Wednesday, October 8, 2025

Class 10th Economics Chapter 2 imp QA (Social Science)

 







 

Class-10 Social Science (Economics)

Chapter- 2  (भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक)

 

 

 

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1. बिस्कुट के उत्पादन हेतु कोई दो मध्यवर्ती वस्तुएँ लिखिए। 
उत्तर:
बिस्कुट के उत्पादन हेतु दो मध्यवर्ती वस्तुएँ आटा और चीनी हैं। 

 

 

प्रश्न 2. प्राथमिक क्षेत्र में शामिल की जाने वाली किन्हीं दो गतिविधियों के नाम बताइए। 
उत्तर:

·  कृषि 

·  मछली पकड़ना। 

 

 

प्रश्न 3. तृतीयक क्षेत्रक की किन्हीं दो सेवाओं के नाम लिखिए।
अथवा 
तृतीयक क्षेत्र में शामिल की जाने वाली किन्हीं दो गतिविधियों के नाम बताइए। 
उत्तर:

·  संचार 

·  बैंकिंग। 

 

 

प्रश्न 4. किसी बैंक में कार्यरत मैनेजर को किस क्षेत्रक में शामिल किया जाएगा
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक में। 

 

 

प्रश्न 5. वर्तमान में भारत की राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान किस क्षेत्रक का है
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक का। 

 

 

प्रश्न 6. वर्तमान में किस क्षेत्रक में परिसम्पत्तियों का स्वामित्व एवं सेवाओं का संचालन सरकार के हाथ में होता है? 
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्रक। 

 

 

प्रश्न 7. भारत में सार्वजनिक क्षेत्रक का कोई एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
भारतीय रेलवे। 

 

 

प्रश्न 8. कार्यों के आधार पर अर्थव्यवस्था को कितने भागों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:
कार्य के आधार पर अर्थव्यवस्था को तीन भागों में विभाजित किया गया है-

·  प्राथमिक क्षेत्रक 

·  द्वितीयक क्षेत्रक 

·  तृतीयक क्षेत्रक। 

 

 

प्रश्न 9. प्राथमिक क्षेत्र किसे कहते हैं?
अथवा 
प्राथमिक क्षेत्रक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्र अथवा प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहते हैं।

 

 

प्रश्न 10. द्वितीयक क्षेत्रक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है।

 

 

प्रश्न 11. तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियों से वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन किया जाता है अतः इसे रेवा क्षेत्रक कहा जाता है।

 

 

प्रश्न 12. सेवा क्षेत्र को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
परिवहनसंचारवित्तबीमा संग्रहणबैंकिंग आदि सेवाएं प्रदान करने वाले क्षेत्रक को सेवा क्षेत्र कहते हैं। 

 

 

प्रश्न 13. किसी देश के विकास की प्रारम्भिक अवस्था में किस क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक होता है
उत्तर:
विकास की प्रारम्भिक अवस्था में प्राथमिक क्षेत्रक का योगदान सर्वाधिक होता है। 

 

 

प्रश्न 14. सकल घरेलू उत्पाद किसे कहते हैं?
अथवा 
सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी देश के भीतर किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है।

 

 

प्रश्न 15. आर्थिक विकास के साथ-साथ किस क्षेत्र की भूमिका बढ़ती जाती है?
उत्तर:
आर्थिक विकास के साथ-साथ तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्रक की भूमिका निरन्तर बढ़ती जाती है। 

 

 

प्रश्न 16. मध्यवर्ती वस्तुएँ किन्हें कहा जाता है
उत्तर:
मध्यवर्ती वस्तुएँ वे होती हैं जिन्हें अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है। 

 

 

प्रश्न 17. भारत में वर्तमान में रोजगार की दृष्टि से किस क्षेत्रक की भूमिका महत्त्वपूर्ण है
उत्तर:
भारत में वर्तमान में रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण है

 

 

प्रश्न 18. जी.डी.पी. में योगदान की दृष्टि से भारत में किस क्षेत्रक की भूमिका महत्त्वपूर्ण है
उत्तर:
जी.डी.पी. में योगदान की दृष्टि से भारत में तृतीयक क्षेत्रक की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। 

 

 

