






















Class-12 History
Chapter- 3 (यायावर साम्राज्य)
अतिलघूत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. यायावर
कौन थे ?
उत्तर:
यायावर
घुमक्कड़ लोग थे, जो एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारम्भिक
राजनीतिक जीवन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते थे।
प्रश्न 2. चंगेज़
खान कौन था ?
उत्तर:
चंगेज़
खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था।
प्रश्न 3. चंगेज़
खान का साम्राज्य किन-किन महाद्वीपों में फैला हुआ था ?
उत्तर:
यूरोप
व एशिया महाद्वीपों में।
प्रश्न 4. मंगोलों
का निवास स्थान कहाँ था ?
उत्तर:
मध्य
एशिया का स्टेपी क्षेत्र।।
प्रश्न 5. किसके
वंशजों ने दुनिया के सबसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया ?
उत्तर:
चंगेज़
खान के वंशजों ने।
प्रश्न 6. किस
मंगोल शासक ने फ्रांस के शासक लुई IX को
चेतावनी दी थी ?
उत्तर:
मोंके
ने।
प्रश्न 7. बाटू
कौन था ?
उत्तर:
बाटू
चंगेज़ खान का पोता था, जिसने रूस, पोलैण्ड व हंगरी पर विजय
प्राप्त कर वियना के बाहर पड़ाव डाल दिया था।
प्रश्न 8. मंगोल
कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल
विविध लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों तथा
पश्चिम में तुर्की लोगों से सम्बन्धित थे।
प्रश्न 9. मध्य
एशियाई स्टेपी क्षेत्र के तुर्क व मंगोल लोगों के किन्हीं चार महासंघों के नाम
बताइए।
उत्तर:
1.
सिउंग-नु (तुर्क)
2.
जुआन-जुआन (मंगोल)
3.
एफ़थलैट हूण (मंगोल)
4.
तू-चे (तुर्क)।
प्रश्न 10. मंगोलों
का व्यवसाय क्या था?
उत्तर:
कुछ
मंगोल पशुपालक थे और कुछ शिकारी-संग्राहक के रूप में कार्यरत थे।
प्रश्न 11. मंगोल
शिकारी-संग्राहक लोग कहाँ निवास करते थे?
उत्तर:
मंगोल
शिकारी-संग्राहक लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियाई वनों
में रहते थे।
प्रश्न 12. किस
चीज ने मंगोलों को परस्पर जोड़ रखा था?
उत्तर:
नृजातीय
तथा भाषायी संबंधों ने मंगोल लोगों को परस्पर जोड़ रखा था।
प्रश्न 13. चीन
की महान दीवार क्यों बनाई गई ?
उत्तर:
यायावर
कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते थे तथा नगरों को लूट लेते थे। उनके आक्रमणों से
चीन की सुरक्षा के लिए महान दीवार बनाई गयी।
प्रश्न 14. चंगेज़
खान का जन्म कब व कहाँ हुआ ?
उत्तर:
1162 ई.
में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट।
प्रश्न 15. चंगेज़
खान का प्रारम्भिक नाम क्या था ?
उत्तर:
तेमुजिन।
प्रश्न 16. चंगेज़
खान के पिता व माता का नाम बताइए।
उत्तर:
चंगेज़
खान के पिता का नाम येसूजेई व माता का नाम ओलुन-इके था।
प्रश्न 17. चंगेज़
खान का सम्बन्ध किस कबीले से था ?
उत्तर:
चंगेज़
खान का सम्बन्ध कियात कबीले से था।
प्रश्न 18. 1206 ई.
में अपने प्रतिद्वन्द्वियों को पराजित करने पर तेमुजिन को किन उपाधियों से विभूषित
किया गया ?
उत्तर:
तेमुजिन
को चंगेज़ खान 'समुद्री खान' या 'सार्वभौम शासक की उपाधियों' से
विभूषित करने के साथ-साथ मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।
प्रश्न 19. कुरिलताई
क्या थी ?
उत्तर:
कुरिलताई
मंगोल कबीले के सरदारों की सभा को कहा जाता था।
प्रश्न 20. चंगेज़
खान ने निशापुर में कत्लेआम का आदेश क्यों दिया ?
उत्तर:
चंगेज़
खान ने मंगोल राजकुमार की हत्या कर दिये जाने के कारण निशापुर में कत्लेआम का आदेश
दिया।
प्रश्न 21. मंगोल
सेनाएँ किसका पीछा करते हुए सिंध प्रदेश तक पहुँच गई थीं ?
उत्तर:
सुल्तान
मोहम्मद के पुत्र जलालुद्दीन का पीछा करते हुए।
प्रश्न 22. किस
कारण से चंगेज़ खान ने सिंधु नदी के तट पर उत्तरी भारत व असम मार्ग से मंगोलिया
वापस लौटने का विचार बदल दिया था ?
उत्तर:
1.
भारत में असहनीय गर्मी का होना
2.
प्राकृतिक आवासों की कठिनाइयाँ होना
3.
उसके भविष्यवक्ता द्वारा अशुभ संकेत देना।
प्रश्न 23. चंगेज़
खान की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
1227 ई.
में।
प्रश्न 24. चंगेज़
खान की सैनिक उपलब्धियों में कौन-कौन से कारक सहायक थे ?
उत्तर:
1.
मंगोल व तुर्कों की कुशल घुड़सवारी ने उसकी
सेना को गति प्रदान की।
2.
मंगोल सैनिकों का कुशल तीरंदाज होना।
प्रश्न 25. 1260 ई.
के दशक के पश्चात् मंगोल राजनीति में नवीन प्रवृत्तियों के उदय के क्या संकेत
प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
1.
मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आंतरिक
राजनीति।
2.
चंगेज़ खान के वंश की तोलूयिद शाखा के
उत्तराधिकारियों द्वारा जोची व ओगोदेई वंशों को कमजोर करना।
प्रश्न 26. पश्चिम
में मंगोलों का विस्तार क्यों रुक गया था ?
उत्तर:
1.
मंगोलों का मिस्र की सेना के हाथों पराजित
होना।
2.
मंगोलों के तोलई परिवार की चीन के प्रति बढ़ती
रुचि।
प्रश्न 27. मंगोलों
को मिस्र की सेना के हाथों क्यों पराजित होना पड़ा ?
उत्तर:
मंगोल
शासकों ने मिस्र की सेना का मुकाबला करने के लिए एक छोटी और अपर्याप्त सेना भेजी
थी।
प्रश्न 28. चंगेज़
खान की सेना किस पद्धति के अनुसार गठित की गई?
उत्तर:
चंगेज़
खान की सेना स्टेपी-क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गयी थी।
प्रश्न 29. मंगोल
सैनिकों की सबसे बड़ी सैन्य इकाई का क्या नाम था? और
इसमें कितने सैनिक होते थे?
उत्तर:
मंगोलों
की सबसे बड़ी सैन्य इकाई 'तुमन' थी। जिसमें अनुमानित दस हजार सैनिक होते थे।
प्रश्न 30. 'नोयान' किसे
कहा जाता था?
