदों में भौगोलिक
सामीप्य, समरूपता तथा पूरकता प्राप्त होती है। इनके द्वारा
विभिन्न देशों के मध्य व्यापार बढ़ाने तथा व्यापार पर प्रतिबन्ध हटाने में सहायता
मिलती है। इसके अलावा सदस्य राष्ट्र को व्यापार शुल्क से मुक्ति मिलती है तथा
मुक्त व्यापार को प्रोत्साहन प्राप्त होकर देश को अधिक व्यापारिक लाभ प्राप्त होते
हैं।
प्रश्न
15. लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसियेशन के बारे में
आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसियेशन (LAIA): इस
व्यापारिक समूह में 10 लैटिन अमेरिकी राष्ट्र - अर्जेन्टाइना,
बोलीविया, ब्राजील, कोलंबिया,
इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे,
पेरू, उरुग्वे तथा वेनेजुएला सम्मिलित हैं। इस
व्यापारिक समूह का मुख्यालय उरुग्वे देश के मॉण्टेविडियो नगर में है। इस व्यापार
समूह की स्थापना सन् 1960 में की गयी थी।
प्रश्न
16. नाफ्टा क्या है?
उत्तर:
नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एसोसियेशन नामक प्रादेशिक व्यापार समूह को
नाफ्टा (NAFTA) के नाम से जाना जाता है। इस व्यापारिक संघ का
उद्भव सन् 1994 में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा की स्वच्छंद व्यापार संधि के रूप में हुआ। कृषि उत्पाद, मोटर गाड़ियाँ, स्वचालित पुर्जे, कम्प्यूटर तथा वस्त्र इस व्यापारिक संघ की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वस्तुएँ
हैं।
प्रश्न
17. ओपेक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ओपेक (OPEC): तेल निर्यातक राष्ट्रों के संगठन
को ओपेक के नाम से जाना जाता है। सन् 1949 में स्थापित तेल
निर्यातक राष्ट्रों के संगठन के सदस्य देशों में- अल्जीरिया, इंडोनेशिया, ईरान, इराक,
कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया,
कतर, सऊदी अरब, संयुक्त
अरब अमीरात तथा वेनेजुएला सम्मिलित हैं। यह संगठन खनिज तेल की नीतियों के समन्वय
तथा एकीकरण के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। अशोधित खनिज तेल इस संगठन का
एकमात्र निर्यात किए जाने वाला उत्पाद है।
प्रश्न
18. साफ्टा के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट नामक प्रादेशिक व्यापार समूह को
साफ्टा (SAFTA) के नाम से जाना जाता है। दक्षिणी एशिया के
बांग्लादेश, मालदीव, भूटान, नेपाल, भारत, पाकिस्तान तथा
श्रीलंका नामक देशों के इस व्यापारिक संगठन की स्थापना जनवरी 2006 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य अंतर-प्रादेशिक व्यापार में
करों को घटाना है।
प्रश्न
19. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित प्रमुख
समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हानिकारक सिद्ध हो सकता है यदि यह अन्य
देशों पर पूर्ण निर्भरता रखता है। विभिन्न देशों के मध्य व्यापारिक प्रतिस्पर्धा
कई बार युद्ध का कारण बन जाती है। व्यापार पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव डालता है।
आर्थिक विकास का परिणाम प्रदूषण होता है। जो देश व्यापार में केवल लाभ पक्ष को ही
देखते हैं, पर्यावरण एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों पर ध्यान
नहीं देते उन्हें भविष्य में नुकसान उठाना पड़ता है।
प्रश्न
20. स्पष्ट कीजिए कि पत्तन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के
प्रवेश द्वार होते हैं।
अथवा
पत्तनों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार' क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
पत्तन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश - द्वार
होते हैं। समुद्री मार्ग भारी एवं अधिक मात्रा में माल की ढुलाई के सबसे सस्ते
साधन होते हैं। पत्तन सागरीय तट पर वह स्थान होते हैं, जहाँ
दूसरे देश से आयात किये गये माल को उतारा जाता है तथा देश में उत्पादित माल को
निर्यात के रूप में दूसरे देशों को भेजा जाता है। इस प्रकार पत्तन एक प्रवेश एवं
निकास बिन्दु के रूप में कार्य करते हैं। एक पत्तन द्वारा निपटाया गया नौभार उसके
पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक होता है।
प्रश्न
21. निपटाए गए नौभार के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण
कीजिए।
उत्तर:
1.
औद्योगिक पत्तन: इस श्रेणी
के पत्तन थोक नौभार (जैसे - अनाज, चीनी,
अयस्क, तेल, रसायन तथा
समकक्ष पदार्थ) का कार्य विशेष रूप से सम्पादित करते हैं।
2.
वाणिज्यिक पत्तन: इस श्रेणी
के पत्तन सामान्य नौभार संकेन्द्रित उत्पादों तथा विनिर्मित वस्तुओं का निपटान
करते हैं। साथ ही यह पत्तन यात्री परिवहन की भी व्यवस्था करते हैं।
3.