प्रश्न 19. खुली बेरोजगारी का क्या अभिप्राय है
उत्तर:
खली बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोगों के पास कोई काम नहीं होता है तथा वे बेकार बैठे रहते हैं। 

 

 

प्रश्न 20. भारत में छिपी हुई बेरोजगारी सर्वाधिक किस क्षेत्रक में पाई जाती है
उत्तर:
भारत में छिपी हुई बेरोजगारी सबसे अधिक प्राथमिक क्षेत्रक में पाई जाती है। 

 

 

प्रश्न 21. रोजगार वृद्धि के कोई दो उपाय बताइए। 
उत्तर:

·  प्राथमिक क्षेत्रक में रोजगार अवसरों में वृद्धि की जानी चाहिए। 

·  देश में लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। 

 

 

प्रश्न 22. स्वामित्व के आधार पर क्षेत्रकों को कितने भागों में विभाजित किया जाता है
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर क्षेत्रकों को दो भागों में बांटा गया है-

·  सार्वजनिक क्षेत्रक

·  निजी क्षेत्रक। 

 

 

प्रश्न 23. संगठित क्षेत्रक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संगठित क्षेत्रक वे कार्य-स्थान होते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा सरकारी नियमों का अनुपालन होता है।

 

 

प्रश्न 24. असंगठित क्षेत्रक के कोई दो दोष बताइए। 
उत्तर:

·  कर्मचारियों अथवा श्रमिकों को नियमित रोजगार नहीं मिलता है। 

·  इस क्षेत्रक में अवकाश व अन्य भत्ते नहीं मिलते हैं। 

 

 

प्रश्न 25. संगठित क्षेत्रक के कोई दो लाभ बताइए। 
उत्तर:

·  कर्मचारियों को नियमित रोजगार मिलता है। 

·  कर्मचारियों को अवकाश एवं भत्ते मिलते हैं। 

 

 

प्रश्न 26. सार्वजनिक क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य क्या है
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य समाज कल्याण में वृद्धि करना है। 

 

 

प्रश्न 27. निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना है। 

 

 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)

 

प्रश्न 1. भारत में प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। आज भी देश की अधिकांश जनसंख्या रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भर है। प्राथमिक क्षेत्र से देश को खाद्यान्न आपूर्ति होती है। यह द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के विकास का आधार है।

 

 

प्रश्न 2. किसी अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। जैसे गन्ने से गुड़ एवं चीनी का उत्पादन करना। यह क्षेत्र उद्योगों से जुड़ा होता है अतः इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।

 

 

प्रश्न 3. क्या अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं
उत्तर:
किसी अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्र पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रक को वस्तुएँ अथवा सेवाएँ बेचता है तथा अपने स्वयं की जरूरत की वस्तुएँ अथवा सेवाएँ अन्य क्षेत्रक से खरीदता है।

 

 

प्रश्न 4. सकल घरेलू उत्पाद की गणना करते समय केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही क्यों शामिल किया जाता है?
उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद की गणना में केवल अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं को ही शामिल किया जाता है क्योंकि इससे दोहरी गणना की संभावना नहीं रहती है। यदि मध्यवर्ती वस्तुओं को भी शामिल कर लिया जाए तो दोहरी गणना हो जाएगी तथा सकल घरेलू उत्पाद का सही ज्ञान नहीं हो पाएगा।

 

 

प्रश्न 5. क्या भारत में उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान बढ़ता जा रहा है?
उत्तर:
हाँभारत में विगत दशकों में उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जी.डी.पी. में इस क्षेत्र के योगदान में निरन्तर वृद्धि हुई है। वर्ष 1973-74 में भारत में तृतीयक क्षेत्रक का योगदान लगभग 48 प्रतिशत था वह वर्ष 2013-14 में बढ़कर जी.डी.पी. का लगभग 68 प्रतिशत हो गया है।

 

 

प्रश्न 6. भारत में अधिकांश लोग किस क्षेत्रक में नियोजित हैं?
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान राष्ट्र है तथा यहाँ की अधिकांश जनसंख्या गांवों में निवास करती है जहाँ पर अधिकतर लोग प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधियों में संलग्न हैं। वर्ष 2017-18 में देश में लगभग 44 प्रतिशत जनसंख्या रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर है।

 

 

प्रश्न 7. संगठित एवं असंगठित क्षेत्रक में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