उत्तर:
मंगोलों
की नयी सैनिक टुकड़ियों को नोयान कहा जाता था।
प्रश्न 31. मंगोलों
की नवीन सैनिक टुकड़ियाँ किसके अधीन थीं?
उत्तर:
मंगोलों
की नवीन सैनिक टुकड़ियाँ चंगेज़ खान के चार पुत्रों के अधीन थीं।
प्रश्न 32. उलुस
का गठन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
चंगेज़
खान ने अपने नव-विजित प्रदेशों का शासन अपने चार पुत्रों को सौंप दिया, इससे
उलुस का गठन हुआ।
प्रश्न 33. चंगेज़
खान के सबसे बड़े पुत्र जोची को शासन करने के लिए कौन-सा प्रदेश प्राप्त हुआ ?
उत्तर-
रूसी स्टेपी प्रदेश।
प्रश्न 34. चघताई
को शासन करने के लिए कौन-सा प्रदेश प्राप्त हुआ ?
उत्तर:
तूरान
का स्टेपी प्रदेश व पामीर के पमर का उत्तरी क्षेत्र।
प्रश्न 35. चंगेज़
खान ने अपने किस पुत्र को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया?
उत्तर:
तीसरे
पुत्र ओगोदेई को।
प्रश्न 36. चंगेज़
खान ने 'महान खान' की
उपाधि किसको प्रदान की?
उत्तर:
ओगोदेई
को।
प्रश्न 37. ओगोदेई
(महान खान) ने अपनी राजधानी कहाँ प्रतिष्ठित की?
उत्तर:
कराकोरम
में।
प्रश्न 38. चंगेज़
खान की हरकारा पद्धति क्या थी ?
उत्तर:
साम्राज्य
के दूर-दराज के स्थानों से परस्पर सम्पर्क की पद्धति।
प्रश्न 39. मंगोल
शासकों के लिए हरकारा पद्धति किस प्रकार उपयोगी साबित हुई ?
उत्तर:
हरकारा
पद्धति से मंगोल शासकों को अपने विस्तृत महाद्वीपीय साम्राज्य के सुदूर स्थानों
में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती रहती थी।
प्रश्न 40. 'कुबकुर
कर' क्या था ?
उत्तर:
चंगेज़
खान की हरकारा पद्धति या संचार पद्धति की व्यवस्था करने के लिए मंगोल अपने पशुओं
का दसवाँ भाग प्रदान करते थे। जिसे कुबकुर कर कहते थे।
प्रश्न 41. विजित
लोगों को अपने यायावर शासकों से लगाव क्यों नहीं था ?
उत्तर:
1.
मंगोलों द्वारा नवविजित क्षेत्रों में अनेक
नगरों को नष्ट करना।
2.
कृषि भूमि को भारी हानि पहुँचाना।
प्रश्न 42. यायावर
शासकों के विरुद्ध ईरान में असंतोष क्यों था ?
उत्तर:
क्योंकि
यायावर शासकों के निरन्तर आक्रमणों के कारण ईरान में अस्थिरता उत्पन्न हो गयी थी, जिससे
वहाँ नहरों की नियमित रूप से मरम्मत नहीं करायी जा सकी।
प्रश्न 43. मंगोलों
ने अपने साम्राज्य में यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए क्या व्यवस्था की थी ?
उत्तर:
मंगोल
अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास जारी करते थे। .
प्रश्न 44. मंगोल
साम्राज्य में यात्री ‘पास सुविधा' के
लिए कौन-सा कर देते थे ?
उत्तर-
बाज नामक कर।
प्रश्न 45. बाज' नामक
कर का क्या तात्पर्य था ?
उत्तर:
'बाज' नामक
कर का तात्पर्य था कि वे मंगोल शासक की सत्ता स्वीकार करते हैं। यह कर व्यापारियों
द्वारा दिया जाता था।
प्रश्न 46. कौन-सा
मंगोल शासक कृषकों व नगरों के रक्षक के रूप में जाना जाता है ?
उत्तर:
कुबलई
खान।
प्रश्न 47. किस
मंगोल शासक ने अपने परिवार के सदस्यों एवं अन्य सेनापतियों को कृषकों को लूटने से
मना किया था ?
उत्तर:
गज़न
खान ने।
प्रश्न 48. प्रथम
इल-खानी शासक कौनसा था, जिसने धर्मपरिवर्तन कर
इस्लाम ग्रहण किया ?
उत्तर:
गज़न
खान।
प्रश्न 49. गज़न
खान ने कृषकों के बारे में अपने मंगोल-तुर्की यायावर सेनापति को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
गज़न
खान ने अपने सेनापतियों को आदेश दिया था कि वे कृषक का अपमान न करें तथा उनसे अनाज
व बीज न छीनें।
प्रश्न 50. मंगोलों
द्वारा विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती करने से क्या लाभ
प्राप्त हुए?
उत्तर:
1.
दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता
प्राप्त हुई।
2.
खानाबदोशों की लूटमार की घटनाओं में कमी आयी।
प्रश्न 51. युआन
और इल-खानी वंशों की स्थापना किसने की?
उत्तर:
तोलुई
के वंशजों ने युआन और इल-खानी वंशों की स्थापना की।
प्रश्न 52. वर्तमान
में तूरान के स्टेपी क्षेत्र को किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
तुर्किस्तान।
प्रश्न 53. यसाक
का सम्बन्ध किससे है?
उत्तर:
यसाक
का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे-आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का
संगठन।
प्रश्न 54. मंगोलिया
किस देश के नियंत्रण से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना
रहा है?
उत्तर:
रूस।
प्रश्न 55. चंगेज़
खान की किन्हीं दो उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1.
मंगोलों को संगठित करना
2.
श्रेष्ठ पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना।
प्रश्न 56. किस
देश ने चंगेज़ खान को एक महान राष्ट्रनायक के रूप में स्वीकार किया है ?
उत्तर:
मंगोलिया
ने।
प्रश्न 57. मंगोलिया
में किस शासक का सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है ?
अथवा
मंगोलों
के लिए कौन एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया ?
उत्तर:
चंगेज़
खान का।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA)
प्रश्न 1. यायावर
साम्राज्य से आप क्या समझते हैं ?
अथवा
चंगेज़ खान द्वारा निर्मित साम्राज्य को यायावर
साम्राज्य की संज्ञा क्यों दी गयी?
उत्तर:
यायावर
मुख्य रूप से घुमक्कड़ लोग होते हैं जो बहुत से परिवारों के समूह में संगठित होते
हैं तथा जिनका आर्थिक जीवन सापेक्षिक रूप से एक ही प्रकार का और राजनैतिक संगठन भी
प्रारम्भिक व्यवस्था से मिलता-जुलता है। दूसरी ओर साम्राज्य शब्द भौतिक
अवस्थितियों को प्रकट करता है, जिसने उनके जटिल सामाजिक व आर्थिक ढाँचे में
स्थिरता प्रदान की है और एक सुपरिष्कृत प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा एक विस्तृत
भूभागीय क्षेत्रों में सुचारु रूप से शासन किया। इसलिए चंगेज़ खान द्वारा निर्मित
साम्राज्य को यायावर साम्राज्य की संज्ञा दी गई है।
प्रश्न 2. बर्बर
शब्द से क्या आशय है ?