विस्तृत पत्तन: इस श्रेणी के
पत्तन बड़े परिमाण में सामान्य नौभार का थोक स्तर पर सम्पादन करते हैं। विश्व के
अधिकांश प्रमुख पत्तन इसी श्रेणी से संबंधित होते हैं।
प्रश्न
22. तैल पत्तन क्या हैं? उदाहरण
सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तैल पत्तन-वे पत्तन जो कि तेल के प्रक्रमण एवं नौ परिवहन का कार्य
करते हैं, तैल पत्तन कहलाते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन
हैं एवं कुछ तेल शोधन पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकाइबो, ट्यूनिशिया
में एस्सखीरा, लेबनान में त्रिपोली टैंकर पत्तन हैं। पर्शिया
की खाड़ी पर अबादान एक तैल शोधन पत्तन है।
लघुत्तरीय प्रश्न (SA2):
प्रश्न
1. 'दास व्यापार' पर संक्षिप्त
टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
15वीं शताब्दी में यूरोपियनं उपनिवेशवाद प्रारम्भ हुआ तथा साथ ही
विदेशी व्यापार के साथ-साथ 'दास व्यापार' का भी उदय हुआ। उत्तरी अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका में यूरोपियन देशों के
अनेक उपनिवेश स्थापित हुए। इन उपनिवेशों के कृषि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर
श्रमिकों की आवश्यकता हुई जिसे पूरा करने के लिए पुर्तगालियों, डचों, स्पेनिशों तथा अंग्रेजों ने अफ्रीका के मूल
निवासियों की नीलामी लगाकर दास बनाया तथा बाद में उन्हें बलपूर्वक अमेरिका में
स्थापित अपने उपनिवेशों में कृषि कार्य करने के लिए भेजा। दास व्यापार दो सौ वर्षों
से अधिक समय तक एक लाभदायक व्यापार रहा। परन्तु बाद में 1792 ई. में डेनमार्क में, 1807 ई. में ग्रेट ब्रिटेन में
तथा 1808 ई. में संयुक्त राज्य अमेरिका में दास प्रथां पर
प्रतिबंध लगाने के पश्चात् 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में
दास व्यापार पर विश्वभर में पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
प्रश्न
2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अस्तित्व में क्यों है?
संक्षेप में बताइए।
अथवा
आधुनिक समय में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व अर्थव्यवस्था का
आधार है, क्यों?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यदि
विभिन्न देश वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा
विशेषीकरण को प्रयोग में लाते हैं तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्पूर्ण विश्व की
अर्थव्यवस्था को लाभ प्रदान करता है। इस प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे
सकता है।
इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक
लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित
होता है। सिद्धांततः यह व्यापारिक भागीदारी समान रूप से लाभदायक होनी चाहिए।
वर्तमान समय में व्यापार विश्व के आर्थिक संगठनों का आधार बन गया है तथा यह
राष्ट्रों की विदेश नीति से सम्बन्धित हो गया है। आज सुविकसित परिवहन एवं संचार
प्रणाली से युक्त कोई भी देश अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में हिस्सेदारी से मिलने
वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।
प्रश्न
3. स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों में
भिन्नता से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि होती है?
अथवा
राष्ट्रीय संसाधनों में विषमता से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
प्रभावित होता है। कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों (राष्ट्रीय संसाधनों) में भिन्नता इस संदर्भ में
निम्नलिखित तीन राष्ट्रीय संसाधनों की भिन्नता उल्लेखनीय है:
1.
भौगोलिक संरचना: भौगोलिक
संरचना खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है और धरातलीय विभिन्नताएँ फसलों एवं
पशुओं की विविधता को सुनिश्चित करती हैं। पर्वतीय भाग पर्यटकों को आकर्षित कर
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं।
2.
खनिज संसाधन विश्व में मिलने
वाले खनिज संसाधनों के असमान वितरण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन
मिलता है।
3.
जलवायु: किसी देश की जलवायु
दशाएँ उस देश में उत्पादित उत्पादों की विविधता को सुनिश्चित करती हैं, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।
प्रश्न
4. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के जनसंख्या कारक आधार को
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या कारक - विश्व के विभिन्न
देशों में जनसंख्या का आकार, वितरण तथा उसकी विविधता
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वस्तुओं के प्रकार तथा मात्रा को प्रभावित करती है।
(i) सांस्कृतिक कारक: विभिन्न देशों
में मिलने वाली अलग-अलग संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप मिलते
हैं। विभिन्न देशों के उत्तम कोटि के हस्तशिल्पों के उत्पादों की विश्व में
पर्याप्त माँग रहती है। उदाहरण के रूप में चीन द्वारा उत्पादित चीनी मिट्टी के
बर्तन, ईरान के कालीन, उत्तरी अफ्रीका
का चमड़े का कार्य एवं इंडोनेशिया के बटिक वस्त्र आदि बहुमूल्य हस्तशिल्प हैं।