·  संगठित क्षेत्रक में श्रमिकों को नियमित रोजगार उपलब्ध होता है जबकि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों को रोजगार के सम्बन्ध में असुरक्षा रहती है।

·  संगठित क्षेत्रक में प्रायः सरकार का नियंत्रण होता है जबकि असंगठित क्षेत्रक में सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता है।

 

 

प्रश्न 8. देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक के कोई दो महत्त्व बताइए। 
उत्तर:

·  सार्वजनिक क्षेत्रक देश में आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

·  सार्वजनिक क्षेत्रक में अधिक पूँजी निवेश से तीव्र गति से पूँजी निर्माण सम्भव हो पाता है। 

 

 

प्रश्न 9. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

·  सार्वजनिक क्षेत्रक पर सरकार का स्थायित्व एवं नियंत्रण होता है जबकि निजी क्षेत्रक पर निजी उद्यमियों का स्वामित्व एवं नियंत्रण होता है।

·  सार्वजनिक क्षेत्रक का उद्देश्य समाज कल्याण करना होता है जबकि निजी क्षेत्रक का उद्देश्य लाभ अर्जित करना होता है।

 

 

प्रश्न 10. खुली बेरोजगारी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी में अन्तर बताइए।
उत्तर:

·  खुली बेरोजगारी में लोगों के पास रोजगार नहीं होता है जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी में लोगों के पास क्षमता से बहुत कम काम उपलब्ध होता है।

·  खुली बेरोजगारी प्रायः शहरी क्षेत्रों में जबकि प्रच्छन्न बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है। 

 

 

प्रश्न 11. तृतीयक क्षेत्रक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्रक में उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं । इस क्षेत्रक में विभिन्न गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं अतः इस क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।

 

 

प्रश्न 12. अल्प बेरोजगारी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
अल्प बेरोजगारी वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति को उसकी क्षमता तथा योग्यता के अनुसार पूरा रोजगार नहीं मिलता है तथा वह काम पर लगा हुआ प्रतीत तो होता है परन्तु उत्पादन में उसका योगदान बहुत ही कम होता है। कृषि क्षेत्रक में छिपी हुई बेरोजगारी इसका उदाहरण है।

 

 

प्रश्न 13. भारत में बेरोजगारी दूर करने के कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

·  प्राथमिक अथवा कृषि क्षेत्रक में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाने चाहिए ताकि अल्प बेरोजगारी दूर हो सके।

·  देश में आधारभूत संरचना जैसे परिवहनसंचारबैंकिंग आदि का विकास किया जाना चाहिए ताकि कृषि एवं उद्योगों का विकास हो सके।

 

 

प्रश्न 14. संगठित क्षेत्रक से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है तथा वहाँ सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन किया जाता है। इस क्षेत्रक में रोजगार की शर्ते नियमित होती हैं तथा कार्य करने का समय भी निश्चित होता है।

 

 

प्रश्न 15. असंगठित क्षेत्रक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
असंगठित क्षेत्रक का आशय उन छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई इकाइयों से होता है जिन पर किसी प्रकार का सरकारी नियंत्रण नहीं होता है। इसमें रोजगारी की शर्ते अनियमित होती हैं तथा श्रमिक का कार्य करने का समय निश्चित नहीं होता है एवं उसका कई प्रकार से शोषण किया जाता है। 

 

 

 

 

लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)

 

 

प्रश्न 1. अर्थव्यवस्था में प्राथमिकद्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्रों की परस्पर निर्भरता को समझाइए।
उत्तर:
किसी भी अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्र पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रक को वस्तुएँ अथवा सेवाएँ बेचता है तथा अपने स्वयं की जरूरत की वस्तुएँ अथवा सेवाएँ अन्य क्षेत्रक से खरीदता है। प्राथमिक क्षेत्रक मुख्यतःन कि पूर्णतयाप्रकृति एवं प्राकृतिक कारकों पर निर्भर करता है। द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। द्वितीयक क्षेत्रक की माँग द्वारा प्राथमिक क्षेत्रक प्रभावित होता है तथा द्वितीयक क्षेत्रक पूर्णतः प्राथमिक क्षेत्रक के उत्पादों पर निर्भर रहता है। इसी प्रकार तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं। 

 

 