उत्तर:
बर्बर
शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द बारबेरियन का हिन्दी रूपान्तर है। आंग्ल भाषा के इस
शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द बारबरोस से हुई है जिसका आशय गैर यूनानी
लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब कोलाहल 'बर-बर' के
समान लगती थी। रोमवासियों ने बर्बर शब्द का प्रयोग जर्मन जनजातियों, जैसे-गॉल
व हूण जैसे लोगों के लिए किया।
प्रश्न 3. बाटू
कौन था? उसके सैनिक अभियानों की
सफलताएँ बताइए।
उत्तर:
बाटू
मंगोल शासक चंगेज़ खान के सबसे बड़े पुत्र जोची का पुत्र था। उसने 1236-1241
ई.
के मध्य के सैनिक अभियानों में रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला तथा पोलैण्ड, हंगरी
व आस्ट्रिया पर विजय प्राप्त करके वियना तक जा पहुंचा था।
प्रश्न 4. मंगोल
काल में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
उत्तर:
स्टेपी
क्षेत्र की विपरीत परिस्थितियों में मंगोलों द्वारा कृषि को नहीं अपनाया गया।
पशुपालक तथा शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों का
भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थीं। ये तंबुओं व जरों में निवास करते थे, इसलिए
मंगोल काल में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर नहीं उभर पाया।
प्रश्न 5. मंगोल
धनी परिवारों के अनेक अनुयायी होते थे। क्यों ?
उत्तर:
मंगोल
समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। यहाँ के धनी परिवार विशाल होते थे।
उनके पास अधिक संख्या में पशु एवं विशाल चारण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में
भी ये परिवार प्रभावशाली माने जाते थे। इसी कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे।
प्रश्न 6. मंगोल
कबीलों को चारागाहों की तलाश में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर:
मंगोल
रूस के स्टेपी क्षेत्र में निवास करते थे। यहाँ समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएँ आती
रहती थीं। अति शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित भोजन सामग्री व अन्य
सामग्री समाप्त हो जाती थी। वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने की स्थिति
में उनको चारागाहों की तलाश में भटकना पड़ता था।
प्रश्न 7. चंगेज़
खान की राजनीतिक व्यवस्था को बहुत अधिक स्थायी क्यों कहा जा सकता है ?
उत्तर:
चंगेज़
खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था। उसके द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था उसकी
मृत्यु के पश्चात् भी जीवित रही। यह व्यवस्था इतनी अधिक स्थायी थी कि चीन, ईरान, पूर्वी
यूरोप के देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में
सक्षम थी।
प्रश्न 8. व्यापारिक
क्रियाकलापों में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
मध्य
एशिया के स्टेपी क्षेत्र में रहने वाले मंगोल लोग अपने निवास क्षेत्र में कृषि
हेतु विपरीत परिस्थितियों के कारण अपने जीवनयापन हेतु व्यापार पर निर्भर थे, ये
लोग चीन से व्यापार करते थे। कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने
की होड़ में सैनिक कार्यवाही पर उतर आते थे। इसी कारण तनाव की स्थिति उत्पन्न हो
जाती थी।
प्रश्न 9. चीनी
शासकों ने किलेबंदी करना क्यों प्रारम्भ किया?
अथवा
चीनी
शासकों ने 'चीन की महान दीवार' का
निर्माण क्यों किया?
उत्तर:
मंगोल
और मध्य एशिया के यायावार चीन में आकर लूट-पाट करते थे। अपने सम्पूर्ण इतिहास में
चीन.को इन यायावरों से विभिन्न शासन-कालों में बहुत अधिक क्षति पहुँची। परेशान
होकर आठवीं शताब्दी ई. पू. से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए चीनी शासकों ने किलेबंदी
करना प्रारम्भ कर दिया था। तीसरी शताब्दी ई. पू. से इन किलेबंदियों का एकीकरण
सामान्य ढाँचे के रूप में किया गया, जिसे आज 'चीन की रक्षात्मक महान दीवार' के
रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 10. चंगेज़
खान के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चंगेज़
खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन
नदी के निकट हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। इसके पिता का नाम येसूजई व माता
का नाम ओलुन-इके था। इसके पिता कियात कबीले के मुखिया थे। 1206
ई.
में शक्तिशाली जमूका व नेमन लोगों को पराजित करने के पश्चात् यह स्टेपी क्षेत्र की
राजनीति में प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। मंगोल कबीले के सरदारों ने इसे
चंगेज़ खान, समुद्री खान अथवा सार्वभौमिक शासक की उपाधि
प्रदान की। उसे मंगोलों का महानायक भी घोषित किया गया।
प्रश्न 11. चंगेज़
खान के चीन अभियान के पूर्व चीन कौन-कौन से तीन राज्यों में विभाजित था ? नाम
लिखिए।
उत्तर:
चंगेज़
खान के चीन अभियान से पूर्व चीन निम्नलिखित तीन राज्यों में विभाजित था
1.
उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों में तिब्बती मूल के
सी-सिआ लोगों का राज्य।
2.
जरचेन लोगों का चिन राजवंश, जिसका
पेकिंग से उत्तरी चीन के क्षेत्र पर शासन था।
3.
शुंग राजवंश, जिसका दक्षिणी चीनं पर शासन
था।
प्रश्न 12. सुल्तान
मोहम्मद कौन था? उसके चंगेज़ खान क्यों नाराज
था?
उत्तर:
सुल्तान
मोहम्मद ख्वारज़म का शासक था। उसने मंगोल दूतों की हत्या कर दी थी। इसलिए चंगेज़
खान उससे नाराज था तथा हत्या करने के लिए उसका पीछा करता रहा था। .
प्रश्न 13. चंगेज़
खान ने निशापुर नगर को ध्वस्त करने का आदेश क्यों दिया? उस
आदेश में क्या कहा गया था?
उत्तर:
निशापुर
नगर के घेरे के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई थी। इसके कारण चंगेज़
खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उस आदेश में यह कहा गया था कि नगर का
इस प्रकार विध्वंस किया जाए कि सम्पूर्ण नगर में हल चलाया जा सके। ऐसा संहार किया
जाए कि कुत्तों और बिल्लियों को भी जीवित न रहने दिया जाए।
प्रश्न 14. मंगोल
शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को कितने चरणों में विभाजित
किया जा सकता है ?
उत्तर:
मंगोल
शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को दो चरणों में विभाजित
किया जा सकता है
1.
प्रथम चरण (1236-1242 ई.)-इस
दौरान मंगोलों ने रूस के स्टेपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैंड व हंगरी में भारी
सफलता प्राप्त की।
2.
द्वितीय चरण (1255-1300 ई.)-इस
दौरान मंगोलों ने सम्पूर्ण चीन, इराक, ईरान व सीरिया पर विजय प्राप्त की थी।
प्रश्न 15. मंगोल
सेना ने एक विशाल व संगठित सेना का रूप कैसे धारण किया ?