(ii) जनसंख्या का आकार: सघन जनसंख्या
घनत्व रखने वाले देशों में आंतरिक व्यापार अधिक तथा बाह्य व्यापार कम होता है।
उत्तम जीवन-स्तर की गुणवत्ता रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग अधिक
होती है जबकि निम्न जीवन-स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग कम
रहती है।
प्रश्न
5. विदेशी निवेश की सीमा एवं परिवहन अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार का आधार कैसे है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विदेशी निवेश की सीमा: ऐसे विकासशील
देश जिनके पास खनन, भारी अभियांत्रिकी तथा बागवानी कृषि के
विकास के लिए आवश्यक पूँजी का अभाव होता है, विदेशी निवेश इन
देशों में व्यापार को बढ़ावा दे सकता है। विकासशील देशों में ऐसे पूँजी प्रधान
उद्योगों के विकास द्वारा औद्योगिक राष्ट्र खाद्य पदार्थों तथा खनिजों का आयात
सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा अपने उद्योगों में निर्मित उत्पादों के लिए देश व
विदेश में बाजार निर्मित करते हैं। यह सम्पूर्ण चक्र देशों के बीच में व्यापार के
परिमाण को आगे बढ़ाता है।
परिवहन: प्राचीनकाल में परिवहन के पर्याप्त एवं समुचित साधनों का अभाव स्थानीय
क्षेत्रों में व्यापार को प्रतिबंधित करता था। केवल ऊँची कीमतों वाली वस्तुएँ जैसे
रत्न, रेशम एवं मसालों आदि का लम्बी दूरियों तक व्यापार किया
जाता था। वर्तमान में रेल, समुद्री व वायु परिवहन के विकास व
विस्तार तथा प्रशीतन व परिरक्षण की बेहतर सुविधाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को
बढ़ावा प्रदान किया है।
प्रश्न
6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दिशा को संक्षेप में
बताइए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दिशा-18वीं
शताब्दी तक विनिर्मित व मूल्यवान वस्तुओं को विश्व के वर्तमान विकासशील राष्ट्र
यूरोपियन देशों को निर्यात करते थे। 19वीं शताब्दी में
यूरोपियन देशों ने अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थों तथा कच्चे माल का आयात किया
तथा बदले में यूरोपियन देशों ने विनिर्माण वस्तुओं को अपने उपनिवेशों में निर्यात
किया। यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान विश्व के
महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में सामने आये।
बीसीं
शताब्दी में यूरोप के उपनिवेश समाप्त हो गये तथा भारत, चीन और अन्य विकासशील राष्ट्रों की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में साझेदारी
बढ़ी तथा इन राष्ट्रों की विश्व के विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा होने लगी।
प्रश्न
7. आयात - निर्यात में क्या अन्तर है? इसका व्यापार सन्तुलन से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
1.
आयात-एक देश में किसी अन्य
देश से लाई गई वस्तुएँ आयात कहलाती हैं।
2.
निर्यात-एक देश से दूसरे देश
को प्रेषित वस्तुएँ निर्यात कहलाती हैं।
3.
आयात-निर्यात का व्यापार
संतुलन से सम्बन्ध-किसी देश के आयात व निर्यात के मध्य मूल्यों के सम स्वरूप को उस
देश का व्यापार संतुलन कहा जाता है।
व्यापार
संतुलन के प्रकार-व्यापार संतुलन के निम्न दो प्रकार हैं:
1.
अनुकूल व्यापार संतुलन: यदि
किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश के पक्ष में अनुकूल या
धनात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
2.
प्रतिकूल व्यापार संतुलन:
यदि किसी. देश का आयात उसके निर्यात से अधिक है तो उसे असंतुलित या प्रतिकूल या
ऋणात्मक व्यापार संतुलन कहा जाता है।
प्रश्न
8. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं? अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रकार कौन - कौन से हैं?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है? इसके
प्रकारों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रकारों के नाम लिखिए। प्रत्येक
के दो लक्षणों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से आशय विभिन्न राष्ट्रों के मध्य
राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार कहा जाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार के प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार का होता है:
1.
द्विपाश्विक व्यापार: दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ किया जाने वाला व्यापार द्विपाश्विक
व्यापार कहलाता है। इस व्यापार के अन्तर्गत एक देश कुछ कच्चे पदार्थों के व्यापार
के लिए इस समझौते के साथ सहमत हो सकता है कि दूसरा देश कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री
खरीदेगा अथवा स्थिति इसके विपरीत भी हो सकती है।
2.
बहुपाश्विक व्यापार: यह व्यापार बहुत-से व्यापारिक देशों के साथ किया जाता है। सदस्य देश अन्य
अनेक देशों के साथ व्यापार कर सकता है तथा कुछ व्यापारिक साझेदारों को 'सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र' की स्थिति प्रदान कर सकता
है।
प्रश्न
9. मुक्त व्यापार क्या है? इसके
क्या प्रभाव दिखाई देते हैं?