प्रश्न 2. असंगठित क्षेत्र की किन्हीं तीन विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
अथवा 
असंगठित क्षेत्रक की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
असंगठित क्षेत्रक की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

·  इस क्षेत्रक में उत्पादन इकाइयाँ छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई होती हैं। 

·  असंगठित क्षेत्रक पर सरकार का नियंत्रण नहीं होता है। 

·  इस क्षेत्रक में श्रमिकों के संरक्षण हेतु बनाए सरकारी नियमों का पालन नहीं होता है। 

·  असंगठित क्षेत्रक में सेवा-शर्तों अर्थात् वेतनकार्य अवधिअन्य लाभ आदि का अभाव पाया जाता है। 

·  असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का कई तरह से शोषण होता है। 

·  श्रमिकों को कम मजदूरी दी जाती है तथा रोजगार भी अनियमित होता है।

 

 

प्रश्न 3. असंगठित क्षेत्रक की प्रमुख दो विशेषताएँ बताइए। असंगठित श्रमिकों के संरक्षण के उपाय भी लिखिए।
उत्तर:
विशेषताएँ-

·  असंगठित क्षेत्र छोटे तथा सरकारी नियंत्रण से बाहर होते हैं। 

·  श्रमिकों को कम मजदूरी पर भुगतान किया जाता है तथा रोजगार अनियमित होता है। 

श्रमिकों के संरक्षण के उपाय-

·  असंगठित क्षेत्रक में सरकार को कुछ नियम व कानून बनाने चाहिए।

·  लोगों को उस क्षेत्र में काम करना चाहिए जहाँ काम नियमिततत्काल भुगतान की व्यवस्था तथा काम की सुरक्षा हो।

·  इस क्षेत्रक में काम करने वाले लोगों हेतु सरकार को सार्वजनिक सेवाओं में वृद्धि करनी चाहिए।

·  इस क्षेत्रक में सरकार को नियमों की कठोरता से अनुपालना करवानी चाहिए। (v) सरकार द्वारा लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना चाहिए।

 

 

प्रश्न 4. तृतीयक क्षेत्र किस प्रकार प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रों के विकास में सहायता करता हैउदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक क्षेत्र निम्न प्रकार से प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों में सहायता करता है-

·  यह परिवहन के रूप में इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं को बाजार तक ले जाने में सहायता करता है। 

·  यह गोदामों तक इनकी उत्पादित वस्तुएँ ले जाकर सहायता प्रदान करता है। 

·  यह उत्पादन और व्यापार हेतु वार्तालाप के लिए संचार के रूप में सहायता करता है। 

·  यह इन क्षेत्रों को पूँजी की आवश्यकता की पूर्ति के लिए बैंक के रूप में सहायता करता है। 

·  तृतीयक क्षेत्रक प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक को कई व्यापारिक सेवाएँ उपलब्ध करवाता है। परिवहनभण्डारणसंचारबैंक सेवाएँ आदि तृतीयक क्षेत्रों के उदाहरण हैं।

 

 

प्रश्न 5. अल्प बेरोजगारी किसे कहते हैंअल्प बेरोजगारी को दूर करने के तरीके बताइए जिससे अतिरिक्त रोजगार का सृजन हो सके।
अथवा 
छिपी बेरोजगारी से क्या अभिप्राय हैइसे कम करने के लिए कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:
अल्प बेरोजगारी वह स्थिति है जिसमें लोग प्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं परन्तु उन्हें कार्य करने का अवसर उनकी क्षमता से कम मिलता है। अल्प बेरोजगारी को छिपी हुई बेरोजगारी भी कहा जाता है।

अल्प अथवा छिपी बेरोजगारी दूर करने के उपाय-

·  बैंक उचित ब्याज दर पर लोगों को ऋण दे ताकि वे स्वरोजगार कर सकें। 

·  अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्र में उद्योगों व सेवाओं में वृद्धि हो। 

·  किसानों के उत्पादन के भण्डारण के लिए शीत भण्डारण की व्यवस्था कराई जाए। 

·  कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसरों में वृद्धि का प्रयास करना चाहिए। 

·  ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार कार्यक्रमों एवं योजनाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। 

·  सार्वजनिक क्षेत्रकों का अधिक विस्तार किया जाना चाहिए ताकि रोजगार के अधिक अवसर सृजित हो सकें।