उत्तर:
मंगोल
जनजातियों के एकीकरण एवं विजित लोगों के विरुद्ध अभियानों से मंगोल सेना में अनेक
नए सैनिक सम्मिलित हो गए। ये सैनिक विभिन्न समुदायों से सम्बन्ध रखते थे। इस
प्रकार मंगोल सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप धारण कर लिया।
प्रश्न 16. मंगोल
कबीलों की दशमलव पद्धति क्या थी ?
उत्तर:
चंगेज़
खान को सेना स्टेपी क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी।
इसमें दस, सौ, हजार तथा दस हजार सैनिकों की इकाइयाँ होती थीं।
इस पद्धति में कुल, कबीले और सैनिक दशमलव इकाइयों में एक साथ
विभाजित होते थे। चंगेज़ खान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था।
प्रश्न 17. नोयान
का क्या अर्थ था ?
उत्तर:
मंगोल
शासक चंगेज़ खान ने पुरानी दशमलव पद्धति को समाप्त करके सैनिक टुकड़ियों को नई
सैनिक इकाइयों में विभाजित कर दिया। ये नई सैनिक टुकड़ियाँ उसके चारों पुत्रों के
अधीन कार्य करती थीं। विशेष रूप से चयनित कप्तानों के अधीन कार्य करती थीं। यह
व्यवस्था नोयान कहलाती थी।
प्रश्न 18. किरिलताई
क्या थी ?
उत्तर:
किरिलताई
मंगोल कबीलों के सरदारों की एक परिषद् थी जिसके माध्यम से परिवार के सदस्यों में
राज्य की भागीदारी, राज्य के भविष्य का निर्णय, अभियानों
में लूट के माल का बँटवारा तथा चारागाह भूमि व उत्तराधिकार आदि के निर्णय सामूहिक
रूप से लिए जाते थे। इसी परिषद् ने चंगेज़ खान को समुद्री खान या सार्वभौमिक शासक
की उपाधि के साथ उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया था।
प्रश्न 19. मंगोलों
के रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पैक्स
मंगोलिका के पश्चात् उत्पन्न शांति से मंगोलों के यूरोप व चीन के साथ व्यापारिक
सम्बन्ध परिपक्व हो गए। उनकी देखरेख में रेशम मार्ग पर व्यापार और पर्यटन अपने
शिखर पर पहुँच गया, परन्तु यह मार्ग अब पहले की तरह चीन में ही
समाप्त नहीं होता था, बल्कि यह अब उत्तर की ओर मंगोलिया व नवीन
साम्राज्य के केन्द्र कराकोरम की ओर विस्तारित हो गया था।
प्रश्न 20. गज़न
खान ने कृषकों को लेकर क्या घोषणा की थी?
उत्तर:
गज़न
खान मंगोल शासक चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई का वंशज था। उसने अपने परिवार
के सदस्यों तथा अन्य सेनापतियों को आगाह किया था कि वे कृषकों को न लूटें। एक बार
अपने भाषण के दौरान उसने कहा । कि कृषकों को लूटने से राज्य में स्थायित्व व
समृद्धि नहीं आती।
प्रश्न 21. यास
या यसाक से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
यास
या यसाक एक प्रकार से चंगेज़ खान की विधि संहिता थी, जिसका शाब्दिक अर्थ होता था-'विधि' या
आज्ञप्ति या आदेश। वास्तव में यसाक का सम्बन्ध प्रशासनिक विधियों से है, जैसे-आखेट
का व्यवस्थापन करना, सेना को संगठित करना, डाक व्यवस्था का निर्माण
करना आदि।
प्रश्न 22. 13 वीं
शताब्दी के चीन-ईरान व पूर्वी यूरोप के नगरवासी स्टेपी के मंगोल गिरोहों को भय और
घृणा की दृष्टि से क्यों देखते थे ?
उत्तर:
स्टेपी
क्षेत्र के मंगोल यायावर गिरोहों ने चंगेज़ खान के अधीन नगरों को बुरी तरह लूटा और
उन्हें ध्वस्त कर दिया। उन्होंने अनेक नगरवासियों की निर्ममतापूर्ण तरीके से
हत्याएँ की थीं। इसी कारण चीन, ईरान व पूर्वी यूरोप के नगरवासी स्टेपी के
मंगोल गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे।
प्रश्न 23. मंगोलों
के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक क्यों था ?
अथवा
चंगेज़
खान को महान मंगोल सम्राट क्यों माना जाता है?
उत्तर:
मंगोलों
के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था क्योंकि
1.
उसने मंगोलों को संगठित किया।
2.
लम्बे समय से चले आ रहे कबीलाई युद्धों व
चीनियों से होने वाले शोषण से मुक्ति दिलाई।
3.
मंगोलों को समृद्ध बनाया।
4.
श्रेष्ठ पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना
की।
5.
व्यापार के मार्गों व बाजारों को पुनर्स्थापित
किया।
प्रश्न 24. तैमूर
कौन था? उसे अपने आप को राजा घोषित
करने में संकोच क्यों था?