अथवा
व्यापार उदारीकरण के प्रभावों को संक्षेप में बताइए।
अथवा
मुक्त व्यापार के नकारात्मक प्रभाव बताइए।
उत्तर:
मुक्त
व्यापार: व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की
प्रक्रिया को मुक्त व्यापार या उदारीकरण कहते हैं। यह कार्य सीमा शुल्क जैसे
व्यापारिक अवरोधों को हटाकर या समाप्त करके किया जाता है। व्यापार उदारीकरण सभी
स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं के लिए अनुमति देता है ताकि घरेलू उत्पादों एवं
सेवाओं से प्रतिस्पर्धा में सफलता प्राप्त हो सके।
प्रभाव: मुक्त व्यापार विकासशील देशों को विकास के समान अवसर प्रदान नहीं करता है
तथा इन देशों की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। परिवहन तथा संचार में
सुधार होने के परिणामस्वरूप वस्तुओं एवं सेवाओं को शीघ्र ही दूरस्थ क्षेत्रों तक
पहुँचाया जा सकता है। किन्तु मुक्त व्यापार को केवल विकसित देशों के हित में ही
कार्य नहीं करना चाहिए। विकासशील देशों के बाजार की सुरक्षा के साथ - साथ उनके
आर्थिक विकास का भी ध्यान रखना चाहिए। विकासशील देशों को डंप की गयी वस्तुओं से भी
सतर्क रहने की आवश्यकता है। इसका कारण यह है कि सस्ते मूल्य की डंप की गयी वस्तुएँ
घरेलू उत्पादकों को हानि पहुँचा सकती हैं।
प्रश्न
10. विश्व व्यापार संगठन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विश्व व्यापार संगठन के गठन एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-:
विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना जनवरी 1995
में गैट (जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टैरिफ) के स्थान पर की गयी।
इस संगठन का मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में है। दिसम्बर 2016 में 164 देश इसके सदस्य थे। यह विश्व का एकमात्र ऐसा
संगठन है जो सदस्य राष्ट्रों के मध्य विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों का
निर्धारण करता है तथा इन देशों के मध्य व्यापारिक विवादों को सुलझाने में मदद करता
है। इसके अलावा यह संगठन दूरसंचार तथा बैंकिंग जैसी सेवाओं द्वारा अन्य पक्षों
जैसे बौद्धिक सम्पदा अधिकार के व्यापार का भी नियमन करता है।
विश्व
में मुक्त व्यापार तथा भूमण्डलीकरण के प्रभावों से परेशान देशों द्वारा विश्व
व्यापार संगठन का विरोध किया जा रहा है। इन देशों का मानना है कि यह संगठन धनी
देशों को और अधिक धनी तथा गरीब देशों को और गरीब बना रहा है।
प्रश्न
11. प्रादेशिक व्यापारिक समूह क्या हैं? किसी एक प्रादेशिक व्यापारिक समूह का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूह व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य,
समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं
विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने के उद्देश्य से गठित समूहों
को प्रादेशिक व्यापार समूह कहा गया।
यूरोपीय
संघ (European Union E.U.): इस संगठन को संक्षेप में ई. यू. कहा
जाता है। यूरोपियन संघ का गठन मूल रूप से फरवरी 1957 में
यूरोप में छः देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी,
बेल्जियम, नीदरलैण्ड तथा लक्जेमबर्ग को मिलाकर
ई.ई.सी. के रूप में किया गया। बाद में इस व्यापारिक समूह में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैण्ड,
आयरलैण्ड, पुर्तगाल, स्पेन,
स्वीडन तथा ब्रिटेन नामक यूरोपियन राष्ट्र भी 1992 में सम्मिलित हो गये तथा इसका नाम ई.यू.पड़ा। इस व्यापारिक समूह का
मुख्यालय बेल्जियम के ब्रूसेल्स नगर में है।
कृषि
उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी,
कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, आप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ
तथा पुरावस्तु इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुयें हैं। इसके अलावा
यूरोपीय संघ के देशों में एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार भी मिलता है।
प्रश्न
12. सी. आई. एस. प्रादेशिक व्यापार समूह के बारे में
आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सी.आई.एस. (Commonwealth of Independent States - C.I.S.): इस संगठन को संक्षेप में सी. आई. एस. कहा जाता है। इस व्यापारिक समूह में
पूर्व सोवियत संघ के विघटित 12 राष्ट्र - आरमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जॉर्जिया,
कजाखस्तान, खिरगिस्तान, मॉल्डोवा,
रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान,
यूक्रेन तथा उज्बेकिस्तान सम्मिलित हैं। इस व्यापारिक समूह का
मुख्यालय बेलारूस देश के मिन्स्क नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा
अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षा तथा विदेश नीति के मामलों में
समन्वय तथा सहयोग इस व्यापारिक समूह का प्रमुख उद्देश्य है। अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास,
रेशे तथा एल्यूमिनियम इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक
वस्तुएँ हैं।
प्रश्न
13. आसियान के बारे
में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
आसियान (Association of South - East Asian Nations -