 

 

प्रश्न 6. व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है।
अथवा 
आपके विचार में सार्वजनिक क्षेत्र क्यों आवश्यक हैकोई तीन बिन्दु लिखिए।
उत्तर:

·  सार्वजनिक क्षेत्र में सरकार सड़कोंपुलोंरेलवेबिजलीबाँध आदि का निर्माण कर ढाँचागत विकास तथा सिंचाई के क्षेत्र में योगदान देती है।

·  सार्वजनिक क्षेत्रक जोखिम भरी सार्वजनिक कल्याण सम्बन्धी गतिविधियों में निवेश करके देश के आर्थिक विकास में योगदान करता है।

·  यह देश के विकास में भारी पैमाने पर परियोजनाओं को चलाकर महत्त्वपूर्ण योगदान करता है। 

·  सार्वजनिक क्षेत्र में अनेक समाज कल्याण की योजनाएं चलाई जाती हैं जो देश के विकास में सहायक हैं। 

·  सार्वजनिक क्षेत्रक से देश में गरीबी एवं बेरोजगारी दूर करने में मदद मिलती है। 

·  सार्वजनिक क्षेत्रों में भारी पूँजी निवेश होता है जिससे पूँजी निर्माण की दर तीव्र होती है।

 

 

प्रश्न 7. भारत में किस आर्थिक क्षेत्र के अन्तर्गत अल्प रोजगार की दशाएँ अधिक पाई जाती हैंप्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक के अन्तर्गत अल्प रोजगार की दशाएँ अधिक पाई जाती हैं। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

·  देश का अधिकांश श्रमिक कृषि क्षेत्र में जुटा है जहाँ कार्य केवल कुछ महीनों के लिए होता है। अतः यह अल्प बेरोजगारी की स्थिति पैदा करता है।

·  परिवार के सभी सदस्य कृषि कार्य में लगे होते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम तो करता है किन्तु किसी को भी पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं होता है।

·  देश की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में निवास कर रही है जबकि वहाँ पर रोजगार के अवसर बहुत कम हैं अतः वहाँ अल्प रोजगार अधिक पाया जाता है।

·  गाँवों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर न होने के कारण लोग कृषि कार्यों में ही लगे रहते हैं जिससे अल्प बेरोजगारी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

 

 

प्रश्न 8. देश में अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करने के उपाय बताइये। 
उत्तर:
देश में निम्न उपायों से अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित किए जा सकते हैं-

·  कृषि क्षेत्रक का विकास कर अतिरिक्त रोजगार अवसर सृजित किए जा सकते हैं। 

·  कृषि में सहायक गतिविधियों का विकास किया जाना चाहिए। 

·  लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास किया जाना चाहिए। 

·  औद्योगिक क्षेत्रक में अंतिरिक्त विनियोग करना चाहिए। 

·  सरकार को सार्वजनिक क्षेत्रक का विस्तार कर अतिरिक्त रोजगार अवसर उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए।

·  देश में आधारभूत संरचना का विकास करना चाहिए ताकि कृषि एवं उद्योगों का विकास हो सके एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि हो सके।

·  देश में निजी क्षेत्रक में भी विनियोग को बढ़ावा देने का प्रयास करना चाहिए। 

 

 

प्रश्न 9. अन्तिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में अन्तर बतलाइये। 
उत्तर:
अन्तिम वस्तुओं एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में अन्तर-

अन्तिम वस्तुएँ

मध्यवर्ती वस्तुएँ 

1. वे वस्तुएँ जो उपभोक्ताओं तक पहुँचती हैंअन्तिम वस्तुएँ कहलाती हैं।

1. ऐसी वस्तुएँ जो अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्माण में प्रयुक्त की जाती हैंमध्यवर्ती वस्तुएँ कहलाती हैं।

2. अन्तिम वस्तुओं का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में शामिल किया जाता है।

2. मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य अन्तिम वस्तुओं के मूल्यों में पहले से शामिल रहता हैअतः इसे सकल घरेलू उत्पाद में नहीं जोड़ा जाता। 

3. उदाहरण : बिस्कुटब्रेडरेडीमेड कपड़े आदि।

3. उदाहरण : गेहूँकपाससिले कपड़े आदि।

 