उत्तर:
तैमूर
विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखने वाला एक महत्वाकांक्षी राजा था। उसे अपने को
राजा घोषित करने में इसलिए संकोच था क्योंकि वह चंगेज़ खान का वंशज नहीं था। लेकिन
जब उसने अपनी स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो उसने आप को चंगेज़खानी परिवार के
दामाद के रूप में प्रस्तुत किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. मंगोलों
के यायावर साम्राज्य के इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों
के यायावर साम्राज्य के इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत-
मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी प्रदेश के निवासी
थे। मंगोलों ने अपना कोई साहित्य नहीं रचा और न ही रचाया था। हमें इन लोगों के बारे
में जानकारी इतिवृत्तों, यात्रावृत्तान्तों व नगरीय साहित्यकारों के
दस्तावेजों से प्राप्त होती है। इन दस्तावेजों का लेखन करने वाले लोगों ने मंगोल
यायावर समुदायों के जीवन से जुड़ी हुई सूचनाओं को दोषपूर्ण, गलत
एवं पक्षपातपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया है।
·
मंगोलों की साम्राज्यिक सफलताओं ने अनेक
साहित्यकारों को अपनी ओर आकर्षित किया। उनमें से कुछ साहित्यकारों ने अपने अनुभवों
के यात्रावृत्तान्त लिखे।
·
कुछ साहित्यकार मंगोल शासकों के राज्याश्रय में
भी रहे थे। ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि अलग-अलग प्रकार की थी। वे बौद्ध, कन्फ्यूशियस, तुर्क, ईसाई
व मुसलमान आदि धर्मों से सम्बन्ध रखते थे। यद्यपि इन लोगों को मंगोल परम्पराओं का
ज्ञान नहीं था।
·
इनमें से कुछ साहित्यकारों ने इनके विषय में
सहानुभूतिपरक विवरण एवं उनकी प्रशस्तियाँ भी लिखी हैं और इसके विपरीत उनके विरोधी
साहित्यकारों ने इन्हें लुटेरा तक कह दिया था।
·
इस प्रकार हमें मंगोलों के विषय में अनेक रोचक
विवरण प्राप्त होते हैं, जिनसे यह ज्ञात होता है कि अपने ही क्षेत्र
विशेष में रहने वाले ये मंगोल यायावर आदिम बर्बर लोगों की तरह थे।
मंगोलों पर हुए अनुसंधान कार्य-
·
मंगोल यायावर समुदायों पर सबसे महत्वपूर्ण
अनुसंधान कार्य अठारहवीं शताब्दी व उन्नीसवीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने उस
काल में किए थे, जब रूस के जार शासक मध्य एशियाई क्षेत्रों में
अपनी शक्ति को मजबूत कर रहे थे।
·
ये अनुसंधान-कार्य उपनिवेशीय कालावधि में हुए, जो
प्रायः सर्वेक्षण टिप्पणियों के रूप में प्राप्त होते हैं। इन टिप्पणियों को
यात्रियों, सैनिकों, पुराविदों एवं व्यापारियों
ने तैयार किया था।
·
रूस के मार्क्सवादी इतिहास लेखन ने मंगोल शासक
चंगेज़ खान को एक नवीन मंगोल साम्राज्य के अधिष्ठाता के रूप में स्थापित किया था, जिसने
मानव विकास की एक ऐसी संक्रमण व्यवस्था को जन्म दिया, जिसमें जनजाति उत्पादन
व्यवस्था, सामंती उत्पादन व्यवस्था की ओर परिवर्तित हुई।
·
मंगोल भाषाओं, उनके समाज व संस्कृति पर
उत्कृष्ट अनुसंधान बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव नामक एक विद्वान ने किया था।
·
एक अन्य रूसी विद्वान वैसिली ब्लाडिमिरोविच
बारटोल्ड ने तत्कालीन सोवियत विचारधारा का समर्थन नहीं किया और चंगेज़ खान के अधीन
मंगोलों और उसके वंशजों के जीवन व उनकी विश्व को देन का सहानुभूतिपूर्ण ढंग से
सकारात्मक मूल्यांकन किया।
·
इससे रूसी शासन नाराज हो गया और उनकी रचनाओं पर
प्रतिबंध लगा दिया गया, परन्तु 1960 ई. में खुश्चेव के उदारवादी
युग में उसके समस्त ग्रन्थों का संग्रह नौ खण्डों में प्रकाशित किया गया।
·
अन्य स्रोत- मंगोल साम्राज्य के
पारमहाद्वीपीय विस्तार के इतिहास की सम्पूर्ण सामग्री अनेक भाषाओं से प्राप्त होती
है, जिनमें
चीनी, मंगोली, अरबी
व फारसी आदि भाषाएँ प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त हमें मंगोलों से सम्बन्धित
महत्वपूर्ण सामग्रियाँ इतालवी, लातिनी, फ्रांसीसी व रूसी भाषाओं में
भी मिलती हैं।
प्रायः
दो भाषाओं में एक ही ग्रन्थ मिलते हैं, लेकिन उनमें उपलब्ध सूचनाओं में अन्तर दिखाई
देता है। उदाहरण के रूप में, चंगेज़ खान के विषय में सबसे प्राचीन मंगोली व
चीनी विवरण हमें मंगकोल-उन-न्यूतोविअन (मंगोलों के में प्राप्त होते हैं। ये विवरण
इतालवी व लातिनी संस्करणों से मेल नहीं खाते हैं, जिन्हें मार्कोपोलो ने मंगोल
राजदरबार में उपस्थित होने के समय के अपने यात्रा-वृत्तांतों में दिया है। ईगोर दे
रखेविल्ट्स व गरेहार्ड डोरफर की रचनाएँ मध्य एशिया के मंगोल यायावरों के इतिहास के
अध्ययन की कठिनाइयों को प्रकट करती हैं।
प्रश्न 2. चंगेज़
खान के जीवनवृत्त का वर्णन करते हुए यह बताइए कि वह सार्वभौम शासक किस प्रकार बना?
उत्तर:
चंगेज़
खान का जीवनवृत्त-
·
चंगेज़ खान का जन्म लगभग 1162
ई.
में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के समीप हुआ था। इसका प्रारम्भिक
नाम तेमुजिन था।
·
इसके पिता का नाम येसूजेई था, जो
कियात कबीले का मुखिया था। इसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी।
·
चंगेज़ खान की माता का नाम ओलुन-इके था, जिसने
तेमुजिन (चंगेज़ खान) और उसके सगे व सौतेले भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाइयों से
किया था।
·
1170 ई. के दशक में तेमुजिन का अपहरण करके उसे दास
बना लिया गया था। उसकी पत्नी बोरटे का भी अपहरण कर लिया गया। अपनी पत्नी को
छुड़ाने के लिए उसने युद्ध भी किया। तेमुजिन ने विपत्ति के इन दिनों में भी अनेक
मित्र बनाने में सफलता प्राप्त की।
·
एक नवयुवक बोघूरचू उसका प्रथम मित्र था, जो
सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में उसके साथ रहा।
·
तेमुजिन का सगा भाई जमुका भी उसका एक विश्वसनीय
मित्र था।
·
तेमुजिन (चंगेज़ खान) ने कैराइट लोगों के शासक
और अपने पिता के भाई तुगरिल उर्फ ओंग खान के मध्य पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना
की। 1227
ई. में
चंगेज़ खान की मृत्यु हो गई।
चंगेज़ खान का सार्वभौमिक शासक बनना-
·
तेमुजिन का सगा भाई जमूका कालान्तर में उसका
शत्रु बन गया। 1180 से 1190 ई. के मध्य तेमुजिन ने ओंग खान की मध्यस्थता से
अपने शक्तिशाली शत्रु जमूका को पराजित कर दिया।
·
1203 ई. में उसने अपने पिता के हत्यारे शक्तिशाली
तातार कैराईट एवं अपने पिता के भाई ओंग खान के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया।
·
1206 ई. में उसने जमका एवं नेमन लोगों को निर्णायक
रूप से पराजित किया। इस प्रकार अब वह स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में एक प्रभावशाली
एवं शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया।
·
उसे अब मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा
कुरिलताई में मान्यता प्राप्त हो गई। इस सभा में तेमुजिन को चंगेज खान, समुद्री
खान या सार्वभौम शासक की उपाधि दी गई तथा मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।
प्रश्न 3. चंगेज़
खान की सैनिक उपलब्धियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
चंगेज
खान ने किस प्रकार साम्राज्य विस्तार किया ? वर्णन
कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़
खान का साम्राज्य विस्तार (सैनिक उपलब्धियाँ)-1206 ई. में मंगोल कबीले की एक
सभा कुरिलताई से मान्यता प्राप्त होने के पूर्व ही चंगेज़ खान ने मंगोलों को एक
सशक्त अनुशासित,सैन्य शक्ति के रूप में पुनर्गठित कर लिया था, जिसने
उसके सैन्य अभियानों में सहायता पहुँचायी। चंगेज़ खान की प्रमुख सैनिक उपलब्धियाँ
निम्नलिखित थीं
1. चीन विजय- चंगेज
खान ने सर्वप्रथम चीन पर विजय प्राप्त करने का निश्चय किया जो कि उस समय तीन
राज्यों में विभाजित था
·
उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों में तिब्बत मूल के 'सी-सिआ' लोग।
·
जरचेन लोगों के चिन राजवंश जो पेकिंग के उत्तरी
चीन क्षेत्र में शासन करते थे।
·
शुंग राजवंश, जिसके आधिपत्य में दक्षिणी
चीन था।
1209 ई. में चंगेज़ खान ने सी-सिआ लोगों को परास्त
किया। 1213 ई. में उसने चीन की महान दीवार को ध्वस्त कर
दिया और 1215 ई. में पेकिंग नगर को खूब लूटा। चिन वंश के
विरुद्ध मंगोलों की लड़ाइयाँ 1234 ई. तक चली परन्तु चंगेज़ खान अपने अभियानों की
प्रगति से पूर्णतः सन्तुष्ट था, इसलिए उस क्षेत्र के सैनिक मामले अपने
अधीनस्थों को सौंपकर स्वयं वह 1216 ई. में अपनी मातृभूमि मंगोलिया लौट आया। 1218
ई.