ASEAN): इस संगठन को संक्षेप में आसियान कहते हैं। अगस्त 1967
में अस्तित्व में आये आसियान व्यापार समूह में दक्षिणी-पूर्वी
एशियाई देश-ब्रूनई, इंडोनेशिया, मलेशिया,
सिंगापुर, थाईलैण्ड, लाओस,
म्यांमार, फिलीपींस, कंबोडिया
तथा वियतनाम सम्मिलित हैं। इसका मुख्यालय इण्डोनेशिया के जकार्ता नगर में है।
परस्पर व्यापार के अलावा आर्थिक वृद्धि को त्वरित करना, सांस्कृतिक
विकास, शान्ति तथा प्रादेशिक स्थायित्व इस समूह के प्रमुख
उद्देश्य हैं।
नोट: 2016 तक 164 देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य बन चुके थे
जबकि 20 राष्ट्र सदस्य बनने की प्रक्रिया में थे। 2019
तक विश्व व्यापार संगठन के मंत्रीस्तरीय 12 सम्मेलन
हो चुके थे - सिंगापुर (1996), जेनेवा (1998), सिएटल (1999), दोहा (2001), कानकुन
(2003), हांगकांग (2005), जिनेवा (2009),
जिनेवा (2011), बाली (2013), नैरोबी (2015), ब्यूनस आयर्स (2017) और नूर सुल्तान (2019)।
प्रश्न
14. "सामान्यतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
सम्बन्धित देशों के लिए लाभकारी होता है लेकिन यह बहुत ही हानिकारक भी हो सकता
है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सम्बन्धित देशों के लिए लाभकारी
होता है क्योंकि इससे उन्हें विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है और जीवन-स्तर में
सुधार आता है। परन्तु यदि यह अन्य देशों पर निर्भरता, विकास
के असमान स्तर, शोषण एवं युद्ध का कारण बनने वाली
प्रतिद्वन्द्विता की ओर उन्मुख होता है तो अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत ही
हानिकारक सिद्ध हो सकता है। विश्व कल्याणकारी व्यापार जीवन के अनेक पक्षों को
प्रभावित करता है। यह समस्त विश्व में पर्यावरण से लेकर लोगों के स्वास्थ्य एवं
कल्याण आदि सभी को प्रभावित कर सकता है। जैसे - जैसे विभिन्न देशों का व्यापार
बढ़ता है, व्यापार बढ़ने से उत्पादन में वृद्धि होती है,
जिससे वन, खनिज, जल जैसे
प्राकृतिक संसाधनों का अतिशोषण होता है तथा पर्यावरण का प्रदूषण होता है। ऐसी
स्थिति में सतत् पोषणीय विकास में बाधा आती है तथा भविष्य के लिए कई समस्याएँ खड़ी
हो जाती हैं।
प्रश्न
15. पत्तन क्या हैं? यह व्यापार
में किस प्रकार सहयोगी होते हैं?
उत्तर:
पत्तन समुद्र तट पर स्थित वह स्थान होता है जहाँ जहाजों को खड़ा
करने, सामान लादने, उतारने, सामान को गोदामों में रखने की सुविधा होती है। पत्तन द्वारा ही किसी देश
का आयात-निर्यात व्यापार सम्पन्न किया जाता है।
व्यापार
में सहयोगी पत्तन-पत्तनों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश
द्वार के रूप में माना जाता है। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री
विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं।
पत्तन
जलयानों के लिए गोदी, माल लादने, उतारने तथा भण्डारण की सुविधाएँ प्रदान करते हैं। एक पत्तन के महत्त्व को
उसके नौभार के आकार तथा निपटान किए गए जहाजों की संख्या द्वारा निर्धारित किया
जाता है।'
प्रश्न
16. अन्तर्देशीय पत्तन एवं बाह्य पत्तन में अंतर
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(1) अंतर्देशीय पत्तन: ये पत्तन सागरीय
तट से दूर अवस्थित होते हैं, लेकिन सागर से इन पत्तनों का
सम्बन्ध एक नदी या एक नहर द्वारा जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए मानचेस्टर पत्तन
सागर से एक नहर द्वारा तथा में सिफ पत्तन मिसीसिपी नदी द्वारा व कोलकाता पत्तन
हुगली नदी द्वारा सागर से जुड़े हुए हैं।
(2) बाह्य पत्तन: ये गहरे सागरीय जल के
पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर स्थापित होते हैं। यह पत्तन ऐसे बड़े आकार के
जलयानों के आवागमन के लिए उपयुक्त होते हैं जो पैतृक पत्तन तक नहीं पहुँच पाते।
उदाहरण के लिए एथेन्स तथा यूनान का इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस से उच्चकोटि का
संयोजन देखने को मिलता है।
प्रश्न
17. विशिष्टीकृत क्रियाकलापों के आधार पर बंदरगाहों का
वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों का
वर्गीकरण-विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के निम्नलिखित पाँच वर्ग
हैं:
1.
तैल पत्तन: इस श्रेणी के पत्तन शोधित तेल का परिवहन तथा नौ-परिवहन का कार्य करते हैं।
उदाहरण अबादान पत्तन।
2.
मार्ग पत्तन या विश्राम
पत्तन: ऐसे पत्तन जहाँ जलयान पुनः ईंधन भरने, जल भरने तथा खाद्य सामग्री लेने के लिए लंगर डाला करते हैं, वे मार्ग पत्तन के रूप में जाने जाते हैं। उदाहरण के लिए अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर पत्तन।
3.
पैकेट स्टेशन या फेरी पत्तन: इस श्रेणी के पत्तन विशेष रूप से छोटी दूरियों को तय करते हुए जलीय
क्षेत्रों के आर - पार डाक तथा यात्रियों के परिवहन से जुड़े होते हैं। उदाहरण
इंग्लैण्ड में डोबर तथा फ्रांस में कैलाइस नामक पत्तन।
4.
आंत्रपो पत्तन:
इस श्रेणी के पत्तनों पर विभिन्न देशों से निर्यात हेतु लाई गयी
वस्तुओं का संग्रह किया जाता है। उदाहरण के लिए सिंगापुर एशिया के लिए, रोटरडम यूरोप के लिए तथा कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्र के लिए आंत्रपो पत्तन
के रूप में जाने जाते हैं।
5.