 

 

 

निबन्धात्मक प्रश्न

 

प्रश्न 1. आर्थिक कार्यों के आधार पर अर्थव्यवस्था के क्षेत्रकों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
निम्न को स्पष्ट कीजिए-(1) प्राथमिक क्षेत्रक (2) द्वितीयक क्षेत्रक (3) तृतीयक क्षेत्रक। 
उत्तर:
आर्थिक कार्यों के आधार पर अर्थव्यवस्था को तीन प्रमुख क्षेत्रकों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) प्राथमिक क्षेत्रक- जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि कहा जाता है। इस क्षेत्रक में मुख्य रूप से कृषिपशुपालनडेयरीमत्स्यनवन उत्पाद आदि को सम्मिलित किया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार की दृष्टि से प्राथमिक क्षेत्रक की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।

(2) द्वितीयक क्षेत्रक- किसी देश में द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधियों के अन्तर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के जरिए अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। इस क्षेत्रक में विनिर्माण की प्रक्रिया अपरिहार्य है। यह प्रक्रिया किसी कारखाने अथवा घर से संचालित की जा सकती है। यह क्षेत्रक क्रमश: संवर्धित विभिन्न प्रकार के उद्योगों से जुड़ा हुआ है अतः इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।

(3) तृतीयक क्षेत्रक- तृतीयक क्षेत्रक में उन गतिविधियों को शामिल किया जाता है जो स्वतः वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैंबल्कि उत्पादन प्रक्रिया में सहयोग करती हैं। इस क्षेत्रक में विभिन्न गतिविधियाँ वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन करती हैं। अतः इस क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रकं भी कहा जाता है। इस क्षेत्रक में मुख्य रूप से परिवहनभण्डारणसंचारबैंकिंगवित्तव्यापार आदि गतिविधियों को शामिल किया जाता है।

 

 

प्रश्न 2. बेरोजगारी एवं अल्प बेरोजगारी से आप क्या समझते हैंभारतीय अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी दूर करने हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
बेरोजगारी-बेरोजगारी का तात्पर्य ऐसी अवस्था से है जिसमें व्यक्ति काम करने के योग्य है तथा काम करना चाहता है किन्तु उसे काम नहीं मिलता।

अल्प बेरोजगारी- अल्प बेरोजगारी वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति को उसकी क्षमता तथा योग्यता के अनुसार पूरा रोजगार नहीं मिलता है तथा वह काम पर लगा हुआ तो प्रतीत होता है किन्तु उत्पादन में उसका योगदान बहुत ही कम होता है। कृषि क्षेत्रक में छिपी हुई बेरोजगारी इसका उदाहरण है। 

बेरोजगारी दूर करने हेतु सुझाव 
भारत में बेरोजगारी की समस्या महत्त्वपूर्ण है तथा इसे दूर करने हेतु निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं-

·  प्राथमिक क्षेत्रक में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जाने चाहिए ताकि अल्प बेरोजगारी दूर की जा सके।

·  कृषि क्षेत्रक में सिंचाई सुविधाओंभण्डारणवित्त तथा विपणन सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। इससे नए रोजगार अवसर सृजित होंगे।

·  ग्रामीण क्षेत्रों में लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

·  देश में आधारभूत संरचना जैसे परिवहनसंचारबैंकिंग आदि का विकास किया जाना चाहिए ताकि कृषि एवं उद्योगों का विकास हो सके।

·  सार्वजनिक क्षेत्रक का विस्तार किया जाना चाहिए। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। 

·  देश में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए तथा शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाया जाना चाहिए।

·  देश में रोजगार सृजक कार्यक्रमों का विस्तार किया जाना चाहिए तथा उनका क्रियान्वयन सही ढंग से किया जाना चाहिए।

·  देश में निजी क्षेत्रक में भी विनियोग को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाना चाहिए। 

·  ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के वैकल्पिक अवसरों का विकास किया जाना चाहिए। 

·  ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। 

 

 

प्रश्न 3. आर्थिक गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के अनुसार कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर:
रोजगार की परिस्थितियों के अनुसार आर्थिक गतिविधियों को दो क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है-
(1) संगठित क्षेत्र और (2) असंगठित क्षेत्र। यथा-