में चंगेज़ खान ने चीन के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित तियेन-शान की पहाड़ियों पर
नियंत्रण रखने वाली करा खिता जाति को परास्त किया। अब मंगोलों का साम्राज्य अमूदरिया, तूरान
एवं ख्वारज़म राज्यों तक फैल गया।
2. अन्य सैन्य विजय- चंगेज़
खान ने अपने सैनिक अभियान जारी रखे। 1219 ई. से 1221 ई. के मध्य तक के अभियानों
में बड़े नगरों-ओट्रार, बुखारा, बल्ख, गुरगंज, समरकंद, मर्व, निशापुर
एवं हेरात ने मंगोल सेनाओं के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। ख्वारज़म का सुल्तान
मोहम्मद चंगेज़ खान के क्रोध का शिकार तब हुआ, जब उसने मंगोल दूतों का वध
कर दिया। मंगोल सेनाएँ सुल्तान मोहम्मद का पीछा करते हुए अज़रबेजान तक चली गईं।
इन्होंने क्रीमिया में रूसी सेनाओं को हराने के पश्चात् कैस्पियन सागर को घेर
लिया। मंगोल सेना की एक अन्य टुकड़ी ने सुल्तान मोहम्मद के पुत्र जलालुद्दीन का
अफगानिस्तान व सिंध प्रदेश तक पीछा किया। सिंधु नदी के तट पर पहुँचकर चंगेज़ खान
ने उत्तरी भारत और असम मार्ग से मंगोलिया वापस लौटने की सोची किन्तु अत्यधिक गर्मी, प्राकृतिक
आवास की कठिनाइयाँ एवं उसके शासन के भविष्यवक्ता ने अशुभ संकेतों का हवाला देते
हुए उसे अपने विचार बदलने को बाध्य किया। चंगेज खान को अपने जीवन का अधिकांश भाग
युद्धों में व्यतीत करना पड़ा, तत्पश्चात् 1227 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी।
वास्तव में उसकी सैनिक उपलब्धियाँ हमें आश्चर्यचकित कर देने वाली थीं।
प्रश्न 4. चंगेज़
खान ने मंगोलों को, जो प्रारम्भ में पशुपालक एवं
आखेट-संग्राहक थे, किस प्रकार एक महान सैन्य
संगठन में परिवर्तित कर दिया ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़
खान एक दूरदर्शी शासक व महान संगठनकर्ता था। उसने शीघ्र ही यह जान लिया था कि यदि
एक महान साम्राज्य की स्थापना करनी है तो उसे मंगोल कबीलों की विभिन्न जातीय
पहचानों को समाप्त करके उनमें कर्मठ, निष्ठावान एवं देशभक्ति की भावना उत्पन्न करनी
होगी। उसने इसमें सफलता भी प्राप्त की। अब उसके समस्त सैनिक किसी विशेष कबीले के न
होकर मंगोलिया राज्य से सम्बन्धित थे। इससे पूर्व मंगोलों के कबीले प्रायः पशुपालक
और आखेट संग्राहक थे। चंगेज़ खान ने उन्हें नई सामाजिक एवं सैनिक इकाइयों में
संगठित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए
1.
उसने मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल का
उपयोग अपनी सेना को तेज गति प्रदान करने के लिए उन्हें नई प्रकार की सैनिक
टुकड़ियों में संगठित किया।
2.
उसने आखेटक-संग्राहक लोगों के तीरंदाजी के गुण
का भी लाभ उठाया। चंगेज़ खान ने तीरंदाजों की अलग सैनिक टुकड़ियाँ बनायीं, जो
घुड़सवार के रूप में तेजी से आगे बढ़ सकती थीं। इससे दुश्मन की सेना में उथल-पुथल
मच जाती थी।
3.
चंगेज़ खान ने अपने घुड़सवारों को आसपास के
भूभाग के मार्गों एवं मौसम की प्रत्येक जानकारी उपलब्ध कराने के प्रयत्न किए, जिससे
वे प्रत्येक मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में शत्रुओं का मुकाबला कर सकें।
4.
उसने अपनी सेना को अविभेदित रूप से संगठित
किया। यह अविश्वसनीय रूप से एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गयी।
5.
उसने अपने सैनिकों को बर्फ से ढकी वादियों, पहाड़ों
को राजमार्ग की तरह प्रयोग करने का प्रशिक्षण दिया।
6.
मंगोल लोग अपनी परम्पराओं के अनुसार प्राचीरों
के आरक्षित शिविरों में घुसपैठ करने में सक्षम नहीं थे, परन्तु चंगेज़ खान ने
घेराबंदी यंत्र और नेफ्था बमबारी के महत्व को जानते हुए उन्हें प्रशिक्षित किया।
7.
चंगेज़ खान ने अपनी सेना में अस्त्र-शस्त्र
निर्माण हेतु योग्य इंजीनियरों को नियुक्त किया।
8.
उसके इंजीनियरों ने शत्रुओं के विरुद्ध
अभियानों में उपयोग हेतु हल्के चल उपस्करों (उपकरणों) का निर्माण किया, जिसके
युद्ध में घातक प्रभाव होते थे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि उपर्युक्त प्रयत्नों
के फलस्वरूप चंगेज खान ने मंगोलों को, जो पशुपालक एवं आखेट संग्राहक के रूप में थे, एक
उच्चस्तरीय सैनिक शक्ति के रूप में बदल दिया।
प्रश्न 5. मंगोल
शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों की चर्चा
कीजिए।
अथवा
चंगेज़
खान के उपरान्त के मंगोल साम्राज्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
1227 ई.