नौ सैना पत्तन: इस श्रेणी के पत्तन युद्धक जलयानों को सेवाएँ प्रदान करते हैं तथा इन
जलयानों की मरम्मत की वर्कशॉप चलाते हैं। भारत में कोच्चि तथा कारवाड़ ऐसे ही
पत्तन हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न
1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधारों का विवरण
दीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के पाँच प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं:
(i) राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता:
इस संदर्भ में निम्नलिखित तीन राष्ट्रीय संसाधनों की भिन्नता उल्लेखनीय है।
(क) भौगोलिक संरचना: भौगोलिक संरचना
द्वारा धरातल, कृषि संसाधन तथा पशु संसाधन में मिलने वाली
भिन्नतायें निर्धारित होती हैं। पर्वतीय भाग पर्यटकों को आकर्षित कर
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं।
(ख) खनिज संसाधन: विश्व में मिलने वाले
खनिज संसाधनों के असमान वितरण से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिलता है।
(ग) जलवायु: किसी देश की जलवायु दशायें
उस देश में उत्पादित उत्पादों की विविधता को सुनिश्चित करती हैं जिससे
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बल मिलता है।
(ii) जनसंख्या कारक: विश्व
के विभिन्न देशों में जनसंख्या का आकार, वितरण तथा
उसकी विविधता अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की वस्तुओं के प्रकार तथा मात्रा को
प्रभावित करते हैं।
(क) सांस्कृतिक कारक: विभिन्न देशों
में मिलने वाली अलग-अलग संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप मिलते
हैं। विभिन्न देशों के उत्तम कोटि के हस्तशिल्पों के उत्पादों की विश्व में
पर्याप्त माँग रहती है।
(ख) जनसंख्या का आकार : सघन जनसंख्या
घनत्व रखने वाले देशों में आंतरिक व्यापार अधिक तथा बाह्य व्यापार कम होता है।
उत्तम जीवन स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग अधिक होती है जबकि,
निम्न जीवन स्तर रखने वाले देशों में आयातित उत्पादों की माँग कम
रहती है।
(iii) आर्थिक विकास की प्रावस्था: किसी
देश की आर्थिक विकास की अवस्था से उस देश के व्यापार की वस्तुओं का प्रकार
निर्धारित होता है। कृषि प्रधान देशों में विनिर्माण वस्तुओं के लिए कृषि उत्पादों
का विनिमय किया जाता है जबकि विश्व के औद्योगिक दृष्टि से सम्पन्न राष्ट्र मशीनरी
व निर्मित माल का निर्यात करते हैं तथा कच्चे माल तथा खाद्यान्नों का आयात करते
हैं।
(iv) विदेशी निवेश की सीमा: ऐसे
विकासशील देश जिनके पास खनन, भारी अभियांत्रिकी तथा बागवानी
कृषि आदि के विकास के लिए पूँजी का अभाव है, उन देशों में
विदेशी निवेश व्यापार को बढ़ावा देता है। विश्व के औद्योगिक राष्ट्र विकासशील
राष्ट्रों में पूँजी प्रधान उद्योगों की स्थापना करते हैं तथा इसके बदले में वे
अपने देश के लिए खाद्य पदार्थों तथा खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं इसके अलावा
अपने उद्योगों में निर्मित उत्पादों के लिए देश व विदेश में बाजार निर्मित करते
हैं।
(v) परिवहन: वर्तमान में रेल, समुद्री व वायु परिवहन के विकास व विस्तार तथा प्रशीतन व परिरक्षण की
बेहतर सुविधाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा प्रदान किया है।
प्रश्न
2. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रकारों का उल्लेख
कीजिए। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देश किस प्रकार लाभान्वित होते हैं?
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है? इससे
प्राप्त लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के मध्य राष्ट्रीय
सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के । आदान - प्रदान को अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार कहते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार का होता है।
(i) द्विपार्श्विक व्यापार: यह व्यापार
दो देशों के साथ किया जाता है। आपस में निर्दिष्ट वस्तुओं का व्यापार करने के लिए
दोनों देश आपस में सहमति प्रदान करते हैं।
(ii) बहुपार्श्विक बाजार: यह व्यापार
बहुत - से व्यापारिक देशों के साथ किया जाता है। सदस्य देश अन्य देशों के साथ
व्यापार कर सकता है तथा कुछ व्यापारिक साझेदारों को सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र की
स्थिति प्रदान कर सकता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार वस्तुओं तथा सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता तथा हस्तान्तरणीयता के सिद्धान्तों पर आधारित होता है तथा
सिद्धान्ततः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार व्यापारिक भागीदार देशों के लिए समान रूप से
लाभदायक होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय
व्यापार से देश निम्नलिखित प्रकार का लाभ प्राप्त करते हैं :
1.
में उन वस्तुओं तथा सेवाओं
का उत्पादन कम होता है। ऐसी स्थिति में वस्तुओं और सेवाओं का आधिक्य उत्पादन रखने
वाले देशों से वस्तुओं तथा सेवाओं का निर्यात दूसरे अल्प - उत्पादन वाले देशों में
होने लगता है। वस्तुतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदार सभी देश इस प्रक्रिया
में लाभ उठाते हैं।
2.