(1) संगठित क्षेत्रक- संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। इस कारण लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है। इस क्षेत्रक में सरकार का नियन्त्रण होता है तथा सरकारी नियमों एवं विनियमों का अनुपालन किया जाता है। कर्मचारियों को कार्य के दौरान एवं सेवानिवृत्ति के बाद भी अनेक सुविधाएँ मिलती हैं।

(2) असंगठित क्षेत्रक- असंगठित क्षेत्रक में छोटी-छोटी एवं बिखरी हुई उत्पादन इकाइयों को शामिल किया जाता है जिन पर सरकार का कोई नियन्त्रण नहीं होता है तथा सरकार के नियमों व विनियमों का अनुपालन नहीं किया जाता है। इस क्षेत्रक में श्रमिकों का विभिन्न प्रकार से शोषण किया जाता है। इनमें न तो सवेतन अवकाश का ही कोई प्रावधान होता है और न ही रोजगार की सुनिश्चितता होती है। काम के एवज में दैनिक मजदूरी के अतिरिक्त मजदूर को कोई अन्य सुविधा नहीं मिलती है।

 

 

प्रश्न 4. देश में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है
उत्तर:
असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों का संरक्षण 
असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों के संरक्षण हेतु अग्र उपाय अथवा सुझाव दिए जा सकते हैं-

·  ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का विस्तार- ग्रामीण व कृषि के क्षेत्रों में विभिन्न सुविधाएँ जैसे वित्त सुविधाशिक्षास्वास्थ्यविपणन सुविधाएँ आदि का विस्तार किया जाना चाहिए।

·  लघु एवं कुटीर उद्योगों को संरक्षण- विभिन्न लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास हेतु उन्हें सरकार द्वारा संरक्षण दिया जाना चाहिए।

·  पिछड़े वर्गों का उत्थान- अधिकांश पिछड़े वर्ग के लोग असंगठित क्षेत्रक में कार्यरत हैं अतः सरकार को इन वर्गों के उत्थान हेतु विशेष प्रयास करने चाहिए।

·  सामाजिक सुविधाओं का विस्तार- असंगठित क्षेत्रक में सरकार को सार्वजनिक सुविधाओं का तीव्र गति से विस्तार करना चाहिए।

·  नियमों का कठोरता से पालन- असंगठित क्षेत्रकों में सरकार द्वारा बनाए नियमों की कठोरता से अनुपालना करवाई जानी चाहिए। 

 

 

प्रश्न 5. स्वामित्व के आधार पर क्षेत्रकों के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
निम्न को स्पष्ट कीजिए-
(1) सार्वजनिक क्षेत्रक 
(2) निजी क्षेत्रक।
 
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर क्षेत्रकों का वर्गीकरण स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
(1) सार्वजनिक क्षेत्रक-सार्वजनिक क्षेत्रक का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जिन पर सरकार का स्वामित्व होता है तथा जिनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। उदाहरण के लिए भारतीय रेलभारत संचार निगम लिमिटेडस्टेट बैंक ऑफ इण्डियासवाई मानसिंह चिकित्सालयराजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम आदि। सामान्यतः सार्वजनिक क्षेत्रक का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कल्याण करना होता है तथा लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना होता है। सार्वजनिक क्षेत्रक के माध्यम से सरकार अनेक सार्वजनिक सेवाएँ लोगों को उपलब्ध करवाती है तथा गरीब लोगों के उत्थान हेतु विशेष प्रयास करती है। सरकार सेवाओं पर किए गए व्यय की भरपाई करों अथवा अन्य तरीकों से करती है। आधुनिक दिनों में सरकार सभी तरह की गतिविधियों पर व्यय करती है।

(2) निजी क्षेत्रक- निजी क्षेत्रक का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जिन पर निजी लोगों का स्वामित्व होता है तथा वे निजी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु इन गतिविधियों का संचालन करते हैं । निजी क्षेत्रक का प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना होता है। भारत जैसे देश में सरकार के पास विकास हेतु पर्याप्त वित्तीय स्रोत नहीं हैं अतः यहाँ पर देश के आर्थिक विकास में निजी क्षेत्रक की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। भारत में अधिकांश जनसंख्या निजी क्षेत्रक में कार्यरत हैभारत में निजी क्षेत्रक की भूमिका में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है।

 

 


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