में मंगोल शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों
को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. मंगोल साम्राज्य का विभाजन- चंगेज़ खान की मृत्यु के
पश्चात् के मंगोल साम्राज्य को हम दो भागों में बाँट सकते हैं
·
प्रथम चरण-यह चरण 1236 से 1242 ई. तक था। जिसके दौरान
प्राप्त मुख्य सफलताओं में रूस के स्टेपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैण्ड
व हंगरी आदि में प्राप्त विजयें थीं।
·
द्वितीय चरण-यह 1255 से 1300 ई. तक था। जिसके दौरान
सम्पूर्ण चीन, इराक, ईरान व सीरिया पर विजय प्राप्त की गई थी।
2. साम्राज्य की परिसीमाओं में
स्थिरता आना- इन दोनों अभियानों के पश्चात् मंगोल साम्राज्य
की परिसीमाओं में स्थिरता आयी। यद्यपि 1230 ई. के बाद के दशकों में मंगोलों को महत्वपूर्ण
सफलताएँ प्राप्त हुईं परन्तु उनके लिए 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों के
प्रारम्भिक आवेग को जारी रखना सम्भव नहीं रहा। यद्यपि वियना और उससे दूर पश्चिमी
यूरोप व मिस्र मंगोल आधिपत्य में ही रहे फिर भी मंगोलों के हंगरी के स्टेपी
क्षेत्र से पीछे हट जाने और मिस्र की सेनाओं द्वारा पराजित होने से नवीन राजनीतिक
प्रवृत्तियों के उदय होने का आभास होने लगा।
3. नवीन राजनीतिक प्रवृत्तियों
का उदित होना- मंगोलों का स्टेपी क्षेत्र में पीछे हटने एवं
मिस्र की सेनाओं के हाथों पराजय के पश्चात् मंगोल राजनीति में नवीन प्रवृत्तियों
का उदय हुआ। ये प्रवृत्तियाँ दो प्रकार की थीं
(i) प्रथम
में मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आन्तरिक कलह की राजनीति थी। जब प्रथम दो
पीढ़ियाँ जोची व ओगोदेई के उत्तराधिकारी महान खान के राज्य पर नियंत्रण स्थापित
करने हेतु एकजुट हुए। अब उनके लिए यूरोप के अभियान करने की अपेक्षा अपने हितों की
रक्षा करना अधिक महत्वपूर्ण हो गया।
(ii) द्वितीय
स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब चंगेज़ खान के वंशज की तोलूयिद शाखा के
उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर कर दिया। चंगेज़ खान के सबसे
छोटे पुत्र तोलूई के वंशज मोंके के राज्याभिषेक के उपरान्त 1250
ई.
के दशक में ईरान में शक्तिशाली सैन्य अभियान किए गए। परन्तु 1260
ई.
के दशक में तोलूई के वंशजों ने चीन में अपने हितों की वृद्धि की तो उसी समय
सैनिकों व रसद सामग्रियों को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों में भेज दिया गया।
इसके परिणामस्वरूप मिस्र की सेना का सामना करने के लिए मंगोलों ने एक छोटी व
अपर्याप्त सेना भेजी जिससे मंगोलों की पराजय हुई। तोलुई वंश की चीन में बढ़ती रुचि
ने मंगोलों का पश्चिम की ओर विस्तार रोक दिया।
4. चीन में मंगोल अभियान जारी
रहना- पश्चिम में मंगोलों के अभियानों के रुक जाने के पश्चात्
चीन के मंगोलों ने अपने अभियान जारी रखे और उन्होंने चीन को एकीकृत किया।
प्रश्न 6. चंगेज़
खान ने किस प्रकार अपनी सेना को एक नया रूप प्रदान किया ? उसके
द्वारा किए गए सैनिक संगठन में परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चंगेज
खान ने अपने सैनिक संगठन में निम्नलिखित परिवर्तन कर अपनी सेना को एक नया रूप
प्रदान किया
(i) विशाल विषमजातीय सेना का गठन- मंगोल साम्राज्य में
मंगोलों एवं वहाँ रहने वाले अन्य यायावर समाजों में प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को
शस्त्र धारण करना अनिवार्य था। आवश्यकता होने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना का
गठन किया जाता था। चंगेज़ ने मंगोल लोगों के कबीलों की विभिन्न जातीय पहचान को
समाप्त करके कर्मठ, निष्ठावान व देशभक्ति की भावना का पाठ पढ़ाया, अब
समस्त सैनिक किसी विशेष कबीले के न होकर मंगोलिया राज्य से सम्बन्धित थे। चंगेज़
खान की सेना में नए सदस्य सम्मिलित हुए, जिससे उसकी सेना एक विशाल विषमजातीय संगठन में
परिवर्तित हो गयी। इस सेना में मंगोलों की सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले
तुर्की मूल के उइगुर समुदाय के लोग भी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त मंगोलों से
पराजित होने वाले तथा पुराने शत्रु केराइट लोग भी इसी विशाल सैन्य संगठन में
सम्मिलित थे।
(ii) दशमलव पद्धति के अनुसार सेना
का गठन- चंगेज़ खान की सेना स्टेपी क्षेत्रों की पुरानी दशमलव
पद्धति के अनुसार गठित की गई थी जो दस, सौ, हजार और दस हजार सैनिकों की इकाई में विभाजित
थी। पुरानी पद्धति में कुल, कबीले व सैनिक तथा दशमलव इकाइयाँ एक साथ
अस्तित्व में थीं। चंगेज खान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय
समूहों को विभाजित कर उन्हें नई सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।
(iii) सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई- चंगेज
खान की सेना में सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों की थी जिसे 'तुमन' कहा
जाता था। इसमें अनेक कुलों व कबीलों के सैनिक सम्मिलित थे।
(iv) नवीन सैनिक टुकड़ियों का
गठन- चंगेज
खान ने अपने चार पुत्रों-जोची, चघताई, ओगोदेई व तोलूई के अधीन
सैनिक टुकड़ियाँ गठित की जिसे 'नोयान' नाम दिया गया। नयी व्यवस्था
में चंगेज़ खान के अनुयायियों का वह समूह भी सम्मिलित था, जिन्होंने संकटपूर्ण व
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसका साथ दिया था।
(v) कठोर अनुशासन- चंगेज
खान ने सेना में कठोर अनुशासन पर बल दिया। उसके सैनिक अपने अधिकारी की अनुमति के
बिना अपने समूह के बाहर नहीं जा सकते थे। ऐसी प्रयास करने वालों को कठोर दण्ड दिया
जाता था।
प्रश्न 7. “चंगेज़
खान एवं मंगोलों का विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है।" कथन की
व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़
खान एवं मंगोलों का विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। जिसका वर्णन निम्न
बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(i) मंगोलों का एकीकृत जन-समूह- तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक
मंगोल एक एकीकृत जनसमूह के रूप में उभरकर सामने आये। इसके कारण मंगोलों का ऐसा एक