आयातित उत्पादों एवं सेवाओं
के द्वारा आयात करने वाले देश की जनसंख्या के जीवन - स्तर में सुधार आता है जबकि
निर्यात करने वाले देश को निर्यात से भारी मात्रा में पूँजी प्राप्त होती है। इस
पूँजी से निर्यात करने वाला देश अपने आर्थिक विकास को गति प्रदान करता है।
3.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से
विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के अन्तर्राष्ट्रीय मूल्यों में अधिक भिन्नताएँ नहीं
मिलती हैं। वस्तुतः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्य नियंत्रण
में प्रभावी भूमिका निभाता है।
4.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
द्वारा विदेशी सम्बन्धों में उल्लेखनीय सुधार होता है जिससे देशों में सामाजिक व
सांस्कृतिक विकास होता है।
5.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
द्वारा विश्व के कुछ विकासशील देशों में बाह्यस्रोतन के कार्य से एक ओर लाखों
व्यक्तियों को रोजगार मिला है वहीं दूसरी ओर बाह्यस्रोतन करने वाले देशों को
पर्याप्त पूँजी की प्राप्ति होती है।
6.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से
विभिन्न राष्ट्रों में वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन
तथा विशिष्टीकरण को बल मिलता है।
7.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
केवल आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं वरन् यह विश्व शान्ति तथा सामाजिक-सांस्कृतिक
विकास में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रश्न
3. विश्व प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख अवयवों की विस्तार से विवेचना कीजिए।
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्षों पर प्रकाश
डालिये।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण अवयव (पक्ष)
निम्नलिखित हैं:
1.
व्यापार की मात्रा
2.
व्यापार की संरचना
3.
व्यापार की दिशा।
(i) व्यापार की मात्रा:
व्यापार की गई वस्तुओं का वास्तविक भार व्यापार की मात्रा या परिमाण कहलाता है
किन्तु वस्तुओं की मात्रा कभी वस्तुओं का मूल्य या सूचक नहीं हो सकती। यही नहीं, व्यापारिक सेवाओं को तौल में नहीं मापा जा सकता। यही कारण है कि व्यापार
की गयी वस्तुओं तथा सेवाओं की मात्रा को उनके मूल्य के रूप में मापा जाता है।
(ii) व्यापार की संरचना (संयोजन):
बीसवीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों द्वारा आयातित तथा निर्यातित वस्तुओं
तथा सेवाओं के प्रकार में उल्लेखनीय परिवर्तन अनुभव किये गये हैं। बीसवीं शताब्दी
के प्रारम्भ में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में प्राथमिक उत्पाद सर्वाधिक
महत्त्वपूर्ण थे। बाद में यह स्थान विनिर्मित वस्तुओं ने ले लिया। वर्तमान समय में
विश्व व्यापार में सर्वाधिक योगदान विनिर्माण क्षेत्र का है जबकि कुल विश्व
व्यापार में सेवा क्षेत्र का प्रतिशत सतत् रूप से बढ़ता जा रहा है।
विनिर्मित
माल विश्व के कुल अन्तर्राष्ट्रीय निर्यात में विनिर्मित माल, कृषि उत्पाद व ईंधन तथा खदान उत्पादों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
दूसरी
ओर सेवायें भारहीन होती हैं, उनका अपरिमित विस्तार किया जा
सकता है तथा एक बार सेवाओं का उत्पादन करने पर इनको आसानी से परिवर्तित किया जा
सकता है। वस्तुतः सेवायें वस्तुओं के उत्पादन की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करने
की क्षमता रखती हैं।
(iii) व्यापार की दिशा: 18वीं शताब्दी तक विनिर्मित व मूल्यवान वस्तुओं को विश्व के वर्तमान
विकासशील राष्ट्र यूरोपियन देशों को निर्यात करते थे। 19वीं
शताब्दी में यूरोपियन देशों ने अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थों तथा कच्चे माल का
आयात किया तथा बदले में यूरोपियन देशों ने विनिर्मित वस्तुओं को अपने उपनिवेशों
में निर्यात किया। यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान
विश्व के महत्त्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के रूप में सामने आये।
बीसवीं
शताब्दी में यूरोप के उपनिवेश समाप्त हो गये तथा भारत, चीन और अन्य विकासशील राष्ट्रों की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में साझेदारी
बढ़ी तथा इन राष्ट्रों की विश्व के विकसित राष्ट्रों से प्रतिस्पर्धा होने लगी।
प्रश्न
4. विश्व के किन्हीं तीन प्रमुख प्रादेशिक व्यापार
समूहों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
विश्व के प्रादेशिक व्यापार समूहों में से निम्नलिखित तीन प्रादेशिक
व्यापार समूहों का उल्लेख यहाँ किया जा रहा है :
(1) आसियान (Association of South - East Asian Nations - ASEAN): अगस्त 1967 में अस्तित्व में आये आसियान व्यापार
समूह में दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देश-बुनई, इंडोनेशिया,
मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैण्ड
तथा वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, फिलीपींस व दारूस्सलाम सम्मिलित हैं। इसका
मुख्यालय इण्डोनेशिया के जकार्ता नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा आर्थिक
वृद्धि को त्वरित करना, सांस्कृतिक विकास, शान्ति तथा प्रादेशिक स्थायित्व इस समूह के प्रमुख उद्देश्य हैं।
व्यापार
की वस्तुएँ - कृषि उत्पाद, रबड़, पाम
ऑयल, चावल, नारियल, कॉफी तथा सॉफ्टवेयर उत्पाद। खनिज - ताँबा, निकिल तथा
टंगस्टन,। ऊर्जा संसाधन - कोयला, पेट्रोलियम
तथा प्राकृतिक गैस।
(2) सी.आई.एस. (Commonwelth of Independent States - C.I.S.): इस व्यापारिक समूह में पूर्व सोवियत संघ के विघटित 12 राष्ट्रों-आरमीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, जॉर्जिया, कजाखस्तान,
खिरगिस्तान, मॉल्डोवा, रूस,
ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन तथा उज्बेकिस्तान को सम्मिलित किया गया है। इस व्यापारिक समूह का
मुख्यालय बेलारूस देश के मिन्स्क नगर में है। परस्पर व्यापार के अलावा
अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षा तथा विदेश नीति के मामलों में
समन्वय तथा सहयोग इस व्यापारिक समूह। प्रमुख उद्देश्य है। अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास,
रेशे तथा एल्यूमिनियम इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक
वस्तुएँ हैं।
(3) यूरोपीय संघ (European Union - E.U.):
यूरोपियन संघ का गठन मूल रूप से मार्च 1957 में
यूरोप में छह देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, हालैण्ड तथा
लक्जेमबर्ग द्वारा किया गया। बाद में इस व्यापारिक समूह में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, फिनलैण्ड, आयरलैण्ड,
पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन,
बुल्गारिया, क्रोएशिया, साइप्रस,
चेक गणराज्य ग्रीस, हंगरी, लाटविया, लिथुआनिया, माल्टा,
रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोविनिया
तथा ब्रिटेन नामक यूरोपियन राष्ट्र भी सम्मिलित हो गये। इस व्यापारिक समूह का
मुख्यालय बेल्जियम के ब्रुसेल्स नगर में है।
कृषि
उत्पाद, खनिज, रसायन, लकड़ी,
कागज, परिवहन की गाड़ियाँ, आप्टिकल उपकरण, घड़ियाँ, कलाकृतियाँ
तथा पुरावस्तु इस व्यापारिक समूह की प्रमुख व्यापारिक वस्तुयें हैं। इसके अलावा
यूरोपीय संघ के देशों में एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार भी मिलता है।
प्रश्न
5. निम्नलिखित प्रादेशिक व्यापार समूहों का संक्षेप
में विवरण दीजिए:
(i) लेटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसियेशन
(ii) नाफ्टा
(iii) ओपेक
(iv) साफ्टा।
उत्तर:
(i) लेटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसियेशन (Latin American
Integration Association - LAIA): सन् 1960 में स्थापित इस व्यापारिक समूह में 10 लेटिन अमेरिकी
राष्ट्रों - अर्जेन्टाइना, बोलीविया, ब्राजील,
कोलंबिया, इक्वाडोर, मैक्सिको,
पराग्वे, पेरू, उरूग्वे
तथा वेनेजुएला को शामिल किया जाता है। इस व्यापारिक समूह का मुख्यालय उरूग्वे देश
के मॉण्टेविडियो नगर में है। इस प्रादेशिक व्यापारिक समूह का मुख्य उद्देश्य
दक्षिण अमेरिकी देशों के मध्य परस्पर व्यापार को बढ़ावा देना है।
(ii) नाफ्टा या नॉर्थ अमेरिकन फ्री ट्रेड एसोसियेशन (North American
Free Trade Association - NAFTA): इस व्यापारिक
संघ का गठन सन् 1988 में विश्व के दो बड़े व्यापारिक
सहयोगियों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं कनाडा के मध्य व्यापारिक प्रतिबंधों को
समाप्त करने के लिए किया गया। सन् 1994 में इस व्यापार समूह
का विस्तार किया गया तथा मैक्सिको को भी इसका सदस्य बनाया गया। अब इस संघ में
लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। कृषि उत्पाद, मोटर गाड़ियाँ, स्वचालित पुर्जे, कम्प्यूटर तथा वस्त्र इस व्यापारिक संघ की महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वस्तुएँ
हैं।
(iii) ओपेक या तेल निर्यातक राष्ट्रों का संगठन (Organisation of
Petroleum Exporting Countries OPEC): सन् 1949 में
स्थापित तेल निर्यातक राष्ट्रों के संगठन में सदस्य देश - अल्जीरिया, इंडोनेशिया, ईरान, इराक,
कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया,
कतर, सऊदी अरब, संयुक्त
अरब अमीरात तथा वेनेजुएला हैं। यह संगठन खनिज तेल की नीतियों के समन्वय तथा एकीकरण
के उद्देश्य से निर्मित किया गया था। अशोधित खनिज तेल इस संगठन का एकमात्र निर्यात
किए जाने वाला उत्पाद है।
(iv) साफ्टा या साउथ एशियन फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (South Asian Free
Trade Agreement - SAFTA): दक्षिणी
एशिया के बांग्लादेश, मालदीव, भूटान,
नेपाल, भारत, पाकिस्तान
तथा श्रीलंका नामक देशों के इस व्यापारिक संगठन की स्थापना जनवरी 2006 में की गयी थी। इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य अंतर - प्रादेशिक व्यापार के
करों को कम करना है।

No comments:
Post a Comment