विशाल साम्राज्य स्थापित हो सका, जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा था। मंगोलों
ने अत्यधिक जटिल शहरी समाजों पर शासन किया, जिनके अपने-अपने इतिहास और
संस्कृतियाँ थीं। चंगेज खान ने विभिन्न आस्था और मतों के लोगों को अपने परिसंघ में
शामिल किया, जबकि मंगोल स्वयं भी विभिन्न धर्मों, आस्थाओं
से सम्बन्धित थे, जैसे-शमन, बौद्ध, ईसाई, कन्फ्यूशियस
और मुसलमान।
(ii) अनेकता में एकता- मंगोल
शासकों ने समस्त जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और हथियारबन्द
सैनिकों के रूप में भर्ती किया। चंगेज़ खान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी सामाजिक
व्यवस्था को परिवर्तित किया
और
विभिन्न वंशों और कुलों को एकीकृत करके उन्हें एक नई पहचान दी। इनका शासन
बहु-जातीय, बहु-भाषी तथा बहु-धार्मिक था, जिसको
अपने बहुविध संविधान का कोई भय नहीं था। जैसा कि आज भारत जैसे अनेक देशों में
देखने को मिलता है। यह उस समय के लिए एक सामान्य बात नहीं थी क्योंकि उस काल में
सभ्यता इतनी विकसित नहीं थी जितनी कि आज है। मंगोल अपने बाद में आने वाली शासन प्रणालियों
के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर सके। भारत में मुगलों ने इसी आदर्श का अनुसरण
किया, जिनमें
सबसे उत्तम आदर्श अकबर ने पेश किया।
(iii) कबीलों को परिसंघ निर्माण का
मार्गदर्शन- नृजातीय और भाषायी सम्बन्धों ने मंगोलों को
परस्पर जोड़े रखा था, परन्तु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण
उनका समाज पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। धनी परिवार विशाल होते थे। समय-समय पर
आने वाली प्राकृतिक आपदाओं अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे। फलतः
उन्हें चारागाहों की तलाश में भटकना पड़ता था, इस दौरान विभिन्न कबीलों में
परस्पर संघर्ष भी होता रहता था। सामान्यतया परिवारों के समूह आक्रमण करने और अपनी
रक्षा करने के लिए अधिक शक्तिशाली और सम्पन्न कुलों से मित्रता कर लेते थे तथा 'परिसंघ' बना
लेते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर परिसंघ प्रायः छोटे और अल्पकालीन होते थे। मंगोल और
तुर्क कबीलों को मिलाकर चंगेज़ खान के द्वारा बनाया गया परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के
'अट्टीला' के
द्वारा बनाए परिसंघ के बराबर था। इस प्रकार की इकाइयाँ आज अधिकतर देशों में पायी
जाती हैं, जिसके लिए हम मंगोलों के ऋणी हैं।
(iv) देशभक्ति की भावना- चंगेज़
खान ने एक नये शासन तन्त्र को जन्म दिया। जिसमें लोग एक ही शासन तन्त्र व एक ही
कानून को मानते थे। कानून की दृष्टि से सभी बराबर थे। इस शासन में कोई भी व्यक्ति
किसी कबीला विशेष का सदस्य न होकर पहले एक राष्ट्र का सदस्य था, वह
राष्ट्र था-मंगोलिया। इससे वहाँ के निवासियों में तथा आने वाली पीढ़ियों में अपने
देश के प्रति देशभक्ति की भावना का संचार हुआ।
(v) स्थायी राजनीतिक व्यवस्था- चंगेज़
खान के नेतृत्व में मंगोलों ने अपने पारम्परिक सामाजिक एवं राजनीतिक रीति-रिवाजों
तथा नियमों को रूपान्तरित करके एक शक्तिशाली सैनिक तन्त्र और शासन संचालन की
प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया, क्योंकि वह जान चुका था कि स्टेपी प्रदेश की
परम्पराओं से एक बड़े साम्राज्य की शासन व्यवस्था को नहीं चलाया जा सकता है। अतः
उसने अपनी एकीकृत और स्थायी शासन व्यवस्था स्थापित की।
(vi) सैनिक तन्त्र का गठन- चंगेज़
खान और उसके उत्तराधिकारियों के सैनिक तन्त्र का संगठन उत्तम किस्म का था। यह उनकी
महान देन थी कि एक यायावर जाति को इतनी शक्तिशाली सेना के रूप में परिवर्तित कर
दिया गया। इसी का परिणाम था कि उनकी सेना के समक्ष तत्कालीन बड़े-बड़े शक्तिशाली
देशों की प्रशिक्षित सेना और उनका गोला-बारूद नहीं टिक पाता था और पराजित हो जाते
थे। चंगेज़ खान ने घेराबन्दी-यन्त्र और नेफ्था बमबारी का प्रशिक्षण भी अपने
सैनिकों को दिया। उसके इंजीनियरों ने शत्रुओं पर आक्रमण करने के लिए हल्के चल
उपस्कर (शस्त्र) बनाए। अत: मंगोलों विशेष रूप से चंगेज़ खान का सैनिक संगठन आज के
सभी देशों में पाया जाता है।
(vii) डाक तथा संचार व्यवस्था- चंगेज़
खान के समय 'हरकारा पद्धति' लागू की गई थी। यह एक प्रकार
की डाक तथा सूचना पहुँचाने की संचार पद्धति थी। यह पद्धति बड़ी फुर्तीली एवं
तीव्रगामी थी। इसी के कारण राज्य के दूर-दराज के स्थानों पर परस्पर सम्पर्क रखा
जाता था। कुछ-कुछ दूरी पर निर्मित सैनिक चौकियों पर स्वस्थ एवं बलवान तथा फुर्तीले
घुड़सवार सन्देशवाहक के रूप में हर समय तैनात रहते थे। इस हरकारा पद्धति को याम के
नाम से जाना जाता था। इस पद्धति की गति एवं विश्वसनीयता ने यात्रियों को एक
आश्चर्य में डाल दिया था। अत: आज संसार के प्रत्येक देश में संचार के लिए जो कार्य
हो रहे हैं, वह चंगेज़ खान ने 12वीं शताब्दी में करने शुरू
कर दिये थे।
(viii) शोषण मुक्त राष्ट्र निर्माण
का मार्गदर्शन- चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के लोग चंगेज़ खान को चोर, लुटेरा, क्रूर-अत्याचारी
और हिंसक, कातिल आदि कहते थे। उसे भय और घृणा की दृष्टि
से देखा जाता था, परन्तु मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का
सबसे महान शासक था। आज उसे राष्ट्र-निर्माता और राष्ट्रपिता मानकर पूजा जाता है।
उसने मंगोलों को एकजुट होना सिखाया। उसने लम्बे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष और
आपसी झगड़ों को समाप्त किया। मंगोलों को चीनी शोषण से मुक्त कराया और साथ ही
समृद्ध बनाया। मंगोलों ने एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की।
व्यापार और बाजार के लिए मार्ग खोल दिये गये। अब उनके यहाँ मार्कोपोलो जैसे
दूर-दूर से यात्री आने लगे थे। मंगोलों की जाग्रति के कारण ही आज मंगोलिया रूस के
नियन्त्रण से मुक्त होकर एक स्वतन्त्र देश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अत:
मंगोलों ने विश्व को इसके शोषण से मुक्त होने और छोटे से कबीले से बड़े साम्राज्य
तक के निर्माण की कहानी बताई।